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'चौंकाने वाला नहीं, कोई पुराना नेता ही बनेगा BJP का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष'! सूत्रों का दावा


अनामिका रत्ना.

नई दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर सियासी गलियारों में फिर से हलचल तेज हुई है. पार्टी के भीतर और बाहर चर्चा का माहौल ऐसा है कि उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद कभी भी इस बड़े पॉलिटिकल ड्रामे का क्लाइमैक्स आ सकता है. सूत्रों के मुताबिक,नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कोई नया चेहरा नहीं होगा. वरिष्ठ मंत्रियों या नेताओं में से कोई होगा, जिनका संगठन में व्यापक अनुभव और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ अच्छा समन्वय हो.

गंभीर मंथन में जुटी बीजेपी-आरएसएसः

सूत्र बताते हैं कि बीजेपी और आरएसएस ने इस मुद्दे पर गहन चर्चा शुरू कर दी है. इस प्रक्रिया में लगभग 100 प्रमुख नेताओं, पूर्व अध्यक्षों और केंद्रीय मंत्रियों से राय ली जा रही है ताकि एक सर्वसम्मत नाम तय हो सके. पार्टी चाहती है कि चयन ऐसा हो, जिसमें सभी गुटों और राज्यों का सम्मान हो और संगठनात्मक कामकाज में ऊर्जा का संचार हो.

कौन-कौन हैं रेस में?:

संभावित नामों में शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे, भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान जैसे बड़े नेता शामिल हैं. शिवराज को संगठन में अनुभव और सहज छवि का फायदा है, जबकि वसुंधरा राजे को राजस्थान की सियासत में लंबे अनुभव के कारण मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है. भूपेंद्र यादव संगठनात्मक रणनीति के मास्टर माने जाते हैं, वहीं धर्मेंद्र प्रधान को पार्टी में संतुलित और स्वीकार्य चेहरा कहा जाता है.

रणनीति के पीछे का गणित:

पार्टी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी अब उस चरण में है जहां नेतृत्व का चुनाव सिर्फ जातीय या क्षेत्रीय समीकरणों के आधार पर नहीं किया जा सकता. 2024 लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी नए मिशन पर काम कर रही है. ऐसे में नया अध्यक्ष ऐसा होना चाहिए जो संगठनात्मक मजबूती और राजनीतिक विस्तार- दोनों में भूमिका निभा सके.

बिहार चुनाव पर नजरः

बीजेपी के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल 2020 से चल रहा है. 2024 के लोकसभा चुनाव और संगठनात्मक प्रक्रियाओं के कारण दो बार बढ़ाया गया. अब पार्टी नया अध्यक्ष चुनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है. संभावना है कि सितंबर 2025 में उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद और बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले यह घोषणा हो सकती है. यदि बिहार चुनाव की घोषणा पहले हो जाती है, तो यह प्रक्रिया चुनाव के बाद तक टल भी सकती है.

क्या कहते हैं जानकारः

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता जो संगठन से भी करीबी माने जाते हैं, उन्होंने बताया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता लगातार कई नेताओं से बात कर रहे हैं. इसमें सबकी राय जानने के बाद निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि भाजपा में लोकतांत्रिक व्यवस्था है, यहां किसी के पुत्र या पुत्री या रिश्तेदारों को अहमियत नहीं दी जाती है, बल्कि योग्यता को दी जाती है. इसलिए सब कुछ विचार विमर्श के बाद ही तय किया जाता है ताकि किसी भी निर्णय पर सवालिया निशान ना खड़ा हो.

उत्तर प्रदेश-गुजरात प्रदेश अध्यक्ष चुनाव के बाद तेजीः

बीजेपी ने हाल ही में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, पुडुचेरी और अंडमान-निकोबार में नए प्रदेश अध्यक्षों को नियुक्त किया है. अब उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में भी जल्द नए अध्यक्षों की घोषणा होने की उम्मीद है. उत्तर प्रदेश और गुजरात को प्राथमिकता दी जा रही है, क्योंकि ये राज्य राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं. यहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह राष्ट्रीय परिषद के सदस्य चुने जाएंगे, जो नए अध्यक्ष के नामांकन में प्रस्तावक की भूमिका निभाएंगे.

यूपी-गुजरात में क्या है स्थितिः

उत्तर प्रदेश में हाल ही में 70 जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की गई है. जिससे यह संकेत मिलता है कि प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा जल्द हो सकती है. वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कार्यकाल समाप्त हो चुका है. उत्तर प्रदेश की राजनीतिक अहमियत और 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह नियुक्ति राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन से पहले महत्वपूर्ण है. वहीं दूसरा महत्वपूर्ण राज्य गुजरात में वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हैं. इसलिए नए अध्यक्ष का चुनाव जरूरी है.

दूसरे राज्यों में भी होना है संगठनात्मक चुनावः

वहीं दूसरे राज्यों की स्थिति देखें तो कर्नाटक में संगठनात्मक चुनावों में देरी के कारण यहां नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त नहीं हुआ है. वर्तमान अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र के एक और कार्यकाल की संभावना है. जबकि त्रिपुरा में राजीव भट्टाचार्जी 2022 से प्रदेश अध्यक्ष हैं, लेकिन जल्द ही नया नाम घोषित हो सकता है. वहीं पश्चिम बंगाल में सुकांत मजूमदार के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद नया अध्यक्ष चुना जा सकता है. यहां, अग्निमित्र पॉल और लॉकेट चटर्जी जैसे नाम चर्चा में हैं. हरियाणा, दिल्ली और पंजाब में भी जल्द नियुक्तियां होने की संभावना है.

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