नवीन उनियाल, देहरादून: पहाड़ों पर अब बारह महीने भालू का आतंक पसरा हुआ है. यूं तो मांस के अलावा सब्जियां और शाकाहारी भोजन भी भालुओं की पसंद है, लेकिन बदलते स्वभाव के चलते भालुओं के हमलों ने पहाड़ों पर नई मुसीबत खड़ी कर दी है. आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि भालू शाकाहारी भोजन की जगह खूंखार शिकारी में तब्दील हो रहा है. जानिए क्या कह रहे अफसर?
पौड़ी जिले के सतपुली में भालू के आतंक की खबरें अभी चर्चा में ही थी कि रुद्रप्रयाग से भी दिल दहला देने वाली घटना सामने आ गई. यहां दो महिलाओं पर भालू ने हमला कर उन्हें लहूलुहान कर दिया. गंभीर रूप से घायल महिलाओं को जिला अस्पताल रुद्रप्रयाग में भर्ती कराया गया. जहां उनकी स्थिति नाजुक बनी हुई है. वैसे उत्तराखंड के पहाड़ों में यह कोई नई घटना नहीं है, लेकिन चिंता भालू के उस बदलते हुए स्वभाव को लेकर बढ़ रही है, जो उन्हें आक्रामक शिकारी के रूप में पहचान दिला रहा है.
जनपद पौड़ी गढ़वाल के पैठाणी रेंज में भालू के आतंक पर काबू पाने के लिए प्रशासन और वन विभाग द्वारा संयुक्त अभियान चलाया जा रहा है। टीम पैठाणी रेंज के अंतर्गत भालू प्रभावित क्षेत्रों में लगातार गश्त कर रही है। भालू को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाने के साथ ही ड्रोन और ट्रैप कैमरों से… pic.twitter.com/qPXnTRDz69
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) September 7, 2025
अपने मूल स्वभाव को छोड़कर खूंखार शिकारी बन रहा भालू: वन विभाग भी खुद मान रहा है कि सतपुली में जिस तरह भालू ने आतंक मचाया है, वो पहले कभी नहीं देखा गया. भालू के हमले का मौके पर रिकॉर्ड और स्थितियां यह बता रही है कि वो अपने मूल स्वभाव को छोड़कर खूंखार शिकारी बन गया है और पूरी तरह से मांसाहारी वन्य जीव के रूप में व्यवहार कर रहा है. इन स्थितियों को देखकर खुद वाइल्ड लाइफ से जुड़े वन विभाग के अधिकारी भी हैरान हैं.
अपने बच्चों के साथ भालू (फाइल फोटो- Villagers of Agoda)
“सतपुली में इतने मवेशियों पर भालू का इतने कम समय में हमला करना पहली बार दिखाई दिया है. घटना के बाद वन विभाग ने मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू करने के अलावा भालू को पकड़ने के लिए टीम तैनात कर दी है. भालू के लिए पिंजरा लगाया गया है और यदि इसके बाद भी यह भालू नहीं पकड़ा जाता है तो इसे नष्ट करने के आदेश भी दे दिए गए हैं. भालू अब जिस तरह आक्रामक रूप दिखा रहा है, उससे स्कूल जाने वाले बच्चों और दूसरे लोगों को भी खतरा पैदा हो गया है. जिसका खौफ भी क्षेत्रीय लोगों में दिखाई दे रहा है.“- आरके मिश्रा, पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ, उत्तराखंड वन विभाग
हाइबरनेशन से पहले भरपूर खुराक की तलाश में भालू: यह समय वैसे भी भालुओं के लिहाज से बेहद अहम है. दरअसल, यह वक्त भालुओं के शीत निद्रा (Hibernation) में जाने से ठीक पहले का है और इस समय भालू शीत निद्रा में जाने की तैयारी करता है. यानी इतना भोजन जुटाता है, ताकि अगले करीब तीन से चार महीने में शीत निंद्रा (हाइबरनेशन) पर रहने के दौरान उसे कोई दिक्कत ना हो, लेकिन परेशानी इस बात की है कि भालुओं के बदलते स्वभाव के कारण अब बारह महीने ही भालू पहाड़ों पर सक्रिय दिखाई दे रहे हैं और हमलावर भी हो रहे हैं.
क्या है भालुओं की शीत निद्रा? शीत निद्रा यानी हाइबरनेशन जीवन बचाने के लिए जरूरी है. सर्दियों में कड़ाके की ठंड के दौरान कुछ जानवर, पक्षी या सरीसृप जमीन के नीचे या ऐसी जगह छिप जाते हैं, जहां वो ठंड से बचे रहते हैं. भालू भी गुफा या मांद में छिप जाते हैं. जहां उनके शरीर में मौजूद चर्बी ही भालू को जिंदा रखती है. इसके लिए हाइबरनेशन से पहले उसे भरपूर खाना होता और खूब सारी चर्बी जमा करनी होती है. हाइबरनेशन के दौरान भालू के दिल की धड़कन भी हल्की या धीमी हो जाती है. लिहाजा, कोई काम ना करने की वजह से भालू को ज्यादा ऊर्जा की जरूरत नहीं होती है. माना जाता है कि करीब 3 महीनों तक भालू इस समय बिना खाए रह सकता है. |
वहीं, बर्फीला या सर्द मौसम खत्म होने के बाद भालू फिर से सक्रिय हो जाता है. फिर से पहले की तरह गतिविधियों में जुट जाता है, लेकिन अब इसी हाइबरनेशन के समय में भालू में व्यावहारिक रूप से बदलाव देखने को मिल रहा है. भालू जंगलों से निकल कर खेतों और बस्तियों तक पहुंच रहा है. कई जगहों पर तो भालू मवेशियों को मारने के अलावा इंसान के फेंके कूड़े को टटोलते भी नजर आ रहा है, जो कि गंभीर और चिंता का विषय है.

उत्तरकाशी में भालू के हमले में महिला घायल (फाइल फोटो- ETV Bharat)
आंकड़ों के रूप में यदि इस बात को समझना चाहे तो उत्तराखंड में पिछले 25 सालों के दौरान भालू 68 लोगों को मौत के घाट उतार चुका है. इतना ही नहीं 1,972 लोग ऐसे हैं, जिन पर भालुओं ने हमला करते हुए उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया. यानी 25 सालों में 2,000 से ज्यादा लोगों पर भालू हमला कर चुके हैं.
यह आंकड़ा केवल इंसानों पर हुए हमले का है, जबकि मवेशियों पर भालू के इसके मुकाबले कई गुना ज्यादा हमले हो चुके हैं. इन 25 सालों में ऐसे साल भी हैं, जब भालू के हमले सालाना 100 से भी ज्यादा रहे. इसमें साल 2009 में 120 लोगों को भालू ने घायल किया. साल 2012 में 119, साल 2013 में 115, साल 2014 में 103, साल 2016 में 106 लोगों को भालू ने घायल किया.
भालू के हमले में घायल लोगों की संख्या: पिछले कुछ सालों की बात करें तो साल 2025 में जहां 28 लोग भालू के हमले में अब तक घायल हो चुके हैं तो वहीं 2024 में 65, 2023 में 53 और 2022 में 57 लोग भालू के हमले में घायल हुए हैं. इसके अलावा कुछ अन्य लोग भी हमले में घायल हो सकते हैं. जो रिकॉर्ड में ही नहीं आ पाए.

अगोड़ा गांव के पास नजर आए भालू (फाइल फोटो- Villagers of Agoda)
भालू के हमले में मौत के आंकड़े: मौत के आंकड़ों को देखें तो साल 2025 में अब तक 3 लोगों की जान जा चुकी है. इसी तरह भालू के हमले में साल 2024 में 3 लोगों की जान गई. हालांकि, 2023 में एक भी घटना में किसी की मौत नहीं हुई. जबकि, 2022 में 1 व्यक्ति की भालू के हमले में मौत हुई.
🐻 भालू के खतरे से रहें सावधान 🐻
चमोली में जंगली भालुओं की गतिविधियाँ देखी जा रही हैं।
👉 अकेले जंगल न जाएँ,
👉 रात में बाहर रोशनी रखें,
👉 टॉर्च/डंडा साथ रखें,
👉 खाने का सामान खुले में न छोड़ें,
👉 भालू दिखे तो शांत रहें व 112/वन विभाग को सूचना दें।
सतर्क रहें, सुरक्षित रहें। pic.twitter.com/QbDUhjnHMl— Chamoli Police Uttarakhand (@chamolipolice) September 6, 2025
गुलदार के बाद भालू के हमले में सबसे ज्यादा लोग हो रहे घायल: भालुओं के हमले को लेकर यह आंकड़े बताते हैं कि भालू के हमले इंसानों को ज्यादातर गंभीर घायल कर रहे हैं. सभी वन्यजीवों के मुकाबले देखें तो भालू ऐसा दूसरा वन्य जीव है, जिसके कारण सबसे ज्यादा इंसान घायल हो रहे हैं. इंसानों को घायल करने के मामले में गुलदार सबसे ऊपर है. जो पिछले 25 सालों में 2,105 लोगों को घायल कर चुका है.
“भालुओं का स्वभाव काफी ज्यादा बदलता हुआ दिखाई दिया है. जहां तक इंसानों को घायल करने की बात है तो भालू किसी को भी सामने देखा है तो उसे अपने रास्ते में देखकर फौरन उस पर हमला कर देता है. इस दौरान जो भी उसके सामने आता है, वो उसे घायल करते हुए आगे निकल जाता है.“- आरके मिश्रा, पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ, उत्तराखंड वन विभाग
ये भी पढ़ें-
- उत्तराखंड के भालू हुए बवाली, खतरनाक ढंग से बदल रहा हाइबरनेशन, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान
- उत्तराखंड में यहां भालू ने दो महिलाओं पर किया हमला, हेलीकॉप्टर से पहुंचाया गया अस्पताल
- उत्तराखंड में भालू के हमले में ग्रामीण की मौत, लोगों का जंगल जाना हुआ मुश्किल
- उत्तरकाशी वासी सावधान! इस इलाके में दिनदहाड़े घूम रहे भालू, ग्रामीणों के उड़े होश
- सल्ट क्षेत्र में भालू का आतंक, दो महिलाओं समेत तीन लोगों पर हमला, हालत गंभीर
- उत्तरकाशी में भालू ने किया युवक पर हमला, हालत गंभीर, हायर सेंटर रेफर
- ऋषिकेश में मकान में आ घुसा विशालकाय भालू, लोगों के उड़े होश
- चौबट्टाखाल में गाय चरा रहे ग्रामीण पर भालू ने किया हमला, अस्पताल में चल रहा इलाज
- कब थमेंगे वन्यजीवों के हमले? उत्तरकाशी में भालू ने ग्रामीण पर किया हमला
- उत्तरकाशी में भालू के हमले में ग्रामीण घायल, 12 किमी पैदल चलकर डंडी कंडी से पहुंचाया अस्पताल