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पाकिस्तान ने की UN में 'नौटंकी', खिलखिला कर हंस पड़ा पूरा भारत, शहबाज ने दिया था हास्यास्पद बयान


न्यूयॉर्क: भारत ने 80वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के संबोधन का तीखा खंडन किया और उन पर “बेतुका नाटक” करने और आतंकवाद का महिमामंडन करने का आरोप लगाया. जबकि मई में हुए तनाव में उनकी “जीत” के दावे का मजाक उड़ाया.

महासभा में भारत के उत्तर देने के अधिकार का प्रयोग करते हुए, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव, पेटल गहलोत ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अपने देश में हवाई अड्डों के विनाश को अपनी जीत के रूप में पेश करने की कोशिश की है.

उनके इस बयान को खारिज करते हुए, प्रथम सचिव ने इस्लामाबाद पर आतंकवादियों को बचाने और आतंकवाद के केंद्र के रूप में अपनी भूमिका को छिपाने के लिए “हास्यास्पद बयान” गढ़ने का आरोप लगाया.

प्रथम सचिव ने मई में हुए संघर्ष के शरीफ के चित्रण को भी खारिज किया और कहा कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान की धमकियां 10 मई को भारतीय सेना द्वारा कई पाकिस्तानी हवाई अड्डों को तबाह करने के बाद ही समाप्त हुईं.

उन्होंने कहा, “पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भारत के साथ हालिया संघर्ष का एक विचित्र विवरण भी दिया. इस मामले में रिकॉर्ड स्पष्ट है. 9 मई तक, पाकिस्तान भारत पर और हमले करने की धमकी दे रहा था. लेकिन 10 मई को, उसकी सेना ने हमसे सीधे लड़ाई रोकने की गुहार लगाई.

इस बीच, भारतीय सेना द्वारा कई पाकिस्तानी हवाई अड्डों को तबाह कर दिया गया. उस नुकसान की तस्वीरें, ज़ाहिर है, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं. अगर नष्ट हुए रनवे और जले हुए हैंगर जीत की तरह लगते हैं, जैसा कि प्रधानमंत्री ने दावा किया है, तो पाकिस्तान इसका आनंद ले सकता है.”

गहलोत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान की 25 अप्रैल, 2025 की कार्रवाई का हवाला दिया, जहां उसने ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ का बचाव किया था, जो एक पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवादी संगठन है और 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों के नरसंहार के लिए जिम्मेदार है. इसमें 26 लोग मारे गए थे.

गौर करें तो पाकिस्तानी पीएम के इस बयान की देशभर में खिल्ली उड़ाई जा रही है. वहीं लोग पाकिस्तान की इस बात पर ठहाके लगा रहे हैं कि किस तरह से वो अपनी बर्बादी पर कैसा जश्न मना रहा है.

उन्होंने कहा, “इस सभा में सुबह-सुबह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की बेतुकी नौटंकी देखने को मिली, जिन्होंने एक बार फिर आतंकवाद का महिमामंडन किया, जो उनकी विदेश नीति का केंद्रबिंदु है. हालांकि, किसी भी स्तर का नाटक और झूठ तथ्यों को नहीं छिपा सकता. यह वही पाकिस्तान है, जिसने 25 अप्रैल 2025 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में, भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में पर्यटकों के बर्बर नरसंहार की जिम्मेदारी से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ को बचाया था.”

पाकिस्तान के कपटपूर्ण इतिहास पर प्रकाश डालते हुए, गहलोत ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध में भागीदार होने का दिखावा करते हुए ओसामा बिन लादेन को दशकों तक पनाह देने की उसकी कोशिशों को याद किया और कहा कि पाकिस्तानी मंत्रियों ने दशकों से आतंकवादी शिविरों के संचालन की बात स्वीकार की है.

उन्होंने वरिष्ठ पाकिस्तानी सैन्य और असैन्य अधिकारियों पर सार्वजनिक रूप से आतंकवादियों का महिमामंडन करने और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बहावलपुर और मुरीदके पर भारत के हमलों में मारे गए “कुख्यात आतंकवादियों” को श्रद्धांजलि देने का भी आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, “एक ऐसा देश जिसकी परंपरा लंबे समय से आतंकवाद को फैलाने और निर्यात करने की रही है, उसे इस दिशा में सबसे हास्यास्पद बातें फैलाने में कोई शर्म नहीं है. याद कीजिए कि उसने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में भागीदार होने का दिखावा करते हुए एक दशक तक ओसामा बिन लादेन को पनाह दी थी. उसके मंत्रियों ने हाल ही में स्वीकार किया है कि वे दशकों से आतंकवादी शिविर चला रहे हैं. इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि एक बार फिर यह दोगलापन जारी है, और इस बार उसके प्रधानमंत्री के स्तर पर.”

प्रथम सचिव ने आगे कहा, “एक तस्वीर हजार शब्द बयां करती है और हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बहावलपुर और मुरीदके आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना द्वारा मारे गए आतंकवादियों की कई तस्वीरें देखीं. जब वरिष्ठ पाकिस्तानी सैन्य और असैन्य अधिकारी सार्वजनिक रूप से ऐसे कुख्यात आतंकवादियों का महिमामंडन और श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, तो क्या इस शासन की प्रवृत्ति पर कोई संदेह हो सकता है?”

भारत की प्रतिक्रिया ने आतंकवाद के प्रति उसके शून्य-सहिष्णुता के रुख को रेखांकित किया. गहलोत ने ज़ोर देकर कहा, “सच्चाई यह है कि अतीत की तरह, भारत में निर्दोष नागरिकों पर हुए आतंकवादी हमले के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है. हमने ऐसी कार्रवाइयों के विरुद्ध अपने लोगों की रक्षा करने के अधिकार का प्रयोग किया है और इसके आयोजकों और अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया है.”

उन्होंने मांग की कि पाकिस्तान तुरंत सभी आतंकवादी शिविरों को बंद करे और वांछित आतंकवादियों को सौंप दे. साथ ही, उन्होंने चेतावनी दी कि भारत “परमाणु ब्लैकमेल” के आगे झुके बिना आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों, दोनों को जवाबदेह ठहराएगा. गहलोत ने शरीफ के शांति आह्वान पर भी टिप्पणी की और उसकी ईमानदारी को चुनौती दी. साथ ही, उन्होंने पाकिस्तान की “घृणा, कट्टरता और असहिष्णुता” की आलोचना की और उसके नेतृत्व से अपने राजनीतिक विमर्श पर विचार करने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा, “सच्चाई यह है कि अतीत की तरह, भारत में निर्दोष नागरिकों पर हुए आतंकवादी हमले के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है. हमने ऐसी कार्रवाइयों के खिलाफ अपने लोगों की रक्षा करने के अधिकार का प्रयोग किया है और इसके आयोजकों और अपराधियों को सज़ा दिलाई है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने भारत के साथ शांति की बात कही है. अगर वह सचमुच सच्चे हैं, तो रास्ता साफ है. पाकिस्तान को तुरंत सभी आतंकवादी शिविर बंद करने चाहिए और भारत में वांछित आतंकवादियों को हमें सौंप देना चाहिए. यह भी विडंबना है कि नफरत, कट्टरता और असहिष्णुता में डूबा एक देश इस सभा को आस्था के मामलों पर उपदेश दे रहा है. पाकिस्तान का राजनीतिक और सार्वजनिक विमर्श उसके असली स्वरूप को दर्शाता है. जाहिर है, उन्हें आईने में देखने की बहुत देर हो चुकी है.”

भारत के दीर्घकालिक रुख की पुष्टि करते हुए, गहलोत ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों को द्विपक्षीय रूप से सुलझाया जाना चाहिए, “किसी तीसरे पक्ष के लिए कोई जगह नहीं छोड़नी चाहिए.”

उन्होंने आगे कहा, “भारत और पाकिस्तान लंबे समय से इस बात पर सहमत हैं कि उनके बीच किसी भी लंबित मुद्दे को द्विपक्षीय रूप से सुलझाया जाएगा. इस संबंध में किसी तीसरे पक्ष के लिए कोई जगह नहीं है. यह हमारा दीर्घकालिक राष्ट्रीय रुख है.”

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