देहरादून (धीरज सजवाण): साल 2023 में आई नेशनल क्राइम ब्यूरो रिपोर्ट में उत्तराखंड देश के सभी हिमालयन स्टेट में महिला अपराधों के मामले में सबसे आगे था. खास तौर से महिलाओं के साथ हुए यौन उत्पीड़न के मामले में उत्तराखंड ने सुर्खियां बनाई थी. समय बीतने के साथ यह देखना जरूरी है कि उत्तराखंड में महिला सुरक्षा को लेकर कोई सुधार हुए हैं या नहीं. उत्तराखंड पुलिस ने महिला अपराध से जुड़े आंकड़े जारी किए हैं.
महिला अपराध के चौंकाने वाले आंकड़े: चौंकाने वाली बात ये है कि उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय से प्राप्त हुए आंकड़ों में हालात में कुछ खास बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है. सूचना का अधिकार में पुलिस मुख्यालय द्वारा प्रदेश में आपराधिक आंकड़ों में ज्यादातर मामलों में 2023 तक के आंकड़े उपलब्ध करवाए गए हैं. यानी की 2024 का डाटा अभी तक उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय उपलब्ध नहीं कर पाया है.
उत्तराखंड में महिला अपराध (Video- ETV Bharat)
उत्तराखंड में तीन साल में 1 लाख से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए हैं. 2021 में जहां सबसे ज्यादा मुकदमे 34,875 दर्ज हुए थे तो उसके अगले साल यानी साल 2022 में 34,607 मुकदमे दर्ज हुए. अगले साल यानी साल 2023 में इनमें थोड़ा और कमी आई और आपराधिक मुकदमों की संख्या 34,465 रही.
तीन साल में एक लाख से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए (ETV Bharat Graphics)
उत्तराखंड में बढ़ता महिला अपराध: उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय से प्राप्त हुई सूचना के अनुसार उत्तराखंड में महिला अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. पीएचक्यू से मिली जानकारी के अनुसार साल 2021 से 2023 के बीच में बलात्कार की 1,822 घटनाएं हुईं. इस दौरान महिला अपहरण की 1,796 घटनाएं सामने आईं. महिला गुमशुदगी के 4,890 मामले दर्ज हुए तो दहेज हत्या की 190 घटनाएं भी हुई हैं.

दुष्कर्म की घटनाएं भी बढ़ी हैं (ETV Bharat Graphics)
अगर साल दर साल की बात करें तो उत्तराखंड में साल 2021 में दुष्कर्म की 593 घटनाएं हुई थीं. साल 2022 में दुष्कर्म की 337 घटनाएं हुईं. साल 2023 में दुष्कर्म के 635 घटनाएं हुईं. इसके साथ ही पिछले 5 सालों में 10 हजार 500 महिलाएं और बालिकाएं गुमशुदा थीं. इनमें से पुलिस 9733 को ढूंढ पाई. 767 गुमशुदा महिलाओं की तलाश आज भी जारी है.

दहेज हत्या के भी बड़े मामले दर्ज हुए हैं (ETV Bharat Graphics)
इतनी महिलाएं हुईं गुमशुदा: अगर वर्षवार बात करें, तो साल 2021 में 1,494 महिलाएं और 404 बालिकाएं गुमशुदा हुईं. इनमें से 1,442 महिलाओं और 398 बालिकाओं को ढूंढ लिया गया. 62 महिलाएं और 6 बालिकाएं आज भी गुमशुदा हैं. साल 2022 में 1,632 महिलाएं और 425 बालिकाएं गुमशुदा हुईं. इस साल पुलिस ने 1,553 महिलाओं और 417 बालिकाओं को ढूंढ लिया. 79 महिलाएं और 8 बालिकाएं नहीं ढूंढी जा सकीं.
साल 2023 में 1,764 महिलाएं और 716 बालिकाएं गुमशुदा हुईं. इस साल 1,689 महिलाओं और 707 बालिकाओं को पुलिस ने ढूंढने में सफलता पाई. 75 महिलाएं और 9 बालिकाएं गुमशुदा ही रहीं. साल 2024 में 1,953 महिलाएं और 838 बालिकाएं गुमशुदा हुईं. इस साल 1,800 महिलाएं और 813 बालिकाएं ढूंढ ली गईं. आज भी 153 महिलाएं और 25 बालिकाएं गुमशुदा हैं.

उत्तराखंड में बड़ी संख्या में महिलाएं गुमशुदा हैं (ETV Bharat Graphics)
इस साल यानी 2025 के जून तक की बात करें तो 6 महीने के दौरान 904 महिलाएं और 370 बालिकाएं गुमशुदा हो चुकी हैं. इनमें से 631 महिलाओं और 293 बालिकाओं को ढूंढा जा चुका है. आज भी 273 महिलाएं और 77 बालिकाओं का कुछ अता-पता नहीं है.
उत्तराखंड पुलिस के मुख्य प्रवक्ता ने क्या कहा: इस पूरे मामले पर उत्तराखंड पुलिस के मुख्य प्रवक्ता आईपीएस अधिकारी नीलेश आनंद भरणे से जब हमने सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि-
गुमशुदा महिलाओं की तलाश पुलिस के लिए पहली बड़ी प्राथमिकता है. इसमें भी नाबालिग की तलाश पुलिस पर पहला फोकस होता है. गुमशुदा महिलाओं के तलाश की अगर बात की जाए तो इस पर लगातार उत्तराखंड पुलिस द्वारा अभियान चलाया जा रहा है. बड़े पैमाने पर पुलिस ने पिछले कुछ समय में गुमशुदाओं को ढूंढा है.
पुलिस ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) को मिसिंग गर्ल्स और माइनर्स गर्ल्स के पड़ताल के लिए लगाया गया है. मिसिंग स्क्वाड और महिला स्क्वाड इसके लिए अलग से कम कर रहे हैं. इसमें यह भी पता लगाने का प्रयास किया जाता है कि क्या यह मिसिंग किसी संगठित अपराध का हिस्सा हैं, या फिर किसी गैंग द्वारा इस तरह की चीज की जा रही है. इन सब पहलुओं पर जांच की जाती है.
-नीलेश आनंद भरणे, मुख्य प्रवक्ता, उत्तराखंड पुलिस-
भरणे ने बताया कि पुलिस मुख्यालय द्वारा एक बड़ा कार्यक्रम में रिकवर किए गए मिसिंग मामलों में तमाम पीड़ितों और उनके परिवारों को बुलाया गया था. इसमें पीड़ितों को मिली राहत पर पुलिस का आभार जताया गया.
5 साल में मिले 318 अज्ञात शव, केवल 87 की शिनाख्त: उत्तराखंड में महिला अपराध को बढ़ावा देने वाले अज्ञात शवों की कहानी भी कुछ इस कदर ही खराब है. उत्तराखंड अपराधियों के लिए हमेशा से एक मुफीद स्टेट रहा है. दूसरे राज्यों के कई बड़े अपराधी उत्तराखंड में आकर अपराधिक घटनाओं को अंजाम देते हैं. इसकी तस्दीक पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी किए गए आंकड़े खुद कर रहे हैं. उत्तराखंड में पिछले 5 सालों में 318 अज्ञात महिला शव प्राप्त हुए. इनमें से मात्र 87 शवों की शिनाख्त हो पाई. 231 शवों की आज तक कोई शिनाख्त नहीं हो पाई है.

अज्ञात महिलाओं के शवों की गुत्थी भी पुलिस के लिए परेशानी का सबब (ETV Bharat Graphics)
साल 2021 में 74 अज्ञात महिला शव प्राप्त हुए. इनमें से केवल 27 की ही शिनाख्त हो पाई. 47 शवों की अभी तक पहचान नहीं हो सकी है. साल 2022 में 50 अज्ञात महिला शव मिले थे. इनमें से केवल 17 की ही शिनाख्त हो पाई, 33 अज्ञात रह गए. साल 2023 में 77 अज्ञात महिला शव मिले, इनमें से 18 की शिनाख्त हुई और 59 की शिनाख्त नहीं हो पाई.
साल 2024 में 88 महिलाओं के शव मिले जो अज्ञात बताए गए. इनमें से केवल 19 की शिनाख्त हुई और 69 शवों का आज तक कुछ पता नहीं चला. इस साल 2025 में अभी जून महीने तक 29 अज्ञात महिला शव मिल चुके हैं. इनमें से केवल 6 की शिनाख्त हुई है और 23 आज भी अज्ञात हैं.
उत्तराखंड में बीते पांच सालों में 318 महिलाओं के शव बरामद हुए. इनमें से 231 शवों की पहचान नहीं हो सकी है. ना कोई नाम, ना कोई रिश्तेदार और ना ही पुलिस इनकी शिनाख्त कर पाई. पुलिस केवल 87 महिलाओं की पहचान कर पाई है. बाकी सब फाइलों में केस बनकर रह गईं. ये वो महिलाएं हैं, जिनके लिए ना तो जनता में शोर हुआ और ना ही सिस्टम में हलचल. ये बस पुलिस की इन्वेस्टिगेशन में भी सिर्फ नंबर बनकर रह गईं.
इस मामले पर उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय में मुख्य प्रवक्ता आईपीएस अधिकारी नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि-
अज्ञात शवों के मामले में निश्चित तौर से एक बड़ा आंकड़ा ऐसा है, जिनकी शिनाख्त नहीं हो पाई है. शवों की शिनाख्त के लिए पुलिस द्वारा मॉडर्न टेक्नीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. कई ऐसी डेड बॉडीज होती हैं, जिनकी शिनाख्त करना बेहद चुनौती भरा हो जाता है. कई रेलवे के क्षेत्र में पाई जाती हैं. कई अज्ञात शवों के परिजनों को ढूंढना बेहद मुश्किल हो जाता है. हालांकि पुलिस द्वारा उनके डीएनए को सुरक्षित रखा जाता है.
-नीलेश आनंद भरणे, मुख्य प्रवक्ता, उत्तराखंड पुलिस-
नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि पुलिस SOP के अनुसार पारंपरिक तरीके से सभी जगह पर सूचित किया जाता है. फोटो सर्कुलेट करते हैं. अब नए बनाए गए मिसिंग्स पोर्टल पर भी इसकी जानकारी साझा की जाती है. साथ ही उत्तराखंड पुलिस अन्य राज्यों से भी लगातार इस संबंध में संपर्क करती है.
सोशल एक्टिविस्ट रमेंद्री मंद्रवाल का कहना है कि-
महिला अपराध पर आज हमें गंभीरता से सोचने की जरूरत है. समाज में एक भी महिला को अगर न्याय नहीं मिल पाता है, तो वह पूरे समाज पर सवाल खड़े करता है. आज अगर अज्ञात शवों के आंकड़े इतने ज्यादा बढ़ते जा रहे हैं और यह फाइल में दफन होते जा रहे हैं, तो हमें इनकी ठीक से शिनाख्त करने की जरूरत है.
-रमेंद्री मंद्रवाल, सोशल एक्टिविस्ट-
रमेंद्री ने कहा कि आज हमें केवल सीसीटीवी कैमरे और तकनीक पर आश्रित नहीं रहना चाहिए. हमें अपने ट्रेडिशनल तौर तरीकों को भी जिंदा रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज हमें केवल ऑटोमेशन पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. हमें अपनी मैन्युअल एक्सरसाइज को भी पहले की तरह एफिशिएंट रखना चाहिए.
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