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WII ने उत्तराखंड में वनकर्मियों को दी ट्रेनिंग, देशभर में टाइगर सेंसस की तैयारी तेज


बाघों की गणना (Photo- ETV Bharat)

रामनगर: देशभर में होने जा रही अगली टाइगर सेंसस (बाघ गणना) को लेकर तैयारी तेज हो गई है. हर चार साल में की जाने वाली इस राष्ट्रीय गणना के मद्देनज़र सोमवार को चूनाखान ईको टूरिज्म सेंटर में वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) ने वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया.

बाघों की गणना के लिए ट्रेनिंग: यह प्रशिक्षण इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, ताकि आने वाली गिनती में किसी प्रकार की त्रुटि न हो और देशभर में बाघों की सटीक संख्या रिकॉर्ड की जा सके. प्रशिक्षण में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अधिकारी, उत्तराखंड के अन्य टाइगर आवास क्षेत्रों के अधिकारी तथा जूनियर रिसर्च फेलो शामिल हुए. विशेषज्ञों ने कैमरा ट्रैपिंग, फील्ड सर्वे, डाटा रिकॉर्डिंग और वैज्ञानिक प्रक्रियाओं को विस्तार से समझाया. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ये अधिकारी अपने-अपने वन प्रभागों में फील्ड स्टाफ को वही तकनीक सिखाएंगे, जिससे सेंसस के दौरान एक समान और वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग हो सके.

WII Tiger Census Training

चूनाखान ईको टूरिज्म सेंटर में WII ने बाघ गणना की ट्रेनिंग दी (Photo- ETV Bharat)

टाइगर सेंसस में कैमरा ट्रैप तकनीक का उपयोग: WII ने इस बार भी गणना के वैज्ञानिक पहलुओं पर विशेष जोर दिया है. टाइगर सेंसस के लिए कैमरा ट्रैप तकनीक को प्रमुख रूप से इस्तेमाल किया जाएगा. यह तकनीक आधुनिक और विश्वसनीय मानी जाती है. इसमें बाघों की तस्वीरों के स्ट्राइप पैटर्न (धारियों के पैटर्न) के आधार पर उनकी पहचान की जाती है. हर बाघ की धारियां फिंगर प्रिंट की तरह यूनिक होती हैं, जिससे उनकी सही पहचान संभव हो पाती है.

WII Tiger Census Training

विशेषज्ञों ने कैमरा ट्रैपिंग, फील्ड सर्वे, डाटा रिकॉर्डिंग और वैज्ञानिक प्रक्रियाओं को विस्तार से समझाया (Photo- ETV Bharat)

सेंसस से बाघ संरक्षण नीति में मिलेगी मदद: इस पद्धति से बाघों की वास्तविक संख्या, उनका वितरण क्षेत्र और उनके मूवमेंट पैटर्न का सही डेटा मिलता है. यही वजह है कि हर बार यह सेंसस ना सिर्फ देश के बाघों की संख्या का आकलन करता है, बल्कि संरक्षण नीति बनाने में भी अहम भूमिका निभाता है.

WII Tiger Census Training

WII ने इस बार भी गणना के वैज्ञानिक पहलुओं पर विशेष जोर दिया है (Photo- ETV Bharat)

उत्तराखंड में हैं 560 बाघ: गौरतलब है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व विश्व प्रसिद्ध है. बाघ घनत्व के मामले में ये दुनिया के प्रमुख टाइगर आवासों में गिना जाता है. यहां 260 से ज्यादा बाघों की उपस्थिति दर्ज है, जो इसे भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण बनाती है. वहीं उत्तराखंड में 560 बाघ हैं.

आगामी टाइगर सेंसस से देशभर में बाघों की स्थिति का अद्यतन आंकड़ा सामने आएगा, जो वन विभाग और संरक्षण एजेंसियों के लिए आगे की रणनीति तय करने में बेहद अहम साबित होगा.
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