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वक्फ कानून पर समझें सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला, किन फैसलों पर लगी रोक


नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के सोमवार के फैसले से मुस्लिम समुदाय को बड़ी राहत मिली है. शीर्ष अदालत ने कई धाराओं पर रोक लगाकर सरकार और मुस्लिम समुदाय के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की.

सुप्रीम कोर्ट ने आज वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी, साथ ही यह भी कहा कि कई अन्य प्रावधानों में अंतरिम चरण में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट से पारित अंतरिम आदेश के मुख्य बिंदु

1. इस शर्त पर रोक लगा दी गई है कि किसी व्यक्ति को कम से कम 5 वर्षों तक इस्लाम का अनुयायी होना चाहिए. ये रोक तब तक रहेगी जब तक कि राज्य सरकार इस मुद्दे को लेकर नियम नहीं बना लेती है.

2. अतिक्रमण के विवाद पर सरकारी अधिकारी द्वारा निर्णय लंबित रहने तक सरकार को वक्फ भूमि की मान्यता रद्द करने की अनुमति देने वाले प्रावधानों पर रोक लगा दी गई.

जब तक ट्रिब्यूनल या न्यायालय द्वारा स्वामित्व के प्रश्न का निर्णय नहीं हो जाता, तब तक विवादित वक्फ भूमि प्रभावित नहीं होगी. साथ ही न्यायालय ने कहा कि विवाद का निर्णय होने तक ऐसी भूमि पर किसी तीसरे पक्ष के अधिकार का सृजन नहीं किया जाना चाहिए.

3. निर्देश दिया गया कि केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या 4 से अधिक नहीं हो सकती. राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या 3 से अधिक नहीं हो सकती.

4. राज्य वक्फ बोर्ड के सीईओ के रूप में किसी गैर-मुस्लिम को अनुमति देने वाले प्रावधान पर रोक नहीं लगाई. हालाँकि, न्यायालय ने कहा कि जहां तक संभव हो, किसी मुस्लिम व्यक्ति को नियुक्त किया जाना चाहिए.

5. रजिस्ट्रेशन की शर्त में हस्तक्षेप नहीं किया.

5 वर्षों तक इस्लाम का पालन करने की शर्त पर

धारा 3(1)(r) का यह प्रावधान कि किसी व्यक्ति को वक्फ बनाने के लिए 5 वर्षों तक इस्लाम का पालन करना आवश्यक है, तब तक स्थगित रहेगा जब तक राज्य सरकारें यह निर्धारित करने के लिए कोई तंत्र प्रदान करने हेतु नियम नहीं बना लेतीं कि कोई व्यक्ति 5 वर्षों या उससे अधिक समय से इस्लाम का पालन कर रहा है या नहीं. इस तंत्र के बिना, यह प्रावधान ‘शक्ति के मनमाने प्रयोग’ को बढ़ावा देगा.

हालाँकि, न्यायालय ने यह टिप्पणी की कि पाँच साल की प्रैक्टिस की यह शर्त अपने आप में मनमानी नहीं है, क्योंकि दुरुपयोग को रोकने के लिए यह आवश्यक थी. न्यायालय ने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय से बाहर के किसी भी व्यक्ति द्वारा केवल वक्फ अधिनियम के संरक्षण का लाभ उठाने, लेनदारों को हराने और एक विश्वसनीय समर्पण की आड़ में कानून से बचने के लिए इस्लाम धर्म अपनाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. हालाँकि, चूँकि निर्धारण की कोई व्यवस्था नहीं है, इसलिए न्यायालय ने राज्यों द्वारा नियम बनाए जाने तक इस प्रावधान पर रोक लगा दी.

सरकार के साथ विवाद लंबित रहने के दौरान वक्फ भूमि की मान्यता रद्द करने पर

2. धारा 3सी(2) के इस प्रावधान पर रोक लगा दी गई है कि कथित अतिक्रमण को लेकर सरकार के साथ विवाद में चल रही संपत्ति को तब तक वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा, जब तक सरकार का नामित अधिकारी अतिक्रमण होने के बारे में अपनी रिपोर्ट पेश नहीं कर देता. साथ ही, न्यायालय ने धारा 3सी(3) पर भी रोक लगा दी, जिसमें कहा गया है – ‘यदि नामित अधिकारी यह निर्धारित करता है कि संपत्ति सरकारी संपत्ति है, तो उसे राजस्व अभिलेखों में आवश्यक सुधार करने होंगे और इस संबंध में राज्य सरकार को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी.’

कलेक्टर के फैसले के अधिकार पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने कलेक्टर को प्रॉपर्टी विवाद पर फैसला लेने के अधिकार पर रोक लगा दी है. अदालत ने कहा कि कलेक्टर को संपत्तियों के अधिकार निर्धारित करने की अनुमति देना शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत के विरुद्ध है. कहा कि कार्यपालिका को नागरिकों के अधिकार निर्धारित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.

बोर्डों में गैर-मुस्लिमों के संबंध में

केंद्रीय वक्फ परिषद में 22 में से 4 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे. इसी प्रकार संशोधित वक्फ अधिनियम की धारा 14 के अंतर्गत गठित बोर्ड में 11 में से 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे. बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जो पदेन सचिव है को मुस्लिम समुदाय से नियुक्त करने का प्रयास किया जाना चाहिए.

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