देहरादून, किरनकांत शर्मा: उत्तराखंड में एक बार फिर से विधायक अपने अपने क्षेत्रों से निकल कर देहरादून दिल्ली की दौड़ में लगे हैं. एक बार से देहरादून आकर कुछ विधायकों के चेहरे के हाव भाव बदले बदले से लग रहे हैं. मेल मुलाकातों के दौर के साथ सियासी दौड़ उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर कैबिनेट विस्तार की चर्चाओं को बल दे रही है. वहीं, राज्य में कुछ बड़े होने की दूसरी चर्चा भी जोरों पर है.
इन सभी चर्चाओं का आलम ऐसा है कि राजधानी देहरादून से लेकर दिल्ली तक सियासी गलियारे गहमागहमी से भरे पड़े हैं. रोजाना कई विधायक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर रहे हैं. कुछ ने सीधे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ फोटो खिंचवा कर ये दिखा रहे हैं कि उनकी पहुंच सीधे दिल्ली दरबार में है. इन मुलाकातों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. कुछ लोग इसे कैबिनेट विस्तार से जोड़ रहे हैं तो कुछ इसे विधायकों की नाराजगी भर मान रहे हैं.
माननीय मुख्यमंत्री श्री @pushkardhami जी से सचिवालय में लैंसडाउन विधानसभा क्षेत्र से माननीय विधायक @MahantDilipRwt जी ने भेंट की। pic.twitter.com/sKzNagNsei
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कैबिनेट विस्तार मानसून जैसा मिजाज: उत्तराखंड में कैबिनेट विस्तार की चर्चा कोई नई बात नहीं है. जिस तरह हर साल मानसून आता है वैसे ही यहां समय-समय पर कैबिनेट विस्तार के बादल उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं. दिलचस्प ये है कि जैसे कई बार बादल गरजते तो खूब हैं लेकिन बरसते कम हैं, वैसे ही कैबिनेट विस्तार की चर्चा भी अधिकतर खबरों की हेडलाइन बनकर ही रह जाती है. फिर अगली चर्चा के इंतजार में सभी विधायक रह जाते है. बीते सालों पर नजर डालें तो धामी सरकार बनने के बाद से ही कई बार कैबिनेट विस्तार की संभावनाएं जता चुकी है. 2022 विधानसभा चुनाव के बाद धामी जब दूसरी बार सीएम बने तब कहा गया कि जल्द ही कैबिनेट विस्तार होगा. जिससे सभी क्षेत्रों और जातीय समीकरणों को साधा जा सके. 2023 में भी चर्चा उठी कि लोकसभा चुनाव से पहले कुछ नए चेहरे कैबिनेट में शामिल किए जाएंगे. जिससे पार्टी का जनाधार मजबूत हो, लेकिन, इस बार भी नेताओं को इंतजार बरकरार रहा. अब एक बार फिर से ऐसी ही चर्चाएं सियासी गलियारों में तैर रही है. मेल मुलाकातों के दौर को इसी से जोड़ा जा रहा है.
माननीय मुख्यमंत्री श्री @pushkardhami जी से सचिवालय में लालकुआं विधाधनसभा क्षेत्र से माननीय विधायक डॉ. मोहन सिंह बिष्ट जी ने भेंट की। pic.twitter.com/2omUZDqWWF
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विधायकों की दिल्ली दौड़ और उम्मीदों का गणित: राजनैतिक जानकार भगीरथ शर्मा कहते है-
अब ये सब पुराना हो गया है, प्रदेश में हर 4 महीने में ये सब सुनने के लिए मिलता है लेकिन हो कुछ नहीं रहा है. तमाम राजनैतिक पंडित अपनी अपनी बात कहते हैं और फिर सब कुछ शांत हो जाता है. इस बार अचानक आपदा के बीच कैबिनेट विस्तार की चर्चा थोड़ी अजीब भी है और अटपटी भी, क्योंकि इस वक्त पूरा प्रदेश आपदा की चपेट में है. अगर कैबिनेट विस्तार होता है तो राज्य के लिए बेहतर है. इन विधायकों का भी इन्तजार बहुत लंबा हो गया है. राज्य में एक दो नहीं 5 -5 कैबिनेट की सीट खाली हैं.
भगीरथ शर्मा,राजनैतिक जानकार
भगीरथ शर्मा कहते हैं कैबिनेट विस्तार की चर्चा के कारण ही हर कोई मुख्यमंत्री के बंगले का चक्कर काट रहा है. साथ ही कोई पार्टी हाईकमान से गुहार लगा रहा है. विधायकों के समर्थकों के बीच भी उम्मीद और संभावना की चर्चा गर्म है.
भगीरथ शर्मा कहते हैं धामी कैबिनेट विस्तार में कई फैक्टर हैं. उन्होंने कहा ये ऐसे फैक्टर हैं जो किसी भी विधायक की दावेदारी को प्रभावित कर सकते हैं.
- क्षेत्रीय संतुलन – कुमाऊं और गढ़वाल में कैबिनेट की सीटों का बंटवारा हमेशा से बड़ा मुद्दा रहा है. कई विधायकों का मानना है कि उनका क्षेत्र अभी भी उपेक्षित है.
- जातीय समीकरण – उत्तराखंड की राजनीति में ब्राह्मण, ठाकुर, दलित और पिछड़े समाज का प्रतिनिधित्व हमेशा चर्चा में रहता है. कैबिनेट विस्तार के जरिए पार्टी संतुलन साधने की कोशिश कर सकती है.
- 2027 का रोडमैप – भाजपा को आगे का चुनाव ध्यान में रखना है. युवा चेहरे, महिला नेताओं और संगठन से जुड़े नेताओं को मौका दिए जाने की संभावना जताई जा रही है.
- नाराजगी कम करना – कुछ विधायक खुले तौर पर अपनी उपेक्षा जाहिर कर चुके हैं. माना जा रहा है कि हाईकमान इस नाराजगी को कैबिनेट विस्तार के जरिए शांत करना चाहता है.
- लोकसभा चुनाव के बाद का समीकरण – 2024 के लोकसभा चुनाव में और पंचायत में भी उत्तराखंड में भाजपा को मिली जीत से नेताओं का आत्मविश्वास बढ़ा है. अब कई विधायक मानते हैं कि उनकी मेहनत का इनाम कैबिनेट की कुर्सी के रूप में मिलना चाहिए.
बादल बरसेंगे या सिर्फ गरजेंगे ?: राजनैतिक विश्लेषक आदेश त्यागी कहते हैं राज्य में इस वक्त सियासी मौसम गरम है. विधायकों की दौड़ जारी है. भाजपा नेतृत्व खामोश है. उत्तराखंड की राजनीति का इतिहास कहता है कि यहां कैबिनेट विस्तार की चर्चा कई बार होती है. हर बार सभी उम्मीदें पूरी नहीं होतीं हैं. अब देखना यह है कि इस बार बादल सचमुच बरसेंगे या फिर से केवल गरजकर विधायकों को इंतजार की धूप में खड़ा छोड़ देंगे.
शासकीय आवास पर माननीय मुख्यमंत्री श्री @pushkardhami जी से यमुनोत्री विधानसभा क्षेत्र से माननीय विधायक श्री संजय डोभाल जी ने भेंट की। pic.twitter.com/7Lul1En2gE
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विधायकों की दौड़ कैबिनेट के लिए ही है. दूसरी बात ये भी सही है की बीजेपी में जिस तरह से बयानबाजी हो रही है उसका असर राज्य के काम काज और विकास पर भी पड़ता है. लिहाजा हो सकता है की सीएम भी इन विधायकों से खुद मिल रहे हो. उन्होंने कहा बीजेपी में एक वर्ग ऐसा भी है जो कांटे हटाकर खुद का रास्ता साफ़ करना चाहता है.
आदेश त्यागी, राजनैतिक विश्लेषक
सीएम-विधायकों की मुलाकात सामान्य: बीजपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की मानें तो अगर विधायक अपने सीएम से नहीं मिलेगा तो किनसे मिलेगा? राज्य में आपदा है, हजार काम होते हैं, स्वाभाविक है कि विधायकों को सीएम से मिलना चाहिए. रही बात कैबिनेट विस्तार की तो जब कैबिनेट विस्तार होगा तो सभी को मालूम हो जायेगा. उन्होंने कहा हम इस दिशा में कदम आगे बढ़ा रहे है. विधायक दिलीप रावत सीएम से मुलाकात पर उन्होंने कहा ये सामान्य मुलाकात थी. वहीं, हरिद्वार से विधायक मदन कौशिक हो या फिर लालकुआं विधाधनसभा क्षेत्र से विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने भी सीएम से मुलाकात की. जिसके बाद इनके चर्चे भी आम हैं.
माननीय मुख्यमंत्री श्री @pushkardhami जी से शासकीय आवास पर भाजपा उत्तराखंड के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं हरिद्वार विधानसभा क्षेत्र से माननीय विधायक श्री @madankaushikbjp जी ने भेंट की। pic.twitter.com/E8mP7xNPUw
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भरे मानसून में उमीदों की छतरी लिए बैठे विधायक: उत्तराखंड में देखा जाये तो फिलहाल भाजपा नेतृत्व हमेशा की तरह रटी रटाई बातें बोल रहा है. जिसमें भी विधायक विधायक संदेश ढूंढ रहे हैं. कुल मिलाकर उत्तराखंड की राजनीति में इस वक्त वही पुराना दृश्य है. मानसून की तरह कैबिनेट विस्तार की चर्चाएं आई हैं. विधायक उम्मीदों की छतरियां लेकर दौड़ रहे हैं. जनता सोच रही है कि आखिर ये दौड़ कब खत्म होगी?
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