उत्तरकाशी: उत्तराखंड में पर्यटन और धार्मिक स्थल तो कई है, लेकिन कुछ जगहें अपने अंदर गहरा रहस्य समेटे हुए है. इसी तरह की एक जगह के बारे में आज हम आपको बताते है, जिसका रहस्य बड़ा ही रोचक है. जिस जगह की हम बात कर रहे है, वो उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में पड़ती है.
हम बात कर रहे है उत्तरकाशी जिले के गाजणा क्षेत्र में स्थित नचिकेता ताल की. करीब समुद्रतल से करीब आठ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित नचिकेता ताल जहां अपने प्राकृतिक नैसर्गिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है, तो धार्मिक दृष्टिकोण से यह इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह ताल अपने आप में मृत्यु के रहस्य को छुपाए हुए है.
झील के पास मौजूद गुफा को कहा जाता है यमद्वार: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऋषि कुमार नचिकेता को यमराज ने इसी ताल के किनारे पर मृत्यु के रहस्य की जानकारी साझा की थी. इसलिए इस ताल का नाम भी नचिकेता ताल है. नचिकेता ताल करीब एक किमी में फैली झील है. इस झील के किनारे नाग देवता सहित ऋषि कुमार नचिकेता की तपस्थली मानी जाती है. वहीं इस तपस्थली से कुछ दूरी पर एक छोटी सी गुफा है, जिस यमद्वार के रूप में जाना जाता है.
इतिहास गुलाब सिंह नेगी ने बताई झील से जुड़ी पौराणिक मान्यता: उत्तरकाशी के इतिहास के जानकार गुलाब सिंह नेगी ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बाजस्रवा नाम के एक ऋषि हुआ करते थे. वह एक बार यज्ञ करते हुए गाय दान कर रहे थे, लेकिन वह दूध न देनी वाली गाय दान कर रहे थे. तब उनके पुत्र नचिकेता को यह बुरा लगा कि कहा कि अगर मैं भी आपके किसी काम नहीं रहा तो आप मुझे किसे दान करोगे. तब बजस्रवा ऋषि ने गुस्से में अपने बेटे को यमराज को दान कर दिया था.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नचिकेता यमलोक पहुंचे, लेकिन वहां पर यमराज के न मिलने पर उन्होंने तीन दिन तक उनका इंतजार किया. जब यमराज वापस पहुंचे तो उन्होंने उस बालक से तीन चीजें मांगने को कहा. तब नचिकेता ने पहला अपने पिता के क्रोध को शांत करने सहित यज्ञ विधि की जानकारी मांगी.
वहीं तीसरी चीज उन्होंने मृत्यु और उसके बाद के रहस्य की जानकारी यमराज से मांगी, लेकिन यमराज ने यह रहस्य बताने से मना कर दिया और कहा कि यह गोपनीय है. उसके बाद नचिकेता ने केदारखंड में उल्लेखित चौरंगीखाल के समीप ताल के किनारे यमराज की तपस्या की. नचिकेता की तपस्या से यम खुश हुए और उन्होंने उसी जगह पर नचिकेता को मृत्यु की रहस्य की जानकारी दी. बाद में उस ताल को नचिकेता ताल के नाम से जाना जाता है. यहीं पर हर साल नाग देवता के मेले के आयोजन के साथ नचिकेता की पूजा भी की जाती है.
कैसे पहुंचे नचिकेता ताल: नचिकेता ताल पहुंचने के लिए आप उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर चौरंगी खाल तक वाहन से जा सकते है. चौरंगी खाल पहुंचने पर चौरंगी देवता के दर्शन करने के बाद बांझ बुरांस के घंने जंगलों से तीन किमी पैदल मार्ग से होते हुए नचिकेता ताल पहुंचतें है. जिसके बाद यहां नचिकेता ताल के दर्शन किया जाता है. उत्तरकाशी जिला मुख्यालय के सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन देहरादून और ऋषिकेश है. वहीं एयरपोर्ट की बात करें तो वो देहरादून का जौलीग्रांट एयरपोर्ट है. देहरादून से उत्तरकाशी की दूरी करीब 191 किमी है.
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