मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने की इन अफसरों को मिली जिम्मेदारी (PHOTO-ETV Bharat)
देहरादून: उत्तराखंड में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं जिस तरह गंभीर स्थिति की तरफ बढ़ती जा रही है, उससे वन महकमा भी अतिरिक्त सतर्कता बढ़ाने को मजबूर हो गया है. स्थित ये है कि पहली बार इस तरह के हालातों पर मुख्यालय के अफसरों को जिलों में विशेष तौर से नियुक्त किया जा रहा है. जिसके तहत विभाग ने गढ़वाल के 4 जिलों में अधिकारी नामित कर दिए हैं.
प्रदेश के पहाड़ी जिलों में गुलदारों का रिहायशी इलाकों तक पहुंचना दहशत की वजह रहा है. केवल रात के समय ही नहीं, बल्कि दिनदहाड़े भी गुलदार घरों के आंगन तक पहुंच रहे हैं. यह हालात न केवल ग्रामीणों के लिए आतंक की वजह रहा है, बल्कि वन विभाग के लिए भी इन स्थितियों ने चुनौतियां बेहद ज्यादा बढ़ा दी है. हालत यह है कि गुलदार के हमलों से परेशान लोगों के सामने भालू के रूप में एक नई मुसीबत आ खड़ी हुई है. जाहिर है कि इसके चलते मानव वन्य जीव संघर्ष के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है, जो अब महकमे के लिए बड़ा सिर दर्द बन गई है.
मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने की इन अफसरों को मिली जिम्मेदारी (VIDEO-ETV Bharat)
खास बात यह है कि लगातार पर्वतीय क्षेत्र से शिकारी वन्यजीवों के हमले की आ रही खबरों के बीच वन विभाग ने मुख्यालय में तैनात अफसरों को भी पहाड़ों पर भेजने का फैसला लिया है. इसके लिए वन मुख्यालय में चार सीनियर अधिकारियों को नोडल अधिकारी के रूप में नामित कर दिया गया है.
इन जिलों में ये अधिकारी नामित: वन विभाग में इसके लिए चार अफसरों को चुना है, जिन्हें अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी देते हुए नोडल नामित किया है. इसमें पौड़ी जिले के लिए अपर प्रमुख वन संरक्षक नरेश कुमार, रुद्रप्रयाग में मुख्य वन संरक्षक राहुल, चमोली जिले में मुख्यमंत्री संरक्षक पीके पात्रो और उत्तरकाशी के लिए सुशांत कुमार पटनायक को नोडल नियुक्त किया गया है.
नोडल अधिकारी को जिम्मा: इन अधिकारियों को मानव वन्य जीव संघर्ष को लेकर बेहतर समन्वय रखने और समयबद्ध राहत के अलावा त्वरित विभागीय कार्रवाई के साथ उच्च स्तर से दिए गए निर्देशों की मॉनिटरिंग का जिम्मा सौंपा गया है. इसके अलावा आदेश में सात बिंदुओं पर नोडल अधिकारियों को कार्रवाई किए जाने के लिए निर्देशित किया गया है.
इसमें संबंधित डीएफओ को मानव वन्य जीव संघर्ष से जुड़ी रणनीतियों और एसओपी के साथ तकनीकी प्रक्रियाओं और प्राथमिकताओं पर यह नोडल अधिकारी मार्गदर्शन देंगे. बेहद ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में विभागीय कार्रवाई की निगरानी भी इनके द्वारा की जाएगी. मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाओं का विश्लेषण करते हुए रिस्क मैपिंग, हॉटस्पॉट का चिन्हिकरण और सुधार आत्मक सुझाव भी उनके द्वारा दिया जाएगा.
पीड़ित परिवारों को तत्काल मुआवजा देने, संघर्ष रोकथाम के लिए जरूरी उपकरणों की स्थिति की समीक्षा करना और बजट की उपलब्धता को देखना, साथ ही जनसुनवाई के दिनों से संबंधित डीएफओ की उपस्थिति सुनिश्चित करना जैसे कामों को भी इनके द्वारा देखा जाएगा. इसके अलावा हर हफ्ते नोडल अधिकारी वन मुख्यालय को मानव वन्य जीव संघर्ष से जुड़ी रिपोर्ट भी भेजेंगे.
इस पर प्रमुख वन संरक्षक हॉफ रंजन कुमार मिश्र बताते हैं कि जिस तरह संघर्ष के मामले बढ़ रहे हैं, उसके बाद नोडल अधिकारियों को नियुक्त करने का फैसला लिया है, जो कि तमाम घटनाओं और स्थितियों पर निगरानी रखेंगे.
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