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इंडिगो फ्लाइट्स कैंसिल होने से जुड़ी याचिका पर SC का सुनवाई से इनकार, CJI सूर्यकांत ने कहा- ‘केंद्र ने लिया संज्ञान, कोई जल्दी नहीं’


इंडिगो फ्लाइट्स कैंसिल होने से जुड़ी याचिका पर SC ने कहाकि केंद्र ने संज्ञान लिया, लगता है समय पर कार्रवाई की गई है. (ETV Bharat)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को तुरंत सुनवाई के लिए लिस्ट करने से मना कर दिया, जिसमें देश भर में 1,000 से ज़्यादा इंडिगो फ्लाइट्स के बड़े पैमाने पर कैंसिल होने पर खुद से संज्ञान लेने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से इस संकट को देखते हुए इस मामले की तुरंत सुनवाई के लिए एक स्पेशल बेंच बनाने की मांग की.

इस मामले को वकील ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच के सामने मेंशन किया. वकील ने कहा कि फ्लाइट कैंसिल होने की वजह से एयरपोर्ट पर बहुत सारे पैसेंजर परेशान हो रहे हैं, और एयरलाइन ने बिना कोई जानकारी दिए फ्लाइट्स कैंसिल कर दीं. वकील ने जोर देकर कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है और बेंच से इसे तुरंत लिस्ट करने की मांग की.

CJI ने माना कि यह एक गंभीर मामला है, “हम यह समझते हैं. लोग एयरपोर्ट पर फंसे हुए थे और उन्हें मुश्किल हुई. हो सकता है कि कुछ लोगों को जरूरी काम हो. हो सकता है कि कुछ लोगों को हेल्थ प्रॉब्लम की वजह से देखभाल की जरूरत हो.” “लेकिन भारत सरकार ने इस पर ध्यान दिया है. ऐसा लगता है कि समय पर कार्रवाई की गई है… देखते हैं कुछ समय बाद क्या होता है. कोई जल्दी नहीं है.”, CJI सूर्यकांत ने मामले को तुरंत लिस्ट करने पर सहमति न जताते हुए ये बताएं कहीं.

वकील नरेंद्र मिश्रा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि यह जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट प्रभावित यात्रियों को यात्रा के खर्च, उससे होने वाले नुकसान (बिजनेस का नुकसान, अपॉइंटमेंट छूटना, वगैरह), और गंभीर मानसिक और शारीरिक तकलीफ के लिए पूरा और बराबर मुआवजा देने का एक सिस्टम पक्का करे.

याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता देश भर में 1,000 से ज़्यादा फ़्लाइट्स कैंसिल होने को चुनौती दे रहा है. इससे लाखों यात्रियों को बड़े एयरपोर्ट पर बहुत ज़्यादा परेशानी, तकलीफ और मानवीय संकट का सामना करना पड़ रहा है.

याचिका में कहा गया है कि भारत की सबसे बड़ी एयर कैरियर, इंडिगो के ऑपरेशन में पहले कभी नहीं हुई, बड़े पैमाने पर और लगातार हो रही गिरावट के बारे में खुद से संज्ञान लेने की मांग की गई है. इसके कारण 1,000 से ज़्यादा फ़्लाइट कैंसिल हो गई हैं. इससे लाखों यात्रियों को बहुत ज़्यादा परेशानी, तकलीफ और बड़े एयरपोर्ट पर मानवीय संकट का सामना करना पड़ रहा है.

याचिका में कहा गया है, “कई दिनों से जो स्थिति बन रही है, वह एयरलाइन और उसके ग्राहकों के बीच सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट के झगड़े से कहीं आगे निकल गई है. यह गंभीर सार्वजनिक नुकसान का मामला बन गया है और भारत के नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार (आर्टिकल 21) का साफ उल्लंघन है.”

याचिका में कहा गया है कि एयरपोर्ट पर अभी जो अफरातफरी और परेशानी दिख रही है, वह एक मॉडर्न डेमोक्रेसी में उम्मीद की जाने वाली इज्जत और इंफ्रास्ट्रक्चर को नहीं दिखाती है.

इसमें यह भी कहा गया है कि एक प्राइमरी एयरलाइन ऑपरेटर अपनी सर्विस को सुरक्षित और असरदार तरीके से मैनेज नहीं कर पा रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर दिक्कतें हो रही हैं, ऐसे में लोगों के हित की रक्षा के लिए तुरंत कानूनी दखल की जरूरत है.

याचिका में कहा गया है कि छह मेट्रो एयरपोर्ट पर एयरलाइन का ऑन-टाइम परफॉर्मेंस 8.5% के बहुत कम स्तर पर आ गया है.

याचिका में कहा गया है कि एयरलाइन ने पायलटों के लिए नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों के फेज 2 के रोलआउट के दौरान गलत कैलकुलेशन और प्लानिंग में कमी को ऑपरेशनल रुकावट के लिए सबके सामने जिम्मेदार ठहराया है. इसमें कहा गया है, “हालांकि रेगुलेटरी नियम का मकसद पायलट और पैसेंजर की सुरक्षा पक्का करना है, लेकिन एयरलाइन का नए रोस्टर को सुरक्षित और असरदार तरीके से शामिल न करना बहुत बड़ा मिसमैनेजमेंट है, जिससे सीधे तौर पर यह राष्ट्रीय संकट पैदा हुआ है.”

पिटीशनर्स की फाइल की गई अर्जी में कहा गया है, “बड़े पैमाने पर कैंसलेशन के सीधे नतीजे के तौर पर, बड़े सेक्टर्स में हवाई किराए आसमान छू रहे हैं, कुछ टिकटों के रेट बहुत ज़्यादा हो रहे हैं (जैसे, मुंबई और दिल्ली के बीच एक फ्लाइट के लिए 50,000 रुपये से ज़्यादा), जिससे ट्रैवल करने वाले लोग असल में बंधक बन गए हैं और सस्ती हवाई यात्रा का बुनियादी वादा खत्म हो रहा है.”

अर्जी में कहा गया है कि डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) और मिनिस्ट्री ऑफ़ सिविल एविएशन ने एक हाई-लेवल जांच शुरू की है और कुछ FDTL नॉर्म्स से टेम्पररी, एक बार की छूट भी दी है (10 फरवरी, 2026 तक). लेकिन यह बात कि संकट इतना बड़ा हो गया है, यह दिखाता है कि पहले से और लगातार रेगुलेटरी मॉनिटरिंग में नाकामी रही है. इसमें कहा गया है, “यह पक्का करने के लिए ज्यूडिशियल दखल की जरूरत है कि रेगुलेटरी बॉडीज सर्विस की एक स्ट्रक्चर्ड, टाइम-बाउंड और सुरक्षित बहाली लागू करें, जिसमें पैसेंजर वेलफेयर को कॉर्पोरेट लॉजिस्टिक्स से ऊपर रखा जाए.”

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से इंडिगो को निर्देश देने की अपील की गई है कि वह आगे से बिना सोचे-समझे कैंसलेशन तुरंत बंद करे, सभी मुमकिन सर्विस को सुरक्षित तरीके से बहाल करे, और सबसे जरूरी बात, सभी फंसे हुए और प्रभावित यात्रियों के लिए पूरी, सही और फ्री यात्रा की दूसरी व्यवस्था (दूसरी एयरलाइन, ट्रेन या सरफेस ट्रांसपोर्ट पर) करे, जिसमें हेल्थ और मेडिकल इमरजेंसी वाले यात्रियों को प्राथमिकता दी जाए.

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