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उत्तराखंड में 25 साल में बिछा हेलीपैड्स का जाल, बेहतर हुई एयर कनेक्टिविटी, जानिये कैसा रहा सफर


उत्तराखंड में हेलीपोर्ट और हेलीकॉप्टर सेवा (फोटो- ETV Bharat/DIPR_UK)

रोहित सोनी

देहरादून: उत्तराखंड राज्य गठन को 25 साल पूरे हो रहे हैं. ऐसे में राज्य सरकार इस 25वें वर्षगांठ को रजत जयंती के रूप में मना रही है. साथ ही राज्य गठन के बाद हुए विकास और भविष्य की चुनौतियों पर रणनीति तैयार कर रही है. हालांकि, इन 25 सालों से भीतर तमाम क्षेत्रों में राज्य ने कई मुकाम हासिल किए हैं. इसी कड़ी में उत्तराखंड में इन 25 सालों के भीतर हेली सेवाओं में भी बड़ा विस्तार हुआ है.

उत्तराखंड राज्य गठन के बाद हेली कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही तमाम योजनाओं के जरिए हेली सेवाएं शुरू की गई, लेकिन हमेशा से ही एक बड़ी चुनौती यात्रियों की संख्या कम होना रहा है. जिसके चलते कई बार प्रदेश के भीतर संचालित होने वाले तमाम हेली सेवाओं को बंद भी करना पड़ा. ऐसे में राज्य गठन के बाद से ही उत्तराखंड राज्य में हेली सेवाओं की क्या रही है स्थिति? इसकी विस्तार से आपको जानकारी देते हैं.

उत्तराखंड में 25 सालों में बिछा हेलीपैड्स का जाल (Video- ETV Bharat)

राज्य गठन के वक्त उत्तराखंड में मौजूद थे 5 एयरस्ट्रिप: उत्तर प्रदेश से पृथक एक अलग पर्वतीय राज्य उत्तराखंड का गठन 9 नवंबर 2000 को हुआ था. उस दौरान उत्तराखंड में 5 एयरस्ट्रिप मौजूद थीं. जिसमें जौलीग्रांट एयरपोर्ट, पंतनगर एयरपोर्ट, गौचर, चिन्यालीसौड़ और पिथौरागढ़ हेलीपैड शामिल हैं, लेकिन राज्य गठन के बाद मात्र दो एयरस्ट्रिप जौलीग्रांट और पंतनगर एयरपोर्ट से व्यावसायिक हेली सेवाओं का संचालन किया जा रहा था.

Aircraft at Naini Saini Airport in Pithoragarh

पिथौरागढ़ के नैनी सैनी एयरपोर्ट पर विमान (फाइल फोटो- CMO)

साल 2013 में यूकाडा का गठन: इसके बाद प्रदेश में लंबे समय तक इन व्यवस्थाओं के तहत ही संचालन होता रहा. साथ ही साल 2011 में केदारनाथ धाम के लिए हेली सेवा का संचालन शुरू किया गया, लेकिन प्रदेश में मौजूद हेलीपैड से व्यावसायिक संचालन बेहद कम था. ऐसे में प्रदेश के भीतर व्यावसायिक हेली सेवाओं का संचालन बढ़ाए जाने को लेकर राज्य सरकार ने साल 2013 में उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण का गठन किया.

Uttarakhand Heli Service

देहरादून में खड़े हेलीकॉप्टर (फोटो- ETV Bharat)

केदारनाथ आपदा के बाद महसूस हुई हेली सेवाओं की जरूरत: इसके बाद से ही प्रदेश में व्यावसायिक रूप से हेली सेवाओं का इस्तेमाल तेज हो गया. इसी बीच जून 2013 में केदार घाटी में आई भीषण आपदा के बाद उत्तराखंड सरकार ने हेली सेवाओं की अत्यधिक जरूरत महसूस की. फिर राज्य में हेली कनेक्टिविटी को बेहतर करने की दिशा में तमाम महत्वपूर्ण कदम उठाए गए.

Uttarakhand Heli Service

हेलीकॉप्टर (फोटो- ETV Bharat)

उत्तराखंड में वर्तमान में 90 हेलीपैड और 7 हेलीपोर्ट मौजूद: इसमें मुख्य रूप से प्रदेश के भीतर तमाम क्षेत्रों में नए-नए हेलीपैड बनाने की प्रक्रिया को भी तेज कर दिया गया. जिसका ही नतीजा है आज प्रदेश भर में करीब 90 हेलीपैड और 7 हेलीपोर्ट मौजूद हैं. उत्तराखंड में हेली सेवाओं के क्षेत्र में क्रांति की शुरुआत साल 2020 से शुरू हुई.

Uttarakhand Heli Service

उड़ान भरता हेलीकॉप्टर (फाइल फोटो- ETV Bharat)

दरअसल, केंद्र सरकार ने 21 अक्टूबर 2016 को उड़ान योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत उत्तराखंड में पहली हेली सेवाएं फरवरी 2020 में शुरू हुईं. इसके बाद उत्तराखंड में उड़ान योजना के तहत तमाम हेली सेवाओं का संचालन शुरू किया गया. वर्तमान समय में राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत 18 रूटों पर हेली सेवाओं और 6 रूटों पर विमान सेवा का संचालन किया जा रहा है.

Heli Service in Uttarakhand

केदारनाथ के लिए हेली सेवा (फाइल फोटो- Information Department)

10 रूटों पर हेली सेवाओं का संचालन प्रस्तावित: इसके अलावा भारत सरकार की उड़ान योजना और उत्तराखंड हवाई संपर्क योजना के तहत 10 रूटों पर हेली सेवाओं का संचालन किया जाना प्रस्तावित है. इसके अलावा नागरिक उड्डयन विभाग गौचर और चिन्यालीसौड़ हेलीपैड का भी व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए कार्य योजना तैयार कर रही है, जो 30 दिसंबर तक तैयार होने की संभावना है.

Sahastradhara Heliport

सहस्त्रधारा हेलीपोर्ट (फोटो सोर्स- X@DIPR_UK)

इन जगहों के लिए हो रहा हेली सेवाओं का संचालन: केद्र सरकार की ओर से संचालित उड़ान योजना के तहत उत्तराखंड में 12 रूटों पर हेली सेवाओं का संचालन किया जा रहा है. जिसमें देहरादून से अल्मोड़ा, अल्मोड़ा से देहरादून, हल्द्वानी से मुनस्यारी, मुनस्यारी से हल्द्वानी, हल्द्वानी से पिथौरागढ़, पिथौरागढ़ से हल्द्वानी, हल्द्वानी से चंपावत, चंपावत से हल्द्वानी, पिथौरागढ़ से मुनस्यारी, मुनस्यारी से पिथौरागढ़, हल्द्वानी से अल्मोड़ा, अल्मोड़ा से हल्द्वानी रूट शामिल हैं.

Heli Service in Uttarakhand

आसमान में उड़ान भरता हेलीकॉप्टर (फाइल फोटो- ETV Bharat)

उड़ान योजना के तहत 4 रूटों पर संचालित हो रही विमान सेवा: इसके अलावा उड़ान योजना के तहत वायुयान सेवा 4 रूटों पर संचालित हो रही हैं. जिसमें, देहरादून टू नैनी सैनी, नैनी सैनी टू देहरादून, नैनी सैनी टू पंतनगर, पंतनगर टू नैनी सैनी रूट शामिल हैं. इन रूटों पर वायुयान सेवा हफ्ते में 6 दिन यानी सोमवार से शनिवार तक संचालित हो रही है.

वहीं, उड़ान योजना के अलावा प्रदेश में हेली कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए साल 2023 में उत्तराखंड हवाई संपर्क योजना शुरू की गई. जिसके तहत राज्य सरकार ने 4 दिसंबर 2023 को पहली उत्तराखंड हेलीपैड और हेलीपोर्ट नीति को मंजूरी दी. ताकि, जिन रूटों पर उड़ान योजना का लाभ नहीं मिल पर रहा है, उन रूटों पर राज्य योजना के तहत हेली सेवाओं का संचालन किया जा सके.

Uttarakhand Civil Aviation Authority

उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (फोटो सोर्स- X@DIPR_UK)

उत्तराखंड हवाई संपर्क योजना के तहत 6 रूटों पर हेली सेवाओं का संचालन: ऐसे में उत्तराखंड हवाई संपर्क योजना के तहत प्रदेश में 6 रूटों पर हेली सेवाओं का संचालन शुरू किया गया. जिसमें सहस्त्रधारा से गौचर, गौचर से सहस्त्रधारा, सहस्त्रधारा से जोशियाड़ा, जोशियाड़ा से सहस्त्रधारा, सहस्त्रधारा से श्रीनगर और श्रीनगर से सहस्त्रधारा रूट शामिल हैं.

Heli Service in Uttarakhand

सहस्रधारा हेलीपोर्ट पर हेलीकॉप्टर (फोटो- ETV Bharat)

दिल्ली से पिथौरागढ़ के लिए फ्लाइट सेवा संचालित: इसके अलावा उत्तराखंड हवाई संपर्क योजना के तहत वायुयान यानी फ्लाइट सेवा 2 रूटों पर संचालित की गई. जिसमें दिल्ली से पिथौरागढ़ और पिथौरागढ़ से दिल्ली रूट शामिल है. ये वायुयान सेवा हफ्ते में 3 दिन यानी मंगलवार, गुरुवार, शनिवार को संचालित हो रही है.

राज्य गठन के दौरान दो एयरपोर्ट से होता था कमर्शियल हवाई सेवाओं का संचालन: उत्तराखंड राज्य गठन के दौरान प्रदेश में दो एयरपोर्ट से ही कमर्शियल हवाई सेवाओं का संचालन होता था. जिसमें जौलीग्रांट एयरपोर्ट और पंतनगर एयरपोर्ट शामिल हैं. हालांकि, उस दौरान प्रदेश में गौचर, चिन्यालीसौड़ और पिथौरागढ़ हेलीपैड भी मौजूद थे, लेकिन उसका कमर्शियल इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था.

ऐसे में इन 25 सालों के भीतर हेली सेवाओं के लिए मौजूद इंफ्रास्ट्रक्चर को न सिर्फ अपग्रेड किया गया है बल्कि, कमर्शियल इस्तेमाल की दिशा में भी बेहतर काम किया गया है. साथ ही उत्तराखंड को हेली सेवाओं के जरिए अन्य राज्यों के साथ ही उत्तराखंड के भीतर एक शहर को दूसरे शहर से जोड़ने की दिशा में काम किया गया है. इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण का भी गठन किया.

उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विभाग सचिव सचिन कुर्वे के मुताबिक, वर्तमान समय में उत्तराखंड में करीब 90 हेलीपैड मौजूद हैं, जिसमें से कुछ प्राइवेट सेक्टर के भी शामिल हैं. इतना ही नहीं प्रदेश के भीतर 13 स्थानों पर हेलीपोर्ट बनाए जाने हैं, जिसमें से 7 हेलीपोर्ट बनाए जा चुके हैं. जबकि, 6 हेलीपोर्ट का निर्माण कार्य चल रहा है.

इसके अलावा 5 नए हेलीपोर्ट को मंजूरी दी गई है. जिसके लिए जमीन चिन्हित करने की प्रक्रिया चल रही है. एयरपोर्ट की तर्ज पर ही हेलीपोर्ट का निर्माण कराया जा रहा है. ताकि, देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को एयरपोर्ट की तरह ही सुविधा मिल सके. लिहाजा, प्रदेश में हवाई सेवा का जाल बिछाने के लिए हेलीपोर्ट का निर्माण किया जा रहा है.

सहस्त्रधारा हेलीपैड को हेलीपोर्ट के रूप में किया गया अपग्रेड: देहरादून के सहस्त्रधारा हेलीपैड को हेलीपोर्ट के रूप में अपग्रेड किया गया है. ऐसे में सहस्त्रधारा हेलीपोर्ट को देश में मॉडल हेलीपोर्ट के रूप में प्रदर्शित किया जा रहा है. पिथौरागढ़ स्थित नैनी सैनी एयरपोर्ट को न सिर्फ देहरादून से जोड़ा गया है बल्कि, दिल्ली से भी नैनी सैनी एयरपोर्ट के लिए सीधी फ्लाइट संचालित की जा रही है.

पंतनगर एयरपोर्ट के एक्सपेंशन को लेकर कार्रवाई: भारत सरकार की उड़ान योजना के तहत उत्तराखंड के जो दूरस्थ क्षेत्र कवर नहीं हो पा रहे हैं, उन क्षेत्रों तक हेली सेवाओं का संचालन करने के लिए राज्य सरकार ने उत्तराखंड हवाई संपर्क योजना भी शुरू की है. पंतनगर एयरपोर्ट के एक्सपेंशन को लेकर 804 एकड़ जमीन अन्य विभागों से ली गयी है.

इसमें से 524 एकड़ जमीन एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को स्थानांतरित की गयी है. इसके निर्माण कार्य का शुभारंभ भी जल्द ही किया जाएगा. इसके अलावा गोचर और चिन्यालीसौड़ हेलीपैड का इस्तेमाल व्यावसायिक तरीके से कैसे कर सकते हैं? इस पर गहन मंथन चल रहा है. लिहाजा, इसी साल 30 दिसंबर तक कार्ययोजना तैयार कर ली जाएगी.

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