देहरादून (किरणकांत शर्मा): उत्तराखंड में मॉनसून के दौरान एक के बाद एक भूकंप के झटके पहाड़ को कमजोर कर रहे हैं. हालांकि, हिमालय क्षेत्र में भूकंप आना कोई नई बात नहीं है. लेकिन मॉनसून के दौरान यह भूकंप भूस्खलन का कारण बन रहे हैं. उत्तराखंड से लेकर हिमाचल प्रदेश में ऐसी ही कुछ घटनाओं पर वैज्ञानिक नजर बनाए हुए हैं.
मॉनसून का दुश्मन बना भूकंप: जून और जुलाई महीने में हिमाचल प्रदेश से लगते उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के अलावा प्रदेश के चमोली, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ जैसे जिलों में भूकंप के झटके कई बार महसूस किए गए. हालांकि, इनकी तीव्रता 2.7 से 3.03 मैग्नीट्यूड रही है. लेकिन बारिश के बाद चटक धूप से जो पहाड़ बारिश की तेज बूंदों से कच्चे हो गए हैं, उनके गिरने की आशंका ज्यादा बनी हुई है. ऐसे में वाडिया इंस्टीट्यूट के कई वैज्ञानिक भूकंप और भूस्खलन दोनों पर अध्ययन कर रहे हैं.
उत्तराखंड में मॉनसून 2025 के दौरान आए भूकंप. (PHOTO- ETV Bharat)
देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ. एससी विदेश्वरन बताते हैं कि, हाल के दिनों में कुछ भूकंप के झटके हमने उत्तराखंड में महसूस किए. हालांकि, हिमालय क्षेत्र में भूकंप आना कोई नई बात नहीं है. लेकिन मॉनसून के दिनों में यह भूकंप पहाड़ के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं.
ऐसा नहीं है कि अगर 1 मैग्नीट्यूड या उससे कम तीव्रता का भूकंप आता है तो पहाड़ों को उससे कोई नुकसान नहीं हो सकता. जबकि हमने अध्ययन में पाया है कि एक मैग्नीट्यूड और उससे कम तीव्रता के भूकंप में भी पहाड़ों के खिसकने की घटनाएं हुई हैं. अभी उत्तराखंड के गढ़वाल में जिस तरह से बारिश लगातार हो रही है और अगर ऐसे में भूकंप आता है तो न केवल भूस्खलन, बल्कि ऊपरी हिमालय में एवलांच की घटनाएं भी बढ़ेंगी.
– डॉ. एससी विदेश्वरन, वैज्ञानिक, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी –
डॉ. एससी विदेश्वरन का कहना है कि वाडिया इंस्टीट्यूट इस पर बहुत डिटेल से स्टडी कर रहा है. हाल ही के दिनों में हमने यह देखा है कि जिन जिन जिलों में छोटे-मोटे भूकंप आए हैं, वहां पर भूस्खलन की घटनाएं अधिक हुई हैं. उदाहरण के तौर पर उत्तरकाशी जिला और चमोली जिले में बीते 45 दिनों में कई भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं. इसलिए छोटा या बड़ा भूस्खलन पहाड़ के लिए सही नहीं है.
भूकंप वैज्ञानिक क्या बोले: वहीं, वाडिया इंस्टीट्यूट के भू-वैज्ञानिक डॉ. नरेश का कहना है कि इतने छोटे भूकंप जो हाल फिलहाल में आए हैं, उनसे सीधे तौर पर बहुत बड़ा असर नहीं पड़ता. हां, यह जरूर है कि भूकंप जब अपनी एनर्जी रिलीज करता है तो प्लेट्स आपस में टकराती हैं, जिससे छोटी-मोटी घटनाएं भूकंप की हो सकती हैं.
अभी हम सीधे तौर पर यह नहीं कह सकते हैं कि हिमाचल और उत्तराखंड में जो भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं, वह भूकंप की वजह से ही हुई हैं. हां, इतना जरूर है कि मॉनसून के दौरान जिन पहाड़ों में गैप होता है, वहां पर पानी भरने की वजह से पत्थर गिरने और भूस्खलन की घटनाएं होती हैं. लेकिन उत्तराखंड में एक के बाद एक आए भूकंप को देखकर ये अंदाजा लगा सकते हैं कि भविष्य में हिमालय क्षेत्र में कोई बड़ा भूकंप जरूर आ सकता है.
– डॉ. नरेश, भू-वैज्ञानिक, वाडिया इंस्टीट्यूट –
डॉ. नरेश मानते हैं कि अब ये बेहद जरूरी है कि सरकार उन भवनों का ध्यान रखे, जो पहाड़ों में 30 या 40 साल पुराने हो गए हैं. इसके अलावा जो भी नए भवन बनें वो भूकंप रोधक हों.
उत्तराखंड में मॉनसून 2025 के दौरान आए भूकंप
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भूस्खलन की घटनाएं: जून और जुलाई में उत्तराखंड में भूस्खलन की घटनाओं का रिकॉर्ड देखा जाए तो उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली जिले में ही 45 से ज्यादा घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं. इसमें छोटी-बड़ी दोनों घटनाएं शामिल हैं. सबसे ज्यादा घटना उत्तरकाशी में रिकॉर्ड की गई है. यहां पर भूस्खलन की वजह से कुछ लोगों की जान भी गई है. इसके साथ ही रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के उन क्षेत्रों में भूस्खलन से दिक्कतें ज्यादा पैदा हुई हैं, जो जगह सड़क मार्ग के करीब हैं.
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