देहरादून: उत्तराखंड के तीन स्थानों धराली, स्यानाचट्टी और अब थराली में आई आपदा के बाद आपदा प्रबंधन विभाग की चुनौतियां बढ़ गई है. धराली में आई आपदा के बाद धराली क्षेत्र की स्थिति जस की तस बनी हुई है. स्यानाचट्टी में जल भराव की घटना के बाद अभी भी स्थिति धीरे धीरे सामान्य हो रही है. इसी बीच चमोली जिले के थराली में बादल फटने की घटना हो गई है. ऐसे में अब आपदा प्रबंधन विभाग किस फार्मूले के तहत काम कर रहा है आइये आपको बताते हैं.
तीनों ही स्थानों पर आई आपदा न सिर्फ आपदा प्रबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है बल्कि स्थानीय लोगों का जीना भी मुहाल हो गया है. आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से राहत बचाव के कार्य किए जा रहे हैं. अभी भी आपदा प्रभावित क्षेत्रों में स्थित जस की तस बनी हुई है. जिसकी मुख्य वजह यही है कि आपदा इतनी भीषण है कि राहत बचाव कार्यों में काफी अधिक समय और मैन पावर लग रहा है. बावजूद इसके आपदा प्रबंधन विभाग समेत एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना के जवान राहत बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं.
आपदा प्रबंधन विभाग के लिए बड़ी चुनौती (ETV BHARAT)
उत्तरकाशी धराली में 5 अगस्त को आई आपदा के बाद से ही राहत बचाव का कार्य जारी है. आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा धराली क्षेत्र में 5 अगस्त को भीषण आपदा आई थी. जिसके चलते काफी नुकसान हुआ. इसके बाद से ही लगातार उसे क्षेत्र में सर्च अभियान चल रहा है. हल्के वाहनों के लिए सड़क मार्ग को खोल दिया गया है. धराली क्षेत्र में जो जल भराव की स्थिति थी उसके लिए मशीनों के माध्यम से पानी की निकासी की जा रही है. क्षेत्र का जो मुख्य सड़क मार्ग है उसका करीब 150 मीटर हिस्सा अभी भी पानी के अंदर है. उन्होंने बताया क्षेत्र में बड़ी मशीन नहीं पहुंच पा रही है. जिसके चलते काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
उत्तरकाशी के स्यानाचट्टी में 21 जून को जल भराव की स्थिति उत्पन्न हुई. जिसको देखते हुए 22 जून से ही आपदा प्रबंधन समेत अन्य विभाग की टीम लगातार क्षेत्र में काम कर रही हैं. पानी निकासी के लिए जितने भी तरीके हैं उन सभी तरीकों को अपनाया जा रहा है. जिलाधिकारी के साथ तमाम विभागों की टीमें काम कर रही हैं. जिसका नतीजा यह रहा की जलभराव की स्थिति को 4 फीट तक नीचे लाया जा चुका है. इसके साथ ही झील बनने की वजह से लोगों को हुये नुकसान का आकलन भी किया जा रहा है.
गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सोनगाड के पास पुलिस, SDRF, फायर व आपदा प्रबंधन की टीम द्वारा लोगों को राफ्ट के माध्यम सुरक्षित पार करवाया जा रहा है। pic.twitter.com/rjlaLGYbM1
— Uttarkashi Police Uttarakhand (@UttarkashiPol) August 21, 2025
22 अगस्त की रात अत्यधिक भारी बारिश होने की वजह से चमोली जिले के थराली क्षेत्र में आपदा जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई. जिसके चलते थराली क्षेत्र और उसके आसपास के क्षेत्र में काफी अधिक माल वो एकत्र हो गया. थराली क्षेत्र के 10 से 12 घरों में अत्यधिक मलबा भर गया है. इसके साथ ही 25 घरों में पानी और मलबा घुस गया है. एसडीएम रेजिडेंस में भी मलबा भर गया है. दो मकान पूरी तरह से जमीदोंज हो गए हैं. इस आपदा में एक लड़की की मौत हो गई. 6 लोग घायल हैं. आपदा की वजह से थराली क्षेत्र के तमाम सड़कों पर मलबा भर गया है. ऐसे में सुरक्षा को देखते हुए बिजली आपूर्ति को बाधित कर दिया है. हेलीकॉप्टर का सहारा लिया जा रहा है.
गढगाड गदेरे से मलवा आने के कारण यमुना नदी का प्रवाह बाधित होने से स्यानाचट्टी में एक अस्थाई झील बन गयी है, निकासी बाधित होने से जलभराव लगातार बढता जा रहा है। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस द्वारा आस-पास के घर, मकान व होटल खाली करवा दिये गये हैं। pic.twitter.com/q87bK2Nv5b
— Uttarkashi Police Uttarakhand (@UttarkashiPol) August 21, 2025
उत्तराखंड के तीन स्थानों पर पहले से ही आपदा जैसी स्थिति बनी हुई है. वहीं, मौसम विज्ञान केंद्र ने प्रदेश के अधिकांशों में अगले दो से तीन दिनों तक भारी से बहुत भारी बारिश होने का पूर्वानुमान जारी किया है. जिसके चलते आपदा प्रबंधन विभाग की चुनौतियां और अधिक बढ़ गई हैं. इस सवाल पर आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से काफी संवेदनशील है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और मुख्य सचिव की ओर से आपदा प्रबंधन विभाग को निर्देश दिए जा रहे हैं.
🚨 थराली से राहत कार्य की तस्वीरें 🚨
जवान लगातार मलबा हटाकर फँसे वाहनों को निकालने के साथ ही मलबे के नीचे दबे लोगों/सामानों की तलाश कर रहे हैं। pic.twitter.com/D19rrrIZcm
— Chamoli Police Uttarakhand (@chamolipolice) August 23, 2025
आपदा प्रबंधन सचिन ने कहा आपदा की दृष्टिगत जो भी जरूरी कार्रवाई हैं उसके निर्देश दिए जा रहे हैं. आपदा सीजन को देखते हुए विभाग के साथ ही सभी संबंधित विभागों को अलर्ट मोड पर रखा जाता है. वर्तमान समय में आपदा प्रबंधन विभाग की टीमें तीनों ही आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पूरी क्षमता के साथ काम कर रही हैं. साथ ही कि राहत बचाव की टीमों को पहले ही जनपद स्तर पर बांट दिया गया था. ऐसे में टीमों को शिफ्ट करने की जरूरत नहीं पड़ी.
संबंधित खबरें पढ़ें-