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हर्बल व जड़ी-बूटी सेक्टर का गढ़ बनेगा उत्तराखंड! एक्सपर्ट्स करेंगे स्टडी, होगा ये बड़ा काम


सीएम धामी की अध्यक्षता में बैठक. (ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में जड़ी बूटियों की भरमार है, लेकिन अभी तक इन जड़ी बूटियों का संरक्षण करने के साथ ही दोहन करने की दिशा में कोई बेहतर पहल नहीं हो पाई है. इसको देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने निर्णय लिया है कि जड़ी-बूटी और एरोमा सेक्टर में बेहतर काम कर रहे दो राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिसेज़ का अध्ययन करने के लिए विषय विशेषज्ञों की टीम भेजी जाएगी. साथ ही उन राज्यों में किए जा रही बेहतर पहल को प्रदेश में लागू किया जाएगा.

दरअसल, शुक्रवार को सीएम धामी की अध्यक्षता में जड़ी-बूटी सलाहकार समिति की बैठक हुई. बैठक में सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गांवों में क्लस्टर बनाकर हर्बल क्षेत्र में व्यवस्थित रूप से काम किया जाए. उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौजूद हर्बल एवं औषधीय उत्पादों के संवर्धन और प्रोत्साहन पर भी विशेष ध्यान दिया जाए.

साथ ही मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि जड़ी-बूटी और एरोमा सेक्टर में अग्रणी दो राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिसेज़ का अध्ययन किया जाए. इसके लिए राज्य से विषय विशेषज्ञों की टीम उन राज्यों में भेजी जाए, जिससे उत्तराखंड में भी इन नवाचारों को लागू किया जा सके.

सीएम ने कहा कि जड़ी-बूटी के क्षेत्र में टर्नओवर बढ़ाने के लिए अनुसंधान, नवाचार, उत्पादन, विपणन और ब्रांडिंग पर एकीकृत रूप से काम किए जाए. उत्तराखंड का हिमालयी क्षेत्र, प्राकृतिक हर्बल संपदा (Natural herbal wealth) का केंद्र है, जिसके चलते राज्य में जड़ी-बूटी और एरोमा सेक्टर में तमाम संभावनाएं है, जिसको देखते हुए हर्बल इकोनॉमी को विकसित करना सरकार की प्राथमिकता है. किसानों को उनके उत्पाद का अधिकतम लाभ दिलाने, स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ ही महिलाओं को आर्थिकी से जोड़ने की दिशा में ठोस प्रयास किए जाएं.

सीएम ने कहा कि हर्बल उत्पादों की वैल्यू एडिशन, प्रसंस्करण और प्रशिक्षण (Value Addition, Processing and Training) की व्यवस्था करने के लिये पंतनगर विश्वविद्यालय के सहयोग भी लिया जाए. जिन क्षेत्रों में भालू समेत अन्य वन्यजीवों से जनजीवन और फसलों को नुकसान पहुंच रहा है, वहां पर कृषि एवं वन विभागों की संयुक्त टीमें भेजी जाएं. ये टीमें उन क्षेत्रों में जाकर स्थानीय लोगों को सुरक्षा उपायों और फसल संरक्षण के लिए जानकारी प्रदान करें.

इसके साथ ही बैठक में जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने संस्थान की ओर से किए जा रहे अनुसंधान कार्यों, दुर्लभ औषधीय प्रजातियों के संरक्षण, उत्पादन, और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी दी.

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