पटना: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा मंजूर हो गया है. अब 6 महीने के अंदर इस पद के लिए चुनाव कराना अनिवार्य होगा. इसी बीच बिहार में विधानसभा का चुनाव होना है. ऐसे में ये माना जा रहा है कि इस पद के लिए एनडीए की ओर से ऐसे उम्मीदवार का चयन किया जाएगा, जिससे बिहार को साधा जा सके.
राज्यपाल-मुख्यमंत्री समेत तीन दावेदार: बिहार की राजनीतिक फिजा में जिन तीन नामों की चर्चा है, उनमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सबसे आगे हैं. इसके साथ ही राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही है. वहीं, जेडीयू के राज्यसभा सांसद और फिलहाल राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को भी मजबूत दावेदार बताया जा रहा है.
पीएम मोदी के साथ राज्यपाल और मुख्यमंत्री (ETV Bharat)
बीजेपी ने की नीतीश के नाम की वकालत: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम पर चर्चा ने इसलिए जोर पकड़ा है, क्योंकि बीजेपी की तरफ से ही कुछ विधायकों ने उनको उप-राष्ट्रपति बनाए जाने की वकालत की है. मंत्री नीरज कुमार बबलू ने कहा कि अगर नीतीश कुमार बनते हैं तो इसमें क्या बुराई है, मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि बिहार का व्यक्ति अगर वाइस प्रेसिडेंट बनते हैं तो यह बिहार के लिए गर्व की बात होगा.
नीतीश कुमार पर बीजेपी और जेडीयू नेताओं के बयान (ETV Bharat)
‘नीतीश कुमार बन जाएं उपराष्ट्रपति..’: वहीं, बीजेपी के फायर ब्रांड नेता और विधायक हरिभूषण ठाकुर ‘बचौल’ ने भी नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाने की बात का समर्थन किया है. उन्होंने कहा, ‘अब ये तो मेरे वश की बात नहीं है लेकिन अगर बन जाए तो अच्छा होगा. बिहार के लिए सौभाग्य की बात होगी.’
जेडीयू ने खारिज की दावेदारी: हालांकि जेडीयू के वरिष्ठ नेता और ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने साफ कहा कि यह सब फालतू बात है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव में चेहरा हैं और चुनाव के बाद वे ही फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे. हरिभूषण ठाकुर के बयान पर कहा कि ये उनकी राय हो सकती है लेकिन जनता चाहती है कि नीतीश कुमार बिहार में ही रहें.

नीतीश कुमार (ETV Bharat)
“यह सब फालतू बात है. नीतीश कुमार 2025 में बिहार की जनता की खिदमत करेंगे. बिहार की जनता की सेवा करेंगे. इस चुनाव में 225 सीट नीतीश कुमार के नेतृत्व में जीतेंगे. जहां तक बीजेपी विधायक के बयान का सवाल है तो यह उनकी व्यक्ति राय हो सकती है.”- श्रवण कुमार, जेडीयू नेता सह मंत्री, बिहार सरकार
क्यों नीतीश के नाम की चर्चा?: जब जेडीयू ही नीतीश की दावेदारी को खारिज कर रहा है तो सवाल है कि बीजेपी विधायक क्यों उनको नाम को उछाल रहे हैं? इस सवाल पर राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहते हैं नीतीश कुमार न केवल बीजेपी के लिए जरूरी हैं, बल्कि मजबूरी भी हैं. आज भी नीतीश के कारण ही पिछड़ा और अति पिछड़ा वोट एनडीए के पक्ष में गोलबंद है. इसलिए बीजेपी अपना मुख्यमंत्री तो चाहती है लेकिन साथ-साथ नीतीश को नाराज भी नहीं करना चाहती है. इसलिए उनकी सहमति से ही आने वाले समय में कोई फैसला होगा.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (ETV Bharat)
“यदि नीतीश कुमार बिहार की राजनीति से चले जाते हैं तो लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के लिए पूरा चुनावी मैदान खाली हो जाएगा. पिछड़ा और अति पिछड़ा वोट में बड़ी सेंधमारी हो जाएगी. इसलिए भाजपा के लिए नीतीश कुमार न केवल मजबूरी हैं, बल्कि जरूरी भी हैं. इसलिए सोच-समझकर निर्णय लेना चाहती है.”- अरुण पांडे, राजनीतिक विश्लेषक

आरिफ मोहम्मद खान और नीतीश कुमार (ETV Bharat)
बिहार में अपना सीएम बनाना चाहती है बीजेपी?: राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी अपना मुख्यमंत्री बनाना चाहती है. वरिष्ठ पत्रकार समीर चौगांवकर ने एक्स हैंडल पर दावा किया है कि नीतीश कुमार का अगला उपराष्ट्रपति बनना तय है. उन्होंने अपने पोस्ट में कहा कि बीजेपी वहां अपना सीएम बनाकर चुनाव में जाएगा. वहीं नीतीश कुमार के बेटे बिहार के डिप्टी सीएम बनाए जा सकते हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का देश का अगला उपराष्ट्रपति बनना तय.बिहार में बीजेपी अपना मुख्यमंत्री बनाकर चुनाव में जाएगी. जेडीयू का उपमुख्यमंत्री होगा.नीतीश के बेटे निशांत को उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.
— sameer chougaonkar (@semeerc) July 21, 2025
कौन हैं नीतीश कुमार?: 20 सालों से बिहार की सत्ता संभाल रहे नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को पटना के बख्तियारपुर में हुआ था. उनका पैतृक गांव (कल्याण बिगहा) नालंदा में है. जेपी आंदोलन से निकले नीतीश पहली बार 1985 में विधायक और 1989 में पहली बार सांसद बने.

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1990 में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री बने. वहीं वाजपेयी सरकार में रेल, कृषि और भूतल परिवहन मंत्री बने. 2000 में पहली मर्तबे बिहार के सीएम बने लेकिन 7 दिनों में ही इस्तीफा देना पड़ा. नवंबर 2005 से अब तक (2014-15 में कुछ महीनों को छोड़कर) राज्य के मुख्यमंत्री हैं.

अमित शाह के साथ नीतीश कुमार (ETV Bharat)
हरिवंश की दावेदारी में कितना दम?: अरुण पांडे कहते हैं कि जहां तक हरिवंश की बात है तो उनकी स्थिति अपने दल जेडीयू में ही कमजोर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जरूर करीबी हो गए हैं लेकिन नीतीश कुमार से उनकी दूरी बनी हुई है. अब तो उनको पार्टी की बैठकों में भी नहीं बुलाया जाता है. इसलिए पार्टी ही उनके लिए सबसे बड़ा रोड़ा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हरिवंश (ETV Bharat)
कौन हैं हरिवंश?: राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश का पूरा नाम हरिवंश नारायण सिंह है. उनका जन्म 30 जून 1956 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के सिताबदियारा में हुआ था. राजनीति में आने से पहले वह पत्रकार थे. कई नामचीन अखबारों में बड़े पद पर रहे हैं. रांची के एक प्रतिष्ठित हिंदी समाचार पत्र में लंबे समय तक संपादक भी रहे.

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वहीं 1990-91 के बीच जब चंद्रशेखर प्रधानमंत्री थे, तब वह पीएमओ में अतिरिक्त सूचना सलाहकार (संयुक्त सचिव) थे. 2014 में नीतीश कुमार ने बिहार से जेडीयू कोटे से राज्यसभा भेजा. 2018 में वह पहली बार उपसभापति बने, वहीं 2020 में दूसरी बार इस पद के लिए चुने गए. 2022 में जब नीतीश ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया था, तब भी हरिवंश पद पर बने रहे.

जगदीप धनखड़ के साथ हरिवंश (ETV Bharat)
क्या बिहार के राज्यपाल बनेंगे अगले उपराष्ट्रपति?: नीतीश कुमार और हरिवंश की तुलना में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की दावेदारी को काफी मजबूत माना जा रहा है. बात है उनके नाम में वजन है. केरल में 5 साल तक राज्यपाल रहने के बाद पिछले साल ही उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया है. मुस्लिम चेहरा के साथ-साथ वह विद्वान हैं और हिंदू धर्म ग्रंथों की भी अच्छी जानकारी रखते हैं. धारा प्रवाह संस्कृत में श्लोक पढ़ते हैं. गीता उपनिषद का उदाहरण देते हैं.

पीएम के साथ आरिफ मोहम्मद खान (ETV Bharat)
क्या कहते हैं जानकार?: राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि मुस्लिम समाज से आने वाले आरिफ मोहम्मद खान अगर उपराष्ट्रपति बनते हैं तो पूरे देश में मैसेज जाएगा. जिसका बीजेपी को लाभ मिल सकता है. बिहार चुनाव के साथ-साथ बंगाल चुनाव में मुस्लिम समुदाय के बीच सकारात्मक संदेश जाएगा. पहले भी बीजेपी ने एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था.
कौन हैं आरिफ मोहम्मद खान?: यूपी के बुलंदशहर के रहने वाले आरिफ मोहम्मद खान का जन्म 18 नवंबर 1951 को हुआ था. 1977 में वह पहली बार विधायक बने थे. 1980 में कानपुर और 1984 में बहराइच से कांग्रेस के सांसद बने. हालांकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बिल के विरोध में उन्होंने 1986 में कांग्रेस छोड़ दिया.

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1989 में जनता दल के टिकट पर आरिफ मोहम्मद खान सांसद बने और वीपी सिंह की सरकार में मंत्री बने. 1998 में बीएसपी के टिकट पर बहराइच से लोकसभा सांसद बने. 2019 में केरल और 2024 में बिहार के राज्यपाल बने.
आरिफ मोहम्मद को लालू का भी समर्थन?: आरिफ मोहम्मद खान कांग्रेस, जनता दल और बहुजन समाज पार्टी में भी रहे हैं. इस वजह से उनके तमाम दलों में मित्र हैं. बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी के अध्यक्ष लालू यादव से भी उनकी दोस्ती रही है. जब वह राज्यपाल बनकर बिहार आए थे, तब राबड़ी आवास जाकर लालू और तेजस्वी से मिले भी थे. लिहाजा माना जा रहा है कि अगर वह कैंडिडेट बनते हैं तो आरजेडी भी समर्थन कर सकता है.
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