देहरादून: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के कार्यक्रमों पर 14 जुलाई दोपहर 2 बजे तक लगी को रोक को राज्य निर्वाचन आयोग ने हटा लिया है. ऐसे में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया चुनावी अधिसूचना के अनुसार शुरू की जाएगी. इसमें कोई बदलाव नहीं होगा. हालांकि, अभी भी एक बड़ा सवाल यही बना हुआ है कि उन वोटर या प्रत्याशियों का क्या होगा, जिनका नाम नगर निकाय और पंचायत यानी दोनों ही वोटर लिस्ट में हैं.
दरअसल, इस मामले में 14 जुलाई को उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा है कि जिस भी व्यक्ति को शिकायत है, वो पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद चुनाव याचिका दाखिल कर सकता है. इसकी मुख्य वजह यही है कि 11 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया को नहीं रोका था. हालांकि, राज्य निर्वाचन आयोग के 6 जुलाई के सर्कुलर पर जरूर रोक लगा दी थी.
उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग (ETV Bharat)
इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने 13 जुलाई को हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था, जिसमें आयोग ने ये कहा था कि 11 जुलाई को जारी ऑर्डर में संशोधन किया जाए, नहीं तो इससे चुनाव प्रक्रिया बाधित होगी. इसके बाद 14 जुलाई को राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई.
14 जुलाई को हुई सुनवाई में भी हाईकोर्ट ने इसी बात को दोहराया कि चुनाव प्रक्रिया बाधित नहीं है, और शिकायतकर्ता त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं. इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव को लेकर जारी अधिसूचना के आधार पर ही चुनाव कराए जाने का निर्णय लिया है. जिसके तहत चुनाव चिन्ह आवंटन की प्रक्रिया को भी शुरू कर दिया है. ऐसे में 15 जुलाई को चुनाव चिन्ह आवंटन की प्रक्रिया संपन्न होने तक चलेगी. इसके आगे चुनाव की प्रक्रिया भी चुनावी अधिसूचना के आधार पर की जाएगी.
अब इस मामले में हाईकोर्ट अगली सुनवाई 11 अगस्त 2025 को करेगा. तब तक चुनाव प्रक्रिया संपन्न हो चुकी होगी. नैनीताल हाईकोर्ट की ओर से पंचायत चुनाव प्रक्रिया न रोके जाने के ऑर्डर के बाद राज्य निर्वाचन आयोग में चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया है. ऐसे में इस पूरी चुनाव प्रक्रिया से जिस भी व्यक्ति को दिक्कत है, वो चुनाव संपन्न होने के बाद चुनाव याचिका दाखिल कर सकता है. हालांकि, चुनाव याचिका दाखिल किए जाने के बाद कोर्ट में सुनवाई के बाद जो भी कोर्ट की ओर से निर्णय लिया जाएगा, उस निर्णय के आधार पर कार्रवाई की जा सकती है.

नैनीताल हाईकोर्ट (ETV Bharat)
उत्तराखंड पंचायत चुनाव की अड़चनों पर एक नजर: बता दें कि, उत्तराखंड पंचायत चुनाव में शुरू से ही कोई न कोई पेंच में फंसता रहा है. साल 2024 में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उत्तराखंड सरकार ने पंचायतों को निवर्तमान पदाधिकारी के हवाले कर दिया था, लेकिन इनका 6 महीने का कार्यकाल समाप्त होने से पहले सरकार पंचायत चुनाव की दिशा में आगे नहीं बढ़ पाई, जिसके चलते पंचायती राज विभाग की ओर से प्रशासकों के कार्यकाल को आगे बढ़ाए जाने संबंधित प्रस्ताव को राजभवन भेजा, लेकिन उसका विधिक परीक्षण न होने के चलते राजभवन की ओर से कार्यकाल बढ़ाए जाने संबंधित प्रस्ताव को वापस भेज दिया गया.
पंचायत में आरक्षण को नोटिफिकेशन जारी किया गया: इसके बाद एक्ट में संशोधन करते हुए राज्य सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायतों में 31 जुलाई तक प्रशासकों को तैनात करने का निर्णय लिया. इसके साथ ही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी में सरकार जुट गई. इसके साथ ही पंचायती राज विभाग ने 10 जून को पंचायत में आरक्षण तय किए जाने संबंधित नोटिफिकेशन जारी कर दिया था. ऐसे में जिलों की ओर से पंचायतों का आरक्षण तय करने के बाद 19 जून को पंचायती राज्य विभाग को आरक्षण प्रस्ताव प्राप्त हो गया था और फिर पंचायती राज विभाग ने आरक्षण प्रस्ताव को राज्य निर्वाचन आयोग को सौंप दिया था, जिसके बाद ही पंचायती राज विभाग और राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की दिशा में आगे बढ़ गए.

पंचायत चुनाव की अधिसूचना (ETV Bharat)
21 जून को चुनाव की अधिसूचना जारी हुई: इसके साथ ही 21 जून को राज्य निर्वाचन आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अधिसूचना संबंधित अधिसूचना को जारी कर दिया. अधिसूचना जारी होने के बाद ही प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई.
आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका: इसी दौरान आरक्षण प्रस्ताव को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसके चलते 23 जून को नैनीताल हाईकोर्ट ने चुनावी प्रक्रिया पर रोक लगा दी. नैनीताल हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से 24 जून को चुनाव प्रक्रिया को अग्रिम आदेशों तक स्थगित किए जाने संबंधित आदेश जारी किया गया.
नैनीताल हाईकोर्ट ने 27 जून को दिया था बड़ा फैसला: नैनीताल हाईकोर्ट में कुछ दिनों तक चली इस सुनवाई के बाद 27 जून को नैनीताल हाईकोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया पर लगी रोक को हटा दिया. साथ ही नया चुनावी कार्यक्रम जारी करने के निर्देश दिए थे.
इसके बाद उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग ने 28 जून को संशोधित अधिसूचना जारी की, जिसके तहत दो चरणों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न कराए जाने का निर्णय लिया गया. ऐसे में 24 जुलाई को पहले चरण और 28 जुलाई को दूसरे चरण में मतदान कराए जाने के साथ ही 31 जुलाई को मतगणना की तिथि निर्धारित की गई. इसके बाद चुनावी प्रक्रिया शुरू हो गई.

जब हाईकोर्ट पहुंचा निर्वाचन आयोग (ETV Bharat)
ऐसे में 2 जुलाई से 5 जुलाई तक नामांकन की प्रक्रिया चली. नामांकन की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद 6 जुलाई को राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जिला निर्वाचन अधिकारियों के लिए एक सर्कुलर जारी कर दिया गया, जिसमें यह कहा गया कि किसी भी व्यक्ति का नामांकन इस वजह से खारिज नहीं किया जाएगा कि उसका नाम पंचायत निर्वाचक नामावली के साथ ही नगर निकाय निर्वाचन नामावली में है.
राज्य निर्वाचन आयोग के इस सर्कुलर के बाद विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाए थे. साथ ही इस मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई. इसके बाद 11 जुलाई को नैनीताल हाईकोर्ट में इस पूरे मामले पर सुनवाई हुई की. नैनीताल हाईकोर्ट ने इस बात को कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई गई है, लेकिन पंचायती राज एक्ट के तहत चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराई जाए. ऐसे में 13 जुलाई को राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से नैनीताल हाई कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया. इसके बाद 14 जुलाई को नैनीताल हाई कोर्ट में निर्वाचन आयोग के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान नैनीताल हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि पंचायत चुनाव के प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई गई है. साथ ही शिकायतकर्ता पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद चुनाव याचिका दाखिल कर सकते हैं.
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