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उत्तराखंड में इस बार पड़ेगी कड़ाके की ठंड! पर्यावरणविद बोले- इंसान से लेकर जीव-जंतु होंगे प्रभावित


अलाव जलाकर खुद को गर्म रखने की कोशिश करते लोग (फोटो सोर्स- ANI)

रोहित डिमरी

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड में इस बार सर्दी का सितम कुछ ज्यादा ही देखने को मिल सकता है. यानी इस बार हाड़ कंपा देने वाली ठंड पड़ेगी. यह पूर्वानुमान भारतीय मौसम विभाग ने जताई है. जिसके बाद पर्यावरणविद और बुद्धिजीवी चिंता में पड़ गए हैं.

पर्यावरणविदों की मानें तो इस साल बारिश भी काफी ज्यादा हुई, जिस कारण बाढ़ जैसे हालात पैदा हुए. अब अत्यधिक ठंड पड़ने का अनुमान जताया गया है. अगर ऐसा हुआ तो इंसान और जीव-जंतुओं के साथ ही पर्यावरण को भी गहरा नुकसान पहुंचने की संभावना है.

सर्दियों में कंपकंपी छुड़ाएगी ठंड: बता दें कि भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने आने वाले दिनों में अत्यधिक ठंडक होने का अनुमान लगाया गया है. जहां इस साल मौसम विभाग ने जब-जब भारी बारिश होने का अनुमान लगाया गया. तब-तब तेज बारिश के कारण बाढ़-आपदा जैसे हालातों का सामना करना पड़ा.

वहीं, अब कंपकंपाती ठंड को लेकर भी परेशान होना पड़ सकता है. मौसम में आए इन बदलावों से जहां पर्यावरणविदों के माथे पर चिंता की लकीरें पड़ने लगी हैं तो वहीं बुद्धिजीवी इसके लिए हिमालयी क्षेत्रों में हो रहे बड़ी-बड़ी परियोजनाओं को कारण मान रहे हैं.

COLD WAVE ALERT IN UTTARAKHAND

पहाड़ों में सर्दियों का मौसम (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

कब से कब तक शीतलहर चलने की संभावना: भारतीय मौसम विभाग ने दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 तक अत्यधिक ठंडक रहने की बात कही है. इसमें खासकर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में ज्यादा असर पड़ेगा. मौसम विभाग की मानें तो इस बार सर्दी में तापमान सामान्य से 0.5-1 डिग्री कम होगा. खासकर जनवरी-फरवरी में ठंडी हवाओं की लहर की संभावना है.

इस साल मौसम का पूर्वानुमान सटीक साबित हुआ है. बेमौसम बारिश आने और अत्यधिक बारिश होने से उत्तरकाशी के धराली, चमोली के थराली और इसके बाद रुद्रप्रयाग जिले के छेनागाड़ में तबाही देखने को मिली है. आपदा में बड़ी संख्या में जनहानि होने के साथ मशुओं को भी नुकसान पहुंचा, जबकि लोगों ने अपने आशियानों तक को खोया है.

COLD WAVE ALERT IN UTTARAKHAND

हिमालय का नजारा (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

मौसम में परिवर्तन का पड़ रहा असर: मौसम परिवर्तन का असर मानव की जीवनशैली पर पड़ ही रहा है. साथ ही जीव-जंतुओं का अस्तित्व भी खतरा मंडरा रहा है. जिसको लेकर पर्यावरणविद गहरी चिंता जता रहे हैं. जबकि, बुद्धिजीवी भी भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं मान रहे हैं.

समय से पहले खिल रहे फूल, बर्फबारी भी पहले हो रही: सीनियर सिटीजन हरीश गुंसाई एवं अनुसूया प्रसाद मलासी ने कहा कि पिछले महीने ही बर्फबारी हुई है, जो बर्फबारी नवंबर और दिसंबर महीने में देखने को मिलती थी, वो अब पहले ही देखने को मिल रही है. मौसम के बदलाव से पेड़ों पर फूल पहले ही देखने को मिल रहे हैं.

हरीश गुंसाई ने कहा कि जून से बारिश की शुरुआत हुई, जो अक्टूबर तक चली. इस साल प्राकृतिक आपदाएं ज्यादा आई हैं. मौसम के मिजाज में अंतर देखने को मिल रहा है. पहाड़ी क्षेत्रों को नुकसान झेलना पड़ रहा है. उत्तराखंड और हिमाचल इसके उदाहरण हैं. अतिवृष्टि से बादलों के फटने की घटनाएं हो रही हैं.

COLD WAVE ALERT IN UTTARAKHAND

केदारघाटी का गांव (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

पहले भूस्खलन की घटनाएं कम होती थी, लेकिन अब पहाड़ी क्षेत्रों में चहुमुखी विकास अनियोजित तरीके से होने के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड़ गया है. हरीश गुंसाई और अनुसूया प्रसाद मलासी का आरोप है कि बेतरतीब निर्माण की वजह से जगह-जगह भूस्खलन हो रहा है.

पहले समय से बारिश होती थी, लेकिन अब ऋतुओं में काफी परिवर्तन आ गया है. ग्रीष्म, बसंत और शीत ऋतुओं में परिवर्तन हुआ है. यह भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं.“- देवी प्रसाद गोस्वामी, केदारघाटी

पर्यावरण विशेषज्ञ देव राघवेंद्र बद्री की मानें तो लगातार मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है. जो भविष्य के ठीक नहीं कहा जा सकता है. मौसम चक्र में गड़बड़ी से इंसान से लेकर वनस्पतियों पर प्रभाव पड़ेगा. इसके अलावा अगर ज्यादा सर्दी पड़ी तो सेहत पर भी असर पड़ सकता है.

मौसम का चक्र बदल रहा है. जहां मौसम विभाग के अनुसार 2024 में अत्यधिक गर्मी दर्ज हुई है तो वहीं इस साल अत्यधिक बारिश देखने को मिली है. मौसम चक्र में गड़गड़ी से इंसानी जीवन के साथ ही जीव-जंतुओं पर भी बुरा असर पड़ा है. जबकि, पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ रहा है. अत्यधिक सर्दी से खून का गाड़ा होना के साथ हार्ट के मरीजों को दिक्कतें हो सकती है. जबकि, वनस्पतियों पर भी इसका नुकसान देखने को मिलेगा.“- देव राघवेंद्र बद्री, पर्यावरण विशेषज्ञ

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