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सीएम धामी की सुरक्षा में बड़ी चूक, वन विभाग ने पुराने हादसे से भी नहीं लिया सबक? जानिए पूरा मामला


देहरादून: वन विभाग अपनी पुरानी गलतियों से शायद कोई सबक लेने को तैयार नहीं है. इस बार वन विभाग की वजह से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सुरक्षा से खिलवाड़ हुआ है. वन मंत्री सुबोध उनियाल ने भी चूक को स्वीकार किया है. घटना बीती 6 जुलाई रविवार की है.

कॉर्बेट दौरे पर थे सीएम: दरअसल, बीते दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कुमाऊं दौरे पर थे. छह जुलाई को सीएम धामी ने रामनगर में विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की सैर की थी. तभी सीएम धामी की सुरक्षा में बड़ी चूक हुई है. हुआ ये था कि मुख्यमंत्री धामी को जिस जिप्सी में कॉर्बेट की सैर करवाई गई थी, उसका सुरक्षा ऑडिट ही नहीं हुआ था. इस गाड़ी की फिटनेस भी 5 साल पहले ही एक्सपायर हो चुकी थी.

वन मंत्री सुबोध उनियाल का बयान. (ETV Bharat)

यही नहीं, गाड़ी का इंश्योरेंस और पॉल्यूशन तक भी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन की तरफ से नहीं देखा गया. जाहिर है कि 5 साल पहले जिस गाड़ी की फिटनेस एक्सपायर हो गई हो, उस पर बैठना खतरे से खाली नहीं था. सीधे तौर पर मुख्यमंत्री की सुरक्षा दांव पर लगाई गई. गनीमत रही कि ऐसी गाड़ी में चलते हुए कोई भी खराबी नहीं हुई.

अधिकारियों की बड़ी लापरवाही: वहीं, जिस गाड़ी में मुख्यमंत्री धामी कॉर्बेट के भीतर घूम रहे थे, उस गाड़ी में कॉर्बेट के निदेशक साकेत बडोला भी मौजूद थे, लेकिन एक बार भी यह जानने की कोशिश नहीं की गई कि गाड़ी को चुनने से पहले उसके बारे में जान लिया जाए. इससे पहले भी राजाजी टाइगर रिजर्व में हुई एक घटना के समय साकेत बडोला ही वहां के डायरेक्टर थे.

बता दें कि, राजाजी नेशनल पार्क में वाहन ट्रायल के दौरान हादसे में वन विभाग के 6 अधिकारी और कर्मचारियों की जान गई थी. इस मामले को डेढ़ साल गुजर चुका है, लेकिन अब तक वन विभाग किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाया है.

मुख्यमंत्री की सुरक्षा से जुड़ी खुफिया एजेंसी भी निष्क्रिय दिखी: मुख्यमंत्री धामी के किसी भी कार्यक्रम को लेकर प्रोटोकॉल तय होता है और इसके अनुसार उनकी सुरक्षा से जुड़ी एजेंसी भी उनके दौरे से पहले ही तमाम व्यवस्थाओं को देखती है, लेकिन हैरत की बात यह है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन तो दूर मुख्यमंत्री की सुरक्षा वाली एजेंसियों ने भी इस तरफ ध्यान देने की जहमत नहीं उठाई.

वन मंत्री का जवाब: इस मामले पर पहले तो वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया था, लेकिन बाद में उन्होंने प्रकरण पर बोलते हुए कहा कि चूक तो हुई है लेकिन किस स्तर पर हुई है, इसे देखना होगा. हालांकि विभाग का बचाव करते हुए मंत्री उनियाल कहते हैं कि सरकारी गाड़ियों का इंश्योरेंस नहीं किया जाता, लेकिन पिछले 5 साल से फिटनेस क्यों नहीं किया गया और 2020 के बाद इस पर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक ने क्यों ध्यान नहीं दिया, इसका उनके पास कोई जवाब नहीं था. हालांकि बाद में मंत्री सुबोध उनियाल ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि गाड़ी की फिटनेस एक्सपायर हो चुकी थी.

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