देहरादून: UKSSSC द्वारा आयोजित कराई गई स्नातक स्तरीय पदों के लिए लिखित प्रतियोगी परीक्षा के प्रश्न पत्रों के फोटो आउट होने की गुत्थी आज दून पुलिस ने सुलझाने का दावा किया. दून पुलिस ने पेपर लीक के मास्टर माइंड खालिद मलिक जिसे मंगलवार को हरिद्वार से गिरफ्तार किया गया था, उससे पूछताछ के बाद ये खुलासा किया.
पेपर लीक के मास्टर माइंड खालिद ने किए कई खुलासे: पुलिस के अनुसार पेपर लीक के मास्टर माइंड खालिद मलिक की गिरफ्तारी के बाद कई जानकारियों उसने दी हैं. आरोपी ने नकल करने के लिए चार जगहों से आवेदन किया था. चार आवेदन में से पेपर आउट करने के लिए एक परीक्षा केंद्र को चिन्हित किया था. साथ ही परीक्षा से पहले खालिद मलिक ने परीक्षा केंद्र की रेकी की थी. इस दौरान परीक्षा केंद्र में एक दिन पहले साढ़े छह फीट की दीवार फांद कर मोबाइल छिपाया था. परीक्षा के दिन पेपर आउट की घटना को अंजाम दिया था. पुलिस के अनुसार हालांकि खालिद मलिक नकल करने में कामयाब नहीं रहा. वहीं पुलिस का कहना है कि विवेचना में जो भी अन्य साक्ष्य प्राप्त होंगे उनको भी संज्ञान में लेकर अग्रिम कार्रवाई की जायेगी.
#WATCH | Dehradun, Uttarakhand: On the UKSSSC graduate-level exam paper leak, DGP Deepam Seth says, ” sit (special investigation team) will remain free and independent to probe all the facts. sit head and sp (rural), dehradun, jaya baluni, will brief everyone…she is fully… pic.twitter.com/GuusJe2vjh
— ANI (@ANI) September 24, 2025
21 सितंबर को यूकेएसएसएससी परीक्षा का पेपर लीक हुआ था: बता दें कि 21 सितंबर को UKSSSC द्वारा आयोजित कराई गई स्नातक स्तरीय पदों के लिए लिखित प्रतियोगी परीक्षा के प्रश्न पत्रों के फोटो को अज्ञात व्यक्ति द्वारा आउट करने और उनके स्क्रीनशॉट को कुछ सोशल मीडिया एकाउंट्स पर प्रसारित किए गए थे. इस सम्बन्ध में UKSSSC द्वारा दिए गए शिकायती पत्र की एसआईटी द्वारा जांच के बाद एसआइटी रिपोर्ट के आधार पर थाना रायपुर पर उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम एवं रोकथाम के उपाय) अध्यादेश 2023 के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया था. जिसकी विवेचना एसपी देहात ऋषिकेश द्वारा की जा रही है.
ऐसे हुआ था खालिद मलिक के नाम का खुलासा: विवेचना के दौरान 23 सितंबर को मुख्य आरोपी खालिद मलिक की बहन साबिया को पुलिस ने पूछताछ कर गिरफ्तार किया. उससे पूछताछ में उसके द्वारा अपने भाई खालिद मलिक के कहने पर प्रश्नों की फोटो को खालिद के मोबाइल से महिला असिस्टेंट प्रोफेसर को भेजे जाने और असिस्टेंट प्रोफेसर से प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर वापस खालिद को भेजे जाने की बात बताई गई. प्रकरण में फरार आरोपी खालिद की तलाश के लिए देहादून, हरिद्वार पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त टीमों द्वाका लगातार उसके सम्भावित ठिकानों पर दबिशें दी जा रही थी.
23 सितंबर को गिरफ्तार हुआ था खालिद मलिक: जिसके बाद 23 सितंबर को संयुक्त टीमों ने आरोपों खालिद को हिरासत में लिया. पुलिस ने खालिद मलिका को थाना रायपुर पर लाकर उससे घंटों पूछताछ करने के बाद उसे गिरफ्तार किया गया. आरोपी के कब्जे से पुलिस को प्रश्न पत्रों के फोटो आगे भेजने के लिए साबिया द्वारा इस्तेमाल किया गया आरोपी का मोबाइल फोन बरामद हुआ, जिसको फॉरेंसिक जांच के लिए एफएसएल भेजा जा रहा है.
योजना कैसे बनाई? आरोपी खालिद मलिक ने साल 2013 में राजस्थान की निजी यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा लिया था. साल 2013 से 2015 तक हापुड़, उत्तर प्रदेश से स्नातक की डिग्री ली थी. आरोपी पहले दी गई प्रतियोगी परीक्षाओं में कुछ नंबरों से चयनित होने से चूक गया था. जिस पर आरोपी ने स्नातक स्तरीय परीक्षा से पहले किसी तरह मोबाइल को परीक्षा केन्द्र के अन्दर छिपाकर उसके माध्यम से किसी बाहरी व्यक्ति से सम्पर्क कर प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर नकल करने की योजना बनाई. आरोपी की योजना थी कि वह अलग-अलग जनपदों से परीक्षा के लिए आवेदन करेगा और जिस किसी परीक्षा केन्द्र में उसे मोबाइल ले जाने अथवा पहले से ही छिपा कर रखने का मौका मिलेगा, वह परीक्षा केन्द्र से परीक्षा में शामिल होगा.
असिस्टेंट प्रोफेसर से कैसे हुई थी मुलाकात? योजना के मुताबिक आरोपी खालिद मलिक को एक ऐसे व्यक्ति की तलाश थी, जो उसे प्रश्नों के उत्तर बता सके. इसके लिए उसने टिहरी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त महिला से सम्पर्क किया. जिससे उसकी मुलाकात साल 2018 से 2021 तक पीडब्ल्यूडी में संविदा पर कनिष्ठ अभियंता के पद पर नियुक्त रहने के दौरान हुई थी. उस समय वो महिला नगर निगम ऋषिकेश में टैक्स इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त थी और उनके पति पीडब्ल्यूडी में ही ठेकेदारी का कार्य करते थे.
महिला असिस्टेंट प्रोफेसर को बनाया सॉल्वर: आरोपी को जानकारी थी कि महिला प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करती रहती थी और उसे प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नों की अच्छी जानकारी थी. आरोपी ने परीक्षा से कुछ दिन पहले महिला से फोन पर वार्ता कर अपनी बहन के एग्जाम की तैयारी के लिए सहयोग करने और उसकी बहन द्वारा अपनी शंकाओं के सम्बंध में उनसे सम्पर्क करने पर उसकी सहायता का अनुरोध किया गया था, जिसकी पुष्टि साक्ष्यों में भी हुई है.
नकल के लिए आरोपी ने चार जगह से किया आवेदन: पुलिस के अनुसार, योजना के तहत आरोपी खालिद मलिक ने स्नातक स्तरीय परीक्षा के लिए 04 आवेदन किए. जिसमें 02 आवेदन जनपद टिहरी गढ़वाल और 02 आवेदन जनपद हरिद्वार से किए गए थे. जिनमें आरोपी को 02 परीक्षा केन्द्र जनपद टिहरी और 02 परीक्षा केन्द्र जनपद हरिद्वार में आदर्श बाल सदन इण्टर कॉलेज बहादुरपुर जट हरिद्वार और धनपुरा हरिद्वार में मिले. जिसमें से आदर्श बाल सदन इण्टर कॉलेज बहादुरपुर जट आरोपी के घर के पास में ही था.
परीक्षा केंद्र के अंदर कैसे गया मोबाइल? 17 सितंबर को आरोपी बहादुरपुर जट स्थित आदर्श बाल सदन इण्टर कॉलेज में परीक्षा केन्द्र को देखने के बहाने रेकी करने गया. लेकिन उस दिन अवकाश होने और गेट बंद होने के कारण वह अन्दर नहीं जा पाया. परीक्षा से एक दिन पहले 20 सितंबर को आरोपी खालिद मलिक दोपहर के समय परीक्षा केन्द्र में गया और परीक्षा के सम्बंध में आवश्यक जानकारी लेकर वापस आ गया.
परीक्षा केंद्र की दीवार फांदकर छिपाया था मोबाइल: पुलिस के अनुसार इस दौरान आरोपी को परीक्षा केन्द्र के अन्दर नई बिल्डिंग का निमार्ण कार्य चलने की जानकारी हुई. जिस पर शाम के समय आरोपी ने परीक्षा केन्द्र के पीछे खेत की साढ़े छह फुट की बाउंड्री से परीक्षा केन्द्र में प्रवेश किया. अपने साथ लाए I-Phone 12 Mini को स्विच ऑफ कर स्कूल की नई बिल्डिंग के निमार्णाधीन हिस्से में ईंटों ओर घास के बीच छिपाकर रख दिया, जो परीक्षा कक्ष से बहुत दूर नहीं था, तथा वापस अपने घर आ गया.
अपनी योजना में बहन को किया शामिल: अपनी योजना के मुताबिक आरोपी ने 21 सितंबर की सुबह असिस्टेंट प्रोफेसर से व्हाट्सएप मैसेज के माध्यम से सम्पर्क किया. आरोपी द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर से सम्पर्क कर उसे व्हाट्सएप पर कुछ प्रश्न की फोटो भेजने ओर उनके उत्तर उसकी बहन को वापस भेजने का अनुरोध किया. परीक्षा से पहले खालिद अपने मोबाइल को अपनी बहन साबिया को देकर परीक्षा देने चला गया. जिसे पहले से ही उसके द्वारा प्रश्नों के फोटो भेजने पर फोटो को असिस्टेंट प्रोफेसर को फारवर्ड कर उससे उनके उत्तर प्राप्त करने और उन्हें वापस उसी नम्बर पर भेजने के लिए बताया गया था.
परीक्षा केंद्र के कमरे में बैठ कर किस तरह से नकल को दिया अंजाम: पुलिस के अनुसार परीक्षा केन्द्र में पहुंचने पर चेकिंग और फ्रिक्सिंग के बाद खालिद ने निमार्णाधीन बिल्डिंग में जाकर पहले से छुपाए गए मोबाइल को निकालकर अपनी जैकेट (विंडचीटर) की जेब में डाल दिया और अपने कमरे की सीट पर जाकर बैठ गया. चूंकि आरोपी ने पहले भी प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिभाग किया था, तो उसे जानकारी थी कि परीक्षा शुरू होते ही सभी अभ्यर्थी प्रश्नपत्र को पढ़ने में और सभी इनविजिलेटर छात्रों की ओएमआर शीट चेक करने में व्यस्त हो जाते हैं.
ऐसे किया पेपर आउट: इस पर आरोपी ने परीक्षा शुरू होते ही मौका देखकर प्रश्न पत्र के 03 पन्नों के फोटो खींच लिए, परन्तु इनविजिलेटर और अन्य अभ्यर्थियों द्वारा देखे जाने के डर से घबराहट में वह प्रश्न पत्र के और पेजों की फोटो नहीं खींच पाया. उसके बाद आरोपी ने कक्ष नियंत्रक से बाथरूम जाने की अनुमति लेकर बाथरूम से फोटो को साबिया को भेज दिया. जिसके द्वारा फोटो को असिस्टेंट प्रोफेसर को भेजते हुए उसके उत्तर प्राप्त कर वापस खालिद को भेजे गए. लेकिन कक्ष में मोबाइल को बाहर निकालने का मौका न मिलने और इनविजिलेटर द्वारा दोबारा आरोपी को बाथरूम जाने की अनुमति न देने के कारण वह मोबाइल से प्रश्नों के उत्तर देखकर ओएमआर शीट में नहीं भर पाया. ओएमआर शीट में अपने मन से प्रश्नों के उत्तर भरकर बाहर आ गया. आरोपी द्वारा प्रश्नों के उत्तर न देखे जाने के सम्बंध में बताई गई बातों की पुष्टि के लिए पुलिस UKSSSC से पत्राचार कर रही है, जिससे बयानों की पुष्टि हो सके.
परीक्षा के बाद कैसे हुआ फरार? UKSSSC पेपर लीक के मास्टर माइंड खालिद मलिक से पूछताछ के बाद पुलिस द्वारा बताया गया कि, परीक्षा के बाद घर वापस आने के कुछ समय बाद आरोपी को सोशल मीडिया पर प्रश्नों के फोटो के स्क्रीनशॉट आउट होने की जानकारी मिली, जो उसके द्वारा परीक्षा केन्द्र से खींचकर भेजे गए थे. जिस पर आरोपी अपनी बहन साबिया को उसका दिया गया मोबाइल व परीक्षा के दौरान इस्तेमाल किए गए मोबाइल को लेकर घर से फरार हो गया और बस से सीधे दिल्ली पहुंचा.
बचने के लिए की भागदौड़: इस दौरान आरोपी ने दोनों फोनों में इस्तेमाल किए गए सिमों को तोड़कर फेंक दिया और दोनों फोनों को रिसेट कर दिया. आरोपी दिल्ली से अवध आसाम ट्रेन के माध्यम से लखनऊ के लिए रवाना हुआ. इस दौरान घटना में इस्तेमाल किए गए आइफोन को ट्रेन के कोच के डस्टबिन में फेंककर दून एक्सप्रेस से वापस हरिद्वार पहुंचा. आरोपी हरिद्वार से छिपते हुए देहरादून में सरेंडर लिए प्रयासरत था. सरेंडर से पहले ही उसको संयुक्त टीमों द्वारा हिरासत में लिया गया.
पुलिस ने क्या कहा: एसपी देहरादून देहात जया बलूनी ने बताया है कि-
अब तक की विवेचना में प्रकरण में किसी संगठित गिरोह के शामिल होने और प्रश्नपत्र के अन्यत्र कहीं और आउट होने के सम्बन्ध में कोई साक्ष्य प्राप्त नहीं हुए हैं. साथ ही आरोपी द्वारा प्राप्त किए गए प्रश्नों के उत्तरों को भी उसके द्वारा ओएमआर शीट में न भर पाना प्रकाश में आया है. फिर भी विवेचना में अन्य साक्ष्य संकलन की कार्रवाई की जा रही है. यदि परीक्षा के सम्बंध में किसी व्यक्ति को कोई साक्ष्य दिए जाने हों, तो वह विवेचक के समक्ष प्रस्तुत होकर साक्ष्य दे सकते हैं. साथ ही मोबाइल नंबर ओर एक ईमेल आईडी जारी की जाएगी, जिसमें किसी को कैसा भी सबूत मिलता है, तो बता सकता है. विवेचना में जो भी अन्य साक्ष्य प्राप्त होंगे उनको भी संज्ञान में लेकर अग्रिम कार्रवाई की जायेगी.
-जया बलूनी, एसपी, देहरादून देहात-
बताते चलें कि यूकेएसएसएससी UKSSSC (उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग) पेपर लीक मामले में उत्तराखंड सरकार ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) बनाने की घोषणा की है. एसआईटी को एक महीने के अंदर अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को सौंपनी होगी. जांच पूरी होने तक परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किया जाएगा. उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने इसकी पुष्टि की है.
वहीं यूकेएसएसएससी स्नातक स्तरीय परीक्षा पेपर लीक मामले में उत्तराखंड के डीजीपी दीपम सेठ ने कहा कि-
एसआईटी (विशेष जांच दल) सभी तथ्यों की जांच के लिए स्वतंत्र रहेगी. एसआईटी प्रमुख और एसपी (ग्रामीण), देहरादून, जया बलूनी, सभी को जानकारी देंगी. वह पूरी तरह से सक्षम हैं और एक बहुत ही पेशेवर अधिकारी हैं. राज्य सरकार के फैसले के अनुसार, एक पूरी एसआईटी टीम उनकी सहायता करेगी. एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश इसकी निगरानी करेंगे. एसआईटी की पूरी 1 महीने की अवधि के लिए, उनका (जया बलूनी का) ईमेल और मोबाइल नंबर साझा किया जाएगा, जिस पर जो कोई भी एसआईटी के साथ कोई भी जानकारी साझा करना चाहता है, वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र होगा.
-दीपम सेठ, डीजीपी, उत्तराखंड-
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