उत्तराखंड में शादी का अनोखा रिवाज (local resident)
देहरादून: उत्तराखंड का जनजातिय बाहुल्य क्षेत्र जौनसार अपनी अनोखी परंपराओं के लिए जाना जाता है. शादी को लेकर भी यहां कई तरह की परंपराएं है. ऐसी ही एक परंपरा के अनुसार जौनसर में तीन दुल्हन अपनी बारात लेकर दुल्हे के घर पहुंची. बताया जाता है कि जौनसार में ये परंपरा अतीत से चली आ रही है.
बारात लेकर दूल्हे के घर जाने की परंपरा को स्थानीय भाषा में जोजोड़ा विवाह कहा जाता है. इस तरह की शादी की उद्देश्य फिजूलखर्ची रोकना है, क्योंकि यह शादी दहेज रहित होती हैं, लेकिन जौनसर में भी नई पीढ़ी अपनी इन परंपराओं से अलग चलकर शादी में काफी खर्चा कर रही है. हालांकि कुछ लोगों ने अपनी परंपराओं को अभी जीवित रखा हुआ है. इस परंपरा के तहत जौनसार क्षेत्र में तीन शादी हुई. ये परंपरा महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ बेटी के मां-बाप के ऊपर कर्ज का बोझ ना आए, उसके लिए भी ही है.
दूल्हे के घर होती है सभी रस्में: परंपरा के अनुसार शादी से तीन दिन पहले दूल्हा पक्ष दुल्हन को लेकर अपने घर आ जाता है और शादी की सभी परंपरा दूल्हे के घर पर ही होती है. इतना ही नहीं यहां दूल्हा बारात लेकर नहीं बल्कि दुल्हन अपने 100 या 200 बारातियों को लेकर दूल्हे के यहां पहुंचती है. इस परम्परा को जौनसार में जोजोड़ा कहा जाता है.

मनोज और कविता के शादी की फोटो. (local resident)
स्थानीय लोग बताते है कि जौनसार में जोजोड़ा प्रथा बीते कई सालों से चलन में नहीं है, लेकिन कुछ परिवार अभी भी अपनी परंपराओं को जिंदा रखे हुए है. जोजोड़ा के तहत ही जनजातिय बाहुल्य क्षेत्र जौनसर में तीन शादियां हुई, तीन शादियों में दुल्हन ही बारात लेकर दुल्हे के घर गई.
पहली बारात: रविवार को उत्तरकाशी जिले के मोरी तहसील में पूर्व प्रधान कल्याण सिंह चौहान के पुत्र मनोज की शादी गांव जाकटा निवासी जनक सिंह की पुत्री कविता से हुई. इस शादी की खास बात ये थी कि दुल्हन कविता खुद अपने रिश्तेदारों और ग्रामीणों के साथ बाजे-गाजे, ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक लोक धुनों पर थिरकती हुई बारात लेकर दूल्हे के घर पहुंचीं. गांव के लोगों के लिए यह नज़ारा किसी उत्सव से कम नहीं था. महिलाएं पारंपरिक परिधानों में सजी थीं और बच्चे भी इस अनोखी बारात को देखकर रोमांचित थे.
इस तरह की दूसरी शादी देहरादून जिले के कालसी ब्लॉक के फटेऊ गांव हुई. यहां भी दो भाइयों कपिल और प्रीतम की बारात गई नहीं, बल्कि उनकी दुल्हनें बारात लेकर उनके घर पहुंची. प्रीतम की शादी नीलम से हुई और कपिल की शादी बीना से हुई. नीलम और बीना बारात लेकर कपिल और प्रीतम के घर पहुंची थी.

मनोज और कविता के शादी की फोटो. (local resident)
विस्तार से जानिए इन परंपराओं के बारे में: उत्तराखंड सूचना विभाग के अपर निदेशक केएस चौहान बताते है कि यह रीति पहले जौनसार-बावर और बंगाण क्षेत्र में प्रचलित थी. ऐसी शादी को स्थानीय बोली में जोजोड़ा कहा जाता है, जिसका मतलब है, वो जोड़ा जिसे भगवान ने खुद मिलाया हैं.
इस परंपरा में दुल्हन पक्ष बारात लेकर दूल्हे के घर पहुंचते है और विवाह के सभी कार्य वहीं सम्मान होते है. इसमें न तो दहेज का कोई प्रश्न उठता है न ही आर्थिक बोझ का दबाव है. लड़की अपने साथ पांच तरह का सामान जरूर लाती है, जिसमे एक परात, एक कलश, एक संदूक, कटोरी और एक अन्य सामान.
इस पंरपरा के उद्देश्य यहीं है कि बिटियां के घर पर किसी तरह का बोझ ना पड़े. इसीलिए सैकड़ों सालों से चली आ रही ये पंरपरा महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल भी है. हालांकि नई पीढ़ियों में कुछ लोगों ने इस परंपरा को खत्म कर दिया है, लेकिन क्षेत्र के कुछ लोगों ने फिर से जोजोड़ा की शुरुआत की है, जिससे समाज में एक नया मैसेज जाएगा.
पिता है बेहद खुश: अपने बेटे मनोज की शादी को लेकर कल्याण सिंह चौहान बताते हैं कि इस विवाह के माध्यम से उन्होंने पुरखों की परंपरा को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है.
हमारी संस्कृति में कई सुंदर रीतियां समय के साथ खो गईं. यदि हम इन्हें फिर से उन्हें जीवित नहीं करेंगे तो आने वाली पीढ़ियां अपने मूल से कट जाएंगी. इस विवाह में न कोई दहेज था न कोई दिखावा. बस प्रेम परंपरा और समानता की भावना थी.
कल्याण सिंह चौहान, दुल्हे मनोज के पिता
जौनसार बावर में हुई ये शादी पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है. लोग इसे नई सोच के साथ पुरानी परंपरा का पुनर्जन्म मान रहे हैं. शादी में न तो कोई तेज़ म्यूजिक था और ना ही कोई हो हल्ला. सभी लोग एक ही परिधान में बेहद खूबसूरत दिख रहे थे. ये शादी बाते बताती है कि यहां के लोग भले ही आज कितने भी बड़े ओहदे पर क्यों ना आ गए हो, पर इन लोगों ने अपनी जड़ों को अभी तक नहीं छोड़ा है.
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