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National Space Day 2025: अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छूता भारत – मंगल से चांद तक की गौरवगाथा


हैदराबाद: आज का दिन हरेक भारतीयों के लिए काफी खास है. यह एक ऐसा दिन है, जिसपर हरेक भारतीय नागरिकों को भारत पर गर्व होना चाहिए. आज से ठीक दो साल पहले, 23 अगस्त 2023 को भारत ने अंतरिक्ष में एक शानदार उपलब्धि हासिल की थी. इस दिन भारत चंद्रमा के साउथ पोल यानी दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र तक पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बना था. इसके अलावा भारत चांद की सतह तक पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश भी बना था. इस ऐतिहासिक उपलब्धि को हमेशा के लिए यादगार बनाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 अगस्त को ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ (National Science Day) घोषित किया. इस कारण आज पूरा देश अपना दूसरा राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मना रहा है. इस कारण भारतीय अंतरिक्ष विभाग के द्वारा पूरे देश में कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है.

भारतीय स्पेस मिशन की शुरुआत

भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कमाल की कामयाबियां हासिल की है, जिसका लोहा दुनिया के बड़े-बड़े देश भी मानने लगे हैं. इसकी शुरुआत भारत की आज़ादी के महज 12 साल बाद यानी सन् 1962 में ही हो गई थी. उस साल भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नेशनल स्पेस प्रोग्राम के तहत Indian National Committee for Space Research (INCOSPAR) की स्थापना की थी, जिसका नेतृत्व भारतीय नेशनल स्पेस प्रोग्राम के पहले चेयरमैन विक्रम साराभाई कर रहे थे.

21 नवंबर 1963 को केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के पास थुम्बा से भारत ने पहला साउंडिंग रॉकेट लॉन्च किया.उसके बाद 15 अगस्त 1969 विक्रम साराभाई के नेतृत्व में ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी Indian Space Research Organisation (ISRO) की स्थापना की गई. उस वक्त भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं. 1972 में Space Commission और Department of Space बनाए गए और इसरो का स्थानांतरण हुआ.

19 अप्रैल 1975 में भारत का पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट (Aryabhata) सोवियत रॉकेट (Kosmos-3M) द्वारा लॉन्च किया गया और यह तारीख भारतीय अंतरिक्ष इतिहास के लिए अमर हो गई. 1975 में ही भारत ने नासा (NASA) की मदद से SATELLITE INSTRUCTIONAL TELEVISION EXPERIMENT (SITE) को सफलतापूर्वक पूरा किया, जिसकी मदद से भारत में टीवी देखने और टीवी पर दूरदर्शन चैनल देखने की शुरुआत हुई.

उसके बाद से भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में कई शानदार उपलब्धियों को हासिल किया, जिनमें से एक खास उपलब्धि 3 अप्रैल 1984 को हासिल की गई थी. उस दिन राकेश शर्मा अंतरिक्ष तक पहुंचने वाले पहले भारतीय बने थे. वह सोवियत Soyuz T‑11 से अंतरिक्ष गए थे, जो रूस का एक स्पेसक्राफ्ट था.

Chandrayaan‑1 मिशन (2008)

  • उसके बाद स्पेस सेक्टर में भारत की बड़ी उपलब्धि 22 अक्टूबर 2008 को आई, जब भारत ने पहली बार चंद्रमा मिशन को लॉन्च किया और उसका नाम Chandrayaan‑1 रखा गया.
  • इसरो ने चंद्रयान-1 को PSLV‑XL से लॉन्च किया था.
  • इस सैटेलाइट को आंध्र-प्रदेश के श्रीहरिकोटा में मौजूद SDSC SHAR से लॉन्च किया गया था.
  • यह सैटेलाइट 10 नवंबर को सफलतापूर्वक चंद्रमा के ऑर्बिट में पहुंच चुका था.
  • इस सफलता के साथ भारत चांद की ऑर्बिट तक सैटेलाइट को पहुंचाने वाला दुनिया का पांचवा देश बना था.

Mangalyaan

  • 5 नवंबर 2013 को भारत ने एक बार फिर अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपना लोहा पूरी दुनिया में मनवाया. उस दिन भारत ने बहुत ही कम बजट में अपने सैटेलाइट को पहली ही कोशिश में मंगल ग्रह तक पहुंचा दिया.
  • उस दिन भारत दुनिया का पहला देश बना था, जिसके मंगल ग्रह तक सैटेलाइट को पहुंचाया हो. हालांकि, उससे पहले अन्य देशों ने कोशिशें तो की थी, लेकिन वो सफल नहीं हो पाए थे.
  • इस मिशन की सबसे खास बातें थी कि भारत ने पहले ही कोशिश में मंगल ग्रह के ऑर्बिट यानी Mars Orbit तक पहुंचने में समफलता हासिल की.
  • इसके अलावा भारत ने इस मिशन को सिर्फ 74 मिलियन डॉलर यानी लगभग 450 करोड़ रुपये में ही पूरा कर लिया था. आपको बता दें कि अमेरिका जैसे देशों में सिर्फ एक हॉलीवुड फिल्म बनाने में ही इससे ज्यादा पैसे खर्च हो जाते हैं.

104 सैटेलाइट का रिकॉर्ड

  • 15 फरवरी 2017 को इसरो ने एक ही मिशन में 104 सैटेलाइट्स को एक साथ लॉन्च करके एक वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया, क्योंकि ऐसा किसी ने भी किया था.

Chandrayaan‑2 मिशन (2019)

  • चंद्रयान-1 की सफलता के बाद, चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया.
  • कई कक्षीय संचालन और ट्रांस-लूनर इंजेक्शन के बाद, यह 20 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया.
  • हालांकि, 6 सितंबर को लैंडर के अवतरण के दौरान संपर्क टूट गया और वह चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया.

Chandrayaan‑3 मिशन (2023)

  • 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया गया चंद्रयान-3 मिशन ने सभी कक्षीय संचालन सफलतापूर्वक पूरे किए.
  • यह 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया, और 17 अगस्त को लैंडर मॉड्यूल ने प्रोपल्शन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग होकर स्वतंत्र रूप से कार्य करना शुरू किया.
  • 23 अगस्त को शाम 6:04 बजे, लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में लक्षित स्थल से मात्र 300 मीटर की दूरी पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की – जो भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि रही.

इसी उपलब्धि के बाद से भारत ने हर साल 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाने की शुरुआत कर दी. इस उपलब्धि के बाद भारत की स्पेस यात्रा में और भी ज्यादा तेजी आ गई और भारत ने अगले दो वर्षों में और भी खास उपलब्धियों को हासिल किया.

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