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तोता घाटी क्यों है गढ़वाल के लिए बड़ी टेंशन? सरकार ने लिया बड़ा एक्शन, देखिए ग्राउंड रिपोर्ट


देहरादून: ऋषिकेश बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर मौजूद तोता घाटी को लेकर ईटीवी भारत की खबर प्रकाशित होने के बाद अब सरकार ने भी इसे लेकर संवेदनशीलता दिखाई है. इतना ही नहीं वैकल्पिक मार्ग की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ाया है तो वहीं इस वक्त तोता घाटी में किस तरह की स्थिति है? इसे ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट के जरिए जानिए.

हाल ही में ईटीवी भारत ने देहरादून या ऋषिकेश को पूरे गढ़वाल से जोड़ने वाली लाइफलाइन यानी बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग 7 पर स्थित तोता घाटी में आने वाली चुनौतियों पर ध्यान आकर्षित कर एक खबर प्रकाशित की थी. ईटीवी भारत ने बताया था कि किस तरह से पूरी तोता घाटी के पहाड़ों में बड़ी-बड़ी दरारों के चलते जोखिम भरा है.

तोता घाटी में स्लोप स्टेबलाइजेशन यानी ढलान स्थिरीकरण के काम में अपनी मदद दे रहे हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के वरिष्ठ जियोलॉजिस्ट एमपीएस बिष्ट के हवाले से ईटीवी भारत ने बताया था कि किस तरह से टोटा घाटी जब शुरुआती दौर में बनी थी, तब भी चुनौती थी और आज भी एक बड़ी चुनौती है. किस तरह से टोटा घाटी में बड़ी-बड़ी दरारें बन रही हैं.

किस तरह से टोटा घाटी आज भी एक अनसुलझे रहस्य की तरह चुनौती बना हुआ है? इन्हीं सभी पहलुओं को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम तोता घाटी पहुंची और ग्राउंड पर जाकर वहां के हालात को करीब से देखा. साथ ही जाना कि किस तरह से वहां पर स्लोप ट्रीटमेंट का काम चल रहा है.

तोता घाटी के ग्राउंड रिपोर्ट में क्या देखने को मिला? ईटीवी भारत के ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान तोता घाटी में ट्रीटमेंट का काम चलता हुआ मिला. स्लोप स्टेबलाइजेशन का काम एनएच विंग (लोनिवि) की ओर होता नजर आया. चट्टानों की दरारों को मापने के लिए उपकरण लगे नजर आए. इसके साथ ही हर कोशिश ट्रीटमेंट को लेकर भी कदम उठाए जा रहे हैं.

अभी भी बड़ी-बड़ी दरारें चट्टानों पर नजर आ रही हैं, जो काफी बड़ी हैं. इतना ही नहीं ये दरारें कभी भी टूट सकती हैं. यानी ये दरारें किसी बड़े खतरे को अभी भी न्योता दे रहे हैं. इसके साथ ही तोता घाटी में जाम भी देखने को मिला.

पुरानी रिपोर्ट में ईटीवी भारत ने बताया था कि तोता घाटी के वैकल्पिक मार्ग को लेकर सोचना बेहद जरूरी है. क्योंकि, आने वाले समय में यदि तोता घाटी में जिस तरह के भौगोलिक हालत बना रहे हैं, उससे कहीं ना कहीं आने वाले समय में गढ़वाल की लाइफ लाइन कही जाने वाली ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है.

तोता घाटी के बारे में जानिए (फोटो- ETV Bharat GFX)

वहीं, इस तोता घाटी का कोई वैकल्पिक मार्ग न होना, सभी के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ था. हाल ही में राज्य सरकार की ओर से इसके वैकल्पिक मार्ग को लेकर एक बड़ा कदम उठाया गया है. जिसके तहत सिंगटाली पुल को लेकर 57 करोड़ रुपए की स्वीकृति दे दी गई है.

इसके बाद अलकनंदा नदी के लेफ्ट रिवर बैंक में वैकल्पिक मार्ग बनाया जाएगा. इससे यदि कभी टोटा घाटी में कोई बड़े भौगोलिक बदलाव के चलते दरारें फैलती हैं या पहाड़ टूट कर नीचे गिरता है तो उस समय सिंगटाली पुल एक बड़ी भूमिका आवाजाही को लेकर निभा सकता है, जो कि सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है.

“तोता घाटी को लेकर तमाम एजेंसियां गंभीर हैं. स्लोप क्लैडिंग, रॉक बोल्टिंग, वायर मेस आदि का काम किया जा रहा है. रोजाना मॉनिटरिंग भी किया जा रहा है. दरारों पर भी नजर रखी है. पहले दरारें जितनी चौड़ी थी. फिलहाल, उतनी ही है. दरारें ज्यादा नहीं बढ़ी हैं. हालांकि, अभी डेटा आना बाकी है.”– एमपीएस बिष्ट, वरिष्ठ जियोलॉजिस्ट, एचएनबी गढ़वाल विवि

केवल तोता घाटी नहीं गढ़वाल-कुमाऊं को नजदीक लाएगा सिंगटाली पुल: यदि सिंगटाली पुल बनता है तो यह केवल तोता घाटी के लिए वैकल्पिक मार्ग ही नहीं, बल्कि गढ़वाल और कुमाऊं की दूरियों को भी कम कर सकता है.

दरअसल, पुल के बनने से कुमाऊं के लिए भी एक वैकल्पिक मार्ग की संभावनाएं खुलेगी, जो कि पौड़ी होते हुए कुमाऊं के लिए कम दूरी का बेहतर वैकल्पिक मार्ग बन सकता है. इसी वजह से लंबे समय से इस पुल को लेकर स्थानीय लोगों की ओर से मांग भी की जा रही है.

Tota Ghati Cracks Treatment Work

कहां पर है तोता घाटी (फोटो- ETV Bharat GFX)

लगातार इस पुल के निर्माण को लेकर सरकारों की ओर से कुछ ना कुछ गतिविधि की गई, लेकिन आज तक सार्थक नहीं हो पाई. अब एक बार फिर से उत्तराखंड सरकार ने 57 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है. इससे एक बार फिर से स्थानीय लोगों में उम्मीद जगी है कि आखिरकार पुल की सौगात मिल जाएगी.

सिंगटाली मोटर पुल संघर्ष समिति के अध्यक्ष उदय नेगी और स्थानीय प्रशांत मैथानी ने सरकार की ओर से वित्तीय स्वीकृति देने पर खुशी जताई है. उन्होंने बताया है कि इस पुल के बनने से देहरादून और रामनगर की दूरी कम होगी. साथ ही इसका सीधा लाभ स्थानीय लोगों को मिलेगा.

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