जीपीएस से होगा गिद्धों का अध्ययन (ETV Bharat Graphics)
हरिद्वार: पर्यावरण और जीव संरक्षण के लिए काम करने वाले संस्था डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया ने हरिद्वार में इजिप्शियन वल्चर यानी गिद्धों के संरक्षण के लिए नया प्रोजेक्ट शुरू किया है. एनजीओ ने राजा जी टाइगर रिजर्व की मोतीचूर रेंज में एक इजिप्शियन वल्चर को सैटेलाइट जीपीएस टैग लगाकर रिलीज किया है.
मोतीचूर रेंज से जीपीएस टैग लगाकर उड़ाया गया गिद्ध: मोतीचूर फॉरेस्ट रेंज के कोयल पुरा सघन वन में छोड़े गए गिद्ध से गिद्धों के विचरण, उड़ने की क्षमता, रहन-सहन और भोजन के बारे में रियल टाइम जानकारी मिल सकेगी. पर्यावरण और गिद्धों के संरक्षण के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया के द्वारा सेकंड फेज का ये कार्यक्रम मोतीचूर रेंज से शुरू किया गया है. गिद्ध को रिलीज करने के दौरान एनजीओ और राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे.

इजिप्शियन गिद्ध पर हो रहा है अध्ययन (Photo courtesy: WWF India)
पहले भी हो चुका है गिद्ध वाला प्रयोग: प्रोजेक्ट मैनेजर सनी जोशी ने बताया कि-
गिद्धों की कई प्रजातियां हैं, जिनकी जानकारी जुटाई जाएगी. कई प्रजाति के गिद्ध स्थानीय वातावरण में रहते हैं. जैसे उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब और अन्य राज्यों में विचरण करते रहे हैं. कई गिद्ध भारत के अलावा अन्य देशों की यात्राएं करते हैं. कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और मध्य एशिया के देशों में करीब 15 से 20 हजार किलोमीटर की यात्रा करके ये गिद्ध फिर वापस भारत लौट आते हैं. ये सर्दियों के मौसम में ही वापस आते हैं. फिलहाल इससे पूर्व में यूरेशियन गिद्ध को जीपीएस टैग लगाकर उड़ाया गया था, जो करीब 15 हजार किलोमीटर की दूरी तय करके वापस भारत लौटा है.
-सनी जोशी, प्रोजेक्ट मैनेजर, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया-
गिद्धों को संरक्षित करने का प्रयास: प्रोग्राम डायरेक्टर सेजल बोरा ने बताया कि-
भारत में गिद्धों की प्रजातियों को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. इससे पूर्व में रिसर्च की आ चुकी हैं. मोतीचूर रेंज में ही नया प्रयाग शुरू किया गया है. जीपीएस से पता चलेगा कि गिद्ध राजाजी पार्क से उड़कर कहां जाते हैं और उनका कैसा आचरण रहता है. इस सब पर नजर रखी जाएगी. यह प्रोजेक्ट बहुत ही महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है. एक इजिप्शियन वल्चर को जीपीएस लगाकर सफलतापूर्वक छोड़ा गया है. यह गिद्ध सेहत में बहुत अच्छा है. अब यह बहुत सारा डेटा देगा, जो रिसर्च में महत्वपूर्ण साबित होगा.
-सेजल बोरा, प्रोग्राम डायरेक्टर, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया-
गौर हो कि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया संस्था वन्यजीव और पक्षियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य करती है. वैसे तो अधिकारियों के मुताबिक यह संस्था उत्तराखंड में पिछले कई वर्षों से कार्य कर रही है, लेकिन शुक्रवार से राजाजी टाइगर रिजर्व की मोतीचूर रेंज में नया प्रोजेक्ट शुरू किया गया. यहां से एक गिद्ध को जीपीएस लगाकर उड़ाया गया है. लगातार उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है. जांच की जा रही है कि उत्तराखंड में रहने वाले गिद्धों की प्रजातियों की किस तरह की गतिविधियां रहती हैं.

गिद्ध पर जीपीएस टैग लगाया गया (Photo courtesy: WWF India)
क्या है इजिप्शियन गिद्ध? इजिप्शियन गिद्ध एक दुर्लभ प्रवासी गिद्ध प्रजाति है. युवावस्था में इसका रंग गहरा भूरा होता है. उम्र बढ़ने पर रंग सफेद होता जाता है. इसकी चोंच पीली होती है. इजिप्शियन गिद्ध एशिया, यूरोप और अफ्रीका में पाए जाते हैं. इन बहुत कम हो गई संख्या के कारण इन्हें संकटग्रस्त घोषित किया गया है. इन गिद्ध का भोजन मृत पशु और अन्य जीवों के अंडे होते हैं. एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक उड़ान भरने के कारण यह एक प्रवासी पक्षी माना जाता है.

जीपीएस टैग लगाकर इजिप्शियन गिद्ध उड़ाया गया (Photo courtesy: WWF India)
जीपीएस टैग क्या है? GPS का अर्थ ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम है. इसका इस्तेमाल करके किसी इंसान, पशु, वस्तु और वाहन की सही लोकेशन ट्रेस की जाती है. मोबाइल में भी जीपीएस सिस्टम होता है, जिस कारण हम रास्ते और वाहन की लोकेशन पता कर लेते हैं. ठीक इसी प्रकार इजिप्शियन गिद्ध पर जीपीएस टैग लगाकर उसकी लोकेशन लगातार मिलती रहेगी. इसके पता चलेगा कि वो कितनी दूरी तक करके कहां-कहां जा रहा है. जीपीएस सैटेलाइट से सिग्नल प्राप्त करता है. इससे रियल टाइम ट्रैकिंग होती है.
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