सुप्रीम कोर्ट (IANS)
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर से संबंधित जनहित याचिका (पीआईएल) पर सोमवार को सुनवाई फिर से शुरू करने वाला है.
यह सुनवाई इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पराली जलाने और स्थिर मौसम की स्थिति के कारण दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता लगातार गंभीर श्रेणी में पहुंच रही है. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई वाद सूची के अनुसार भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ 17 नवंबर को मामले की आगे की सुनवाई करेगी.
12 नवंबर को पिछली सुनवाई में सीजेआई गवई की अगुवाई वाली बेंच ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के लागू होने के बावजूद बिगड़ती वायु गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की थी. पंजाब और हरियाणा सरकारों को पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए उठाए गए कदमों की रूपरेखा बताते हुए विस्तृत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था.
शीर्ष न्यायालय ने उन दलीलों पर गौर किया जिनमें बताया गया था कि दिल्ली-एनसीआर में कई स्थानों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 450 को पार कर गया है. वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट परिसर के बाहर ड्रिलिंग कार्य सहित नियमित निर्माण गतिविधियाँ भी खतरनाक परिस्थितियों के बावजूद जारी हैं.
शंकरनारायणन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, ‘कम से कम कुछ दिनों के लिए ऐसी गतिविधियां बंद होनी चाहिए.’ सुप्रीम कोर्ट की सहायता करने वाली एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने भी आधिकारिक प्रदूषण आंकड़ों में विसंगतियों की ओर इशारा किया था और चेतावनी दी थी कि स्थिति बहुत खतरनाक हो गई है.
मुख्य न्यायाधीश गवई की अगुवाई वाली पीठ इस मुद्दे पर बारीकी से निगरानी कर रही है. पीठ ने पहले वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से उसकी निगरानी और प्रवर्तन तंत्र पर रिपोर्ट मांगी थी और यहां तक कि केंद्र से किसानों को फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए गिरफ्तारी सहित सख्त दंड पर विचार करने को कहा था.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा ने अधिवक्ताओं से सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही में शारीरिक रूप से उपस्थित होने से बचने और इसके बजाय आभासी सुनवाई का विकल्प चुनने का आग्रह किया. उन्होंने चेतावनी दी कि दिल्ली की जहरीली हवा स्थायी नुकसान पहुंचा सकती है.
न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने टिप्पणी की, ‘स्थिति बहुत गंभीर है! आप सभी यहाँ क्यों पेश हैं?’ उन्होंने कहा, ‘हमारे पास वर्चुअल सुनवाई की सुविधा है. कृपया इसका लाभ उठाएँ. इस प्रदूषण से स्थायी नुकसान होगा.’

