Homeउत्तराखण्ड न्यूजबाढ़ से पाकिस्तान बेहाल: 200 से ज्यादा लोगों की मौत, 560 घायल

बाढ़ से पाकिस्तान बेहाल: 200 से ज्यादा लोगों की मौत, 560 घायल


इस्लामाबाद: इस समय मॉनसून की बारिश से पूरा देश त्रस्त है. वहीं, विदेशों में भी कमोबेश यही हाल है. जानकारी के मुताबिक भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में मॉनसून के चलते काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. यहां के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने बताया कि पिछले महीने जून के अंत तक मॉनसून से 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 100 बच्चे भी शामिल हैं. जियो टीवी ने इस खबर की पुष्टि की है.

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, 200 में से 123 मौतें केवल पाकिस्तान के पंजाब में हुई हैं. इसके बाद खैबर पख्तूनख्वा में 40, सिंध में 21, ब्लूचिस्तान में 16, इस्लामाबाद और पीओके में 1-1 मौतें हुई हैं. सूत्रो से पता चला है कि सभी मौतों के कारण अलग-अलग थे, लेकिन बताया गया कि कम से कम 118 लोग मकान के ढहने से मरे हैं. वहीं, 30 लोग अचानक आई बाढ़ के चलते, जबकि अन्य लोगों की मौत डूबने, बिजली गिरने से हुई है. वहीं, रिपोर्टस में इस बात का भी दावा किया गया है कि बारिश के चलते 182 बच्चों सहित 560 से अधिक लोग घायल भी हुए हैं.

आगे बताया कि रावलपिंडी में अचानक आई बाढ़ से घरों, सड़कों और बाजारों को को भी काफी नुकसान हुआ है. सारे इलाके जलमग्न हो गए. कुछ क्षेत्रों में तो पानी छतों तक पहुंच गया है, जिससे निवासियों को अपना सामान छोड़कर भागने पर मजबूर होना पड़ा. पाकिस्तान के फैसलाबाद में भी भारी नुकसान हुआ है, जहां सिर्फ दो दिनों में 33 घटनाओं में 11 लोगों की मौत हो गई और 60 लोग घायल हो गए. ज्यादातर मौतें कमजोर ढांचो के ढहने के चलते हुईं.

वहीं, पाकिस्तान के पंजाब में भारी बारिश और भूस्खलन से एक ढांचा गिर गया. यहां के जियो टीवी के अनुसार, 450 मिमी से ज्यादा बारिश के बाद चकवाल में कम से कम 32 सड़कें बह गईं. बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचने के साथ-साथ, संचार संपर्क भी टूट गया है और कई इलाकों में बिजली आपूर्ति अभी भी बहाल नहीं हुई है. संयुक्त राष्ट्र समाचार की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, खैबर पख्तूनख्वा और गिलगित बाल्टिस्तान क्षेत्रों में ग्लेशियर झील के फटने से बाढ़ आने की भी आशंका जताई गई है.

पाकिस्तान को जून से सितंबर तक नियमित रूप से मानसून की बाढ़ का सामना करना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर घातक भूस्खलन, बुनियादी ढांचे को नुकसान और बड़े पैमाने पर विस्थापन होता है.

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