Homeउत्तराखण्ड न्यूजहिंसा नेपाल में, नुकसान उत्तराखंड को, रोजाना 50 लाख का कारोबार ठप,...

हिंसा नेपाल में, नुकसान उत्तराखंड को, रोजाना 50 लाख का कारोबार ठप, बॉर्डर से लगे बाजार हुए सूने


दीपक फुलेरा की रिपोर्ट

खटीमा: नेपाल के Gen Z आंदोलन का असर भारतीय सीमा के बाजारों पर भी पड़ा है. उत्तराखंड में नेपाल सीमा से लगे बाजार जो नेपाली ग्राहकों से फलते-फूलते हैं, वो इन दिनों सूने नजर आ रहे हैं. उत्तराखंड के सीमावर्ती इन बाजारों का 90 प्रतिशत व्यापार नेपाल के भरोसे ही चलता है. ऐसे में व्यापारियों के चेहरे पर चिंता साफ नजर आ रही है.

बनबसा नेपाल सीमा से लगा हुआ आखिरी बाजार है: उत्तराखंड में कुमाऊं मंडल के चंपावत जिले का बनबसा कस्बा नेपाल सीमा से लगा हुआ. इंडो-नेपाल बॉर्डर पर भारत की तरफ से जहां चंपावत जिले का बनबसा कस्बा तो वहीं नेपाल की साइड कंचनपुर जिला मुख्यालय महेंद्र नगर का शहर लगता है. दोनों शहरों के बीच की दूरी करीब 15 किमी है. यानी बनबसा बाजार से नेपाल बॉर्डर की दूरी सात से आठ किमी है, तो वहीं उसी बॉर्डर से नेपाल के महेंद्रनगर शहर की दूरी भी सात से आठ किमी है.

नेपाल हिंसा के बाद सूना हुआ उत्तराखंड का बनबसा बाजार. (ETV Bharat)

90 प्रतिशत कारोबार नेपाल के भरोसे ही चलता है: स्थानीय व्यापारियों की मानें तो महेंद्रनगर शहर से बड़ी संख्या में नेपाली कारोबारी भारत से बनबसा बाजार में खरीदारी करने आते हैं. नेपाल के स्थानीय लोग भी सस्ते सामान के लिए भारत से बनबसा बाजार का ही रुख करते है. ऐसे में कहा जाए तो बनबसा बाजार का 90 प्रतिशत कारोबार नेपाल के भरोसे ही चलता है, लेकिन नेपाल के Gen Z आंदोलन ने जिस तरह से हिंसक रूप लिया, उसके बाद भारत में भी सख्ती बढ़ा दी गई है. इस वजह से भारत-नेपाल के बीच आवाजाही भी पूरी तरह के ठप हो गई है.

Nepal Gen Z movement violence

उत्तराखंड में बनबसा नेपाल बॉर्डर पर भारत का आखिरी बड़ा बाजार है (ETV Bharat)

रोजाना चालीस से पचास लाख का नुकसान: Gen Z आंदोलन की हिंसा के बाद बनबसा से लगे नेपाल के महेंद्रनगर कंचनपुर में वहां के प्रशासन ने शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए कर्फ्यू लगा दिया है, जिससे बनबसा का मीना बाजार तो पूरी तरह धराशाई हो चुका है. बनबसा व्यापार मंडल के अध्यक्ष भरत भंडारी की मानें तो नेपाल से Gen Z आंदोलन के कारण मीना बाजार को रोजाना चालीस से पचास लाख का नुकसान हो रहा है. बाजार में पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है.

Nepal Gen Z movement violence

व्यापारियों को सता रहा त्यौहारी सीजन का घाटा. (ETV Bharat)

बनबसा बाजार से ही नेपाल जाता है रोजाना का सामान: व्यापार मंडल बनबसा के महामंत्री अभिषेक गोयल, व्यापारी पंकज कुमार अग्रवाल और मनोज अग्रवाल ने बताया कि कई व्यापारी तो शाम को चार बजे ही दुकानों को बंद कर अपने घर चले जा रहे हैं. पहले अधिकतर नेपाल के ग्राहक और व्यापारी इस बाजार से नमक, तेल, चीनी, मसाले और परचून का सामान, सब्जी और गुड़ आदि रोजाना की आवश्यक वस्तुएं खरीद कर ले जाते थे. लेकिन अब सन्नाटा है.

त्यौहारी सीजन में दो से तीन करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान: इसके अलावा कपड़े, हार्डवेयर, मोटर पार्ट्स और दवाइयां सहित अन्य महत्वपूर्ण समान भी बनबसा बाजार से ही नेपाल जाता है. व्यापारियों ने दशहरा और दीपावली के हिसाब से पहले ही काफी सामान खरीद रखा है. उन्हें उम्मीद थी कि दशहरा और दीपावली पर बाजार में काफी रौनक रहेगी, लेकिन उससे पहले ही नेपाल के Gen Z आंदोलन ने उनकी रातों की नींद उड़ा दी है.

यदि जल्द ही हालात नहीं सुधरे और बॉर्डर पर ढील नहीं दी गई, तो व्यापारियों को बहुत ज्यादा नुकसान होगा. क्योंकि नेपाल में दशहरा सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है. इस दौरान भारत के बनबसा बाजार में करीब ढाई से तीन करोड़ का रोजाना का व्यापार होता है, जिसकी चिंता बनबसा के सभी व्यापारियों को बहुत ज्यादा सता रही है. इसलिए बनबसा बाजार के व्यापारी नेपाल में जल्द से जल्द हालात सामान्य होने के इंतजार कर रहे हैं. बता दें कि चंपावत जिले के अलावा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला, जौलजीवी, झूलाघाट, व्यासवैली और पंचेश्वर की तरफ बसे सल्ला गांव से नेपाल जाते हैं. इनमें धारचूला, जौलजीवी और झूलाघाट के बड़े बाजार भी नेपाल सीमा पर पड़ते हैं. यहां के बाजारों पर भी नेपाल के हिंसक आंदोलन का असर पड़ा है.

पढ़ें—

एक नजर