देहरादून: उत्तराखंड में 21 सितंबर को यूकेएसएसएससी की स्नातक स्तरीय पदों के लिए लिखित परीक्षा आयोजित हुई, लेकिन उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने पेपर लीक होने का दावा किया. साथ ही प्रश्न पत्रों से जुड़े स्क्रीन शॉट्स भी शेयर किए. जिससे आयोग में हड़कंप मच गया. वहीं, आनन-फानन में इस संबंध में आयोग ने एसएसपी को एक प्रार्थना पत्र दिया. जिस पर एसएसपी अजय सिंह के निर्देश पर एसआईटी गठित की गई. उधर, देर शाम एसएसपी और आयोग के अध्यक्ष ने प्रेसवार्ता कर कई अहम जानकारियां साझा की. साथ ही कई खुलासे भी किए हैं.
दरअसल, रविवार को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से स्नातक स्तरीय पदों के लिए लिखित परीक्षा आयोजित की गई थी, लेकिन कुछ प्रश्न पत्रों के फोटो और उनके स्क्रीन शॉट सोशल मीडिया पर प्रसारित हो गए. जिस पर एसएसपी अजय सिंह के निर्देश पर एसआईटी गठित की गई. जिस संबंध में यूकेएसएसएसपी ने भी एक प्रार्थना पत्र एसएसपी को दिया.
किसी सेंटर से कुछ प्रश्नों की फोटो लेकर भेजने का मामला आया सामने: वहीं, गठित टीम ने अब तक की शुरुआती जांच में किसी भी संगठित गिरोह या पेपर लीक करने वाले गैंग की संलिप्तता नहीं पाई है, लेकिन पुलिस की मानें तो किसी एक सेंटर से किसी व्यक्ति की ओर से प्रश्न पत्र के कुछ प्रश्नों की फोटो लेकर भेजने की जानकारी मिली है. मामले में शामिल आरोपियों की पहचान करते हुए पुलिस ने उनके खिलाफ पुख्ता सबूत जुटा लिए हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित कर रवाना कर दी गई है.
बता दें कि एसआईटी की प्रारंभिक जांच में जानकारी मिली है कि सुबह 11 बजे परीक्षा के शुरू होने से पहले राज्य के किसी भी जिले से प्रश्न पत्र के लीक या आउट होने की कोई सूचना नहीं आई थी. पेपर समाप्त होने के बाद समय करीब 1:30 बजे जानकारी मिली कि सोशल मीडिया पर पेपर के कुछ प्रश्नों के फोटो लेकर उन्हें सुबह 11ः35 बजे आउट किए जाने के स्क्रीनशॉट प्रसारित किए जा रहे हैं.
VIDEO | Dehradun: UKSSSC Chairman GS Martolia says, ” this is a case between a single candidate from a family and a solver; it doesn’t involve any large-scale issue. it’s between the family whose son appeared for the exam and the person who solved it, and there was no mass… pic.twitter.com/0XEWr0xtxe
— Press Trust of India (@PTI_News) September 21, 2025
महिला प्रोफेसर के पास आया था सबसे पहले प्रश्न पत्र: दून पुलिस ने सोशल मीडिया पर आउट हुए फोटो के सोर्स की जानकारी जुटाई. जिससे पता चला कि प्रश्न पत्र की फोटो सबसे पहले एक महिला, जो टिहरी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है, उनके पास आई थी. जिस पर महिला ने उन प्रश्नों के जवाब भी भेजे. ऐसे में महिला से पुलिस ने पूछताछ शुरू की.
पूछताछ में महिला ने बताया कि वो असिसटेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात है. साल 2018 के दौरान जब वो टैक्स इंस्पेक्टर (नगर निगम ऋषिकेश) के पद पर नियुक्त थीं, तब उनकी पहचान सीपीडब्लूडी में संविदा पर जेई के पद पर नियुक्त खालिद मलिक से हुई थी. जो उस समय ऑलवेदर रोड का कार्य देख रहा था. जो हरिद्वार के रहने वाला है.
महिला को खालिद मलिक ने भेजा था प्रश्न पत्र: प्रश्न पत्र की फोटो को रविवार को खालिद मलिक ने अपने नंबर से उन्हें (महिला) को भेजा था. साथ खुद के एक मीटिंग में व्यस्त होने की बात कही थी. साथ ही इस संबंध में उसकी (खालिद) की बहन ने उनसे बात करने का मैसेज भेजा था. खालिद के नंबर से एक युवती ने खुद को उसकी बहन बताते हुए परीक्षा की तैयारी से जुड़े प्रश्नों के उत्तर महिला से पूछे थे.
महिला ने कही ये बात: जिसका उत्तर महिला ने फोटो के माध्यम से उन्हें उपलब्ध कराए और उसके स्क्रीन शॉट अपने मोबाइल पर सेव कर लिए. महिला ने मामले की जानकारी पुलिस को देने के लिए एक प्रार्थना पत्र लिखा था. साथ ही सूचना बॉबी पंवार को देते हुए पुलिस में जाने को कहा था, लेकिन बॉबी पंवार ने महिला से पेपर के स्क्रीन शॉट मांगते हुए उसे इस संबंध में पुलिस को बताने से मना कर दिया.
एसएसपी अजय सिंह के मुताबिक, बॉबी पंवार ने बिना किसी सक्षम अधिकारी को बताए प्रकरण के संबंध में बिना किसी आधिकारिक पुष्टि और सूचना का सत्यापन किए परीक्षा प्रणाली को सनसनीखेज बनाने के उद्देश्य से स्क्रीन शाट्स को सोशल मीडिया पर वायरल किए. जिन्हें कुछ अन्य लोगों ने भी सोशल मीडिया अकाउंट पर प्रसारित कर सरकार और सिस्टम के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट की गई.
“जांच के दौरान सामने आए तथ्यों के आधार पर रायपुर थाने में उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम एवं रोकथाम के उपाय) अध्यादेश 2023 के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया है. मुकदमे में महिला से पूछताछ के आधार पर सामने आए आरोपी और उनके संपर्क में आने वाले छात्रों के बारे में जांच की जा रही है. साथ ही इन तथ्यों पर भी गहनता से विवेचना की जा रही है कि परीक्षा प्रणाली को सनसनीखेज बनाने या बदनाम करने के उद्देश्य से ही तो कहीं स्क्रीन शाट्स को सोशल मीडिया पर वायरल न किया गया हो.“- अजय सिंह, एसएसपी, देहरादून
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