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कोविड-19 वैक्सीन और अचानक मृत्यु के बीच कोई संबंध नहीं!


नई दिल्ली: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने दो टूक कह दिया है कि कोविड-19 वैक्सीन और अचानक हो रही मौतों के बीता कोई रिश्ता नहीं है.

कोविड के बाद वयस्कों में अचानक मृत्यु पर आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) और एम्स द्वारा किए गए व्यापक अध्ययनों ने निर्णायक रूप से स्थापित किया है कि कोविड-19 वैक्सीन और अचानक मृत्यु के बीच कोई संबंध नहीं है.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक आईसीएमआर और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) द्वारा किए गए अध्ययनों ने पुष्टि की है कि भारत में कोविड-19 वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी हैं.

इनमें गंभीर दुष्प्रभावों के अत्यंत दुर्लभ मामले हैं। अचानक हृदय संबंधी मृत्यु कई कारकों के परिणामस्वरूप हो सकती है, जिसमें आनुवंशिकी, जीवनशैली, पहले से मौजूद बीमारियाँ और कोविड के बाद की जटिलताएँ शामिल हैं.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने साफ कहा है कि वैज्ञानिक विशेषज्ञों ने दोहराया है कि कोविड टीकाकरण को अचानक मृत्यु से जोड़ने वाले बयान झूठे और भ्रामक हैं और वैज्ञानिक आम सहमति से समर्थित नहीं हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी एक झटके में इस बात को क्लियर कर दिया है कि युवाओं में आजकल हो रहे हार्ट अटैक का कोरोना वैक्सीन से कोई लेना लेना देना नहीं है. यानी कि किसी प्रकार का कोई लिंक नहीं है.

मिनिस्ट्री का ये साफ तौर पर कहना है कि आईसीएमआर की ओर से की गई स्टडीज में कोरोना वैक्सीन और दिल के दौरे के बीच कोई ताल्लुक नहीं है.

गौर करें तो ये स्टडी ऐसे समय में आई है, जब भारत में हार्ट अटैक खासकर युवाओं में ज्यादा बढ़े हैं.

नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और आईसीएमआर, युवाओं में अचानक हो रही इन मौतों के पीछे का कारण समझने की दिशा में काम कर रहा है. इस स्टडी में आधुनिक जीवन शैली और पूर्व की स्थितियों को अकस्मात हो रही इन मौतों के पीछे की बड़ी और प्रमुख वजह माना गया है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के मुताबिक भारत में कोरोना से 47 लाख लोगों ने दम तोड़ा था. हालांकि ये आंकड़ा आधिकारिक आंकड़ों से करीब 10 गुना ज़्यादा है. डब्ल्यूएचओ के इस दावे पर भारत सरकार ने आपत्ति जताई थी.

वहीं पूरी दुनिया की बात करें तो डब्ल्यूएचओ की मानें तो कोरोना महामारी से दुनियाभर में करीब डेढ़ करोड़ लोग काल के गाल में समा गए थे. हालांकि इस आंकड़े पर भी सवाल खड़े हुए हैं.

डब्ल्यूएचओ कहता है कि दुनिया के कई देशों ने कोविड से मरने वालों की संख्या की कम गिनती जारी की है. संगठन के मुताबिक दुनिया में सिर्फ़ 54 लाख मौतों को आधिकारिक किया गया है.

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