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उत्तराखंड: पहले कॉर्बेट जंगल में और अब रिजॉर्ट में अवैध मजारें, नहीं मान रहे सुप्रीम कोर्ट और सरकार का निर्देश


कॉर्बेट सिटी रामनगर। उत्तराखंड में अवैध मजार बनाने का सिलसिला थमा नहीं है। सरकार की सख्ती के बावजूद एक अवैध ढांचा बनाकर उस पर हरी चादर बिछा दी जा रही है। ताजा मामला कॉर्बेट एरिया (जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क) में रिजॉर्ट के भीतर सामने आया है। यहां अवैध रूप से तीन मजारें बना दी गई हैं। मामला संज्ञान में आने पर जिला प्रशासन हरकत में आया है।

उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर प्रशासन ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से अवैध मजारें ध्वस्त कर दी थीं ताकि पर्यटक बाघ देखने आए न कि मजारें। जंगल में अवैध मजारें किसने और कब बनाई ? कहा जाता है इसमें पार्क में रोज जाने वाले जिप्सी चालकों की भूमिका संदेहजनक पाई गई थी। जंगल की भूमि पर अवैध कब्जे के आरोपी कौन-कौन थे, इस बारे में कॉर्बेट प्रशासन ने कभी गहनता से जांच-पड़ताल नहीं की, जबकि कॉर्बेट के जंगल में पैदल चलने की भी मनाही है। जब उक्त मजारें वहां से हटाई गईं तो उनके अंदर किसी में भी किसी तरह के अवशेष नहीं मिले।

बताया जाता है कि अब एक कॉर्बेट व्यू रिजॉर्ट ढेला परिसर में अवैध रूप से मजार बना दी गई है। एक अवैध मजार अशोक टाइगर ट्रेल ढेला रिजॉर्ट  में और एक ढिकुली स्थित लापर्ल रिसॉर्ट में बनी देखी गई है।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि वर्ष 2009 के बाद कोई भी धार्मिक या मजहबी स्थल बिना डीएम की अनुमति के नहीं बनाया जा सकता, चाहे वह सरकारी भूमि हो या निजी, निर्माण या पुनर्निर्माण के लिए डीएम की अनुमति आवश्यक है। इसी क्रम में वर्ष 2016 में भी एक आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया, जिसमें उच्च न्यायालय को निगरानी करने को निर्देशित किया गया है। हाई कोर्ट ने शासन को और जिला प्रशासन को इस बारे में निर्देशित किया है। इसके बाद गृह विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को इस बारे में पत्र जारी किया।

कॉर्बेट सिटी में अवैध मजारों पर उठ रहे सवाल

कॉर्बेट सिटी रामनगर के परगना क्षेत्र में इस तरह की मजहबी संरचनाओं के अवैध निर्माण से कई तरह के सवाल पैदा हुए हैं कि आखिर इन्हें कौन बना रहा है ? क्या किसी षडयंत्र के तहत अवैध मजारें बनाई जा रही हैं? ताकि बाद में इन्हें वक्फ या अपनी संपत्ति घोषित की जा सके? उत्तराखंड में सरकारी भूमि या निजी भूमि पर इस तरह की संरचनाएं बनाकर उन्हें वक्फ संपत्ति पोर्टल में दर्ज करने के उदाहरण मिले हैं। बहरहाल इस मामले में उप जिलाधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि जांच-पड़ताल की जा रही है।

 

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