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NARI 2025 रिपोर्ट: दून पुलिस ने सर्वे कंपनी को भेजा नोटिस, MD को तीन दिन में पेश होने कहा


देहरादून: नेशनल एनुअल रिपोर्ट एंड इंडेक्स ऑन वूमेन सेफ्टी (NARI 2025) रिपोर्ट को लेकर उत्तराखंड में बवाल मचा हुआ है. क्योंकि NARI 2025 रिपोर्ट में देहरादून को देश के 10 असुरक्षित शहरों में शामिल किया गया है. हालांकि बीजेपी, उत्तराखंड महिला आयोग की अध्यक्ष और देहरादून पुलिस खुद इस रिपोर्ट को नकार चुकी है. वहीं अब देहरादून पुलिस ने निजी सर्वे कंपनी के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर को नोटिस भेजा है.

देहरादून पुलिस ने नोटिस भेजकर निजी सर्वे कंपनी के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर को तथ्यात्मक आंकड़ों के साथ पेश होने को कहा है. पुलिस का कहना है कि तथ्यात्मक आंकड़ों का जांच के बाद ही अग्रिम कार्रवाई की जाएगी.

बताया जा रहा है कि समाचार पत्र के माध्यम से महिला सुरक्षा को लेकर सर्वे रिपोर्ट प्रकाशित की गई है, जिसमे देहरादून को देश के 10 असुरक्षित शहरों में स्थान दिया गया है. पुलिस का कहना है कि रिपोर्ट में अंकित तथ्य और आंकड़े, सरकारी आंकड़ों से एकदम विपरीत है. रिपोर्ट के प्रकाशित होने से देहरादून में अभिभावकों, महिलाओं और युवतियों के मध्य सुरक्षा को लेकर बने नकारात्मक माहौल के मद्देनजर सर्वे रिपोर्ट के सभी तथ्यों के परीक्षण के लिए एसएसपी ने एसपी ऋषिकेश को जांच सौंपी गई है.

एसपी ऋषिकेश ने सर्वे कंपनी के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर को सर्वे में लिए गए सभी तथ्यात्मक आंकड़ों के साथ तीन दिन के अंदर प्रस्तुत होने का नोटिस जारी किया गया है. सर्वे में लिए गए सभी तथ्यात्मक आंकड़ों के परीक्षण के बाद इस मामले में अग्रिम कार्रवाही की जायेगी.

एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि देहरादून शहर हमेशा से सुरक्षित शहरों में गिना जाता है. यही कारण है कि देहरादून में प्रतिष्ठित केंद्रीय संस्थानों के साथ-साथ ख्याति प्राप्त शैक्षणिक संस्थान भी स्थित हैं, जिनमें देश विदेश के छात्र अध्ययनरत हैं.

देहरादून में अनेकों पर्यटक स्थल भी स्थित हैं, जिसमें साल भर भारी संख्या में पर्यटकों का आवागमन बना रहता है. छात्र-छात्राओं और पर्यटकों की निरंतर बढ़ती संख्या खुद में इस बात का प्रमाण है कि देहरादून शहर आम जनता और बाहरी प्रदेशों से आने वाले लोगों, पर्यटकों, छात्र-छात्राओं के लिए कितना सुरक्षित है. पुलिस ने कहा कि वो सर्वेक्षण के निष्कर्षों का सम्मान करते हैं, किंतु नीतिगत निर्णयों हेतु यह आवश्यक है कि किसी भी सर्वे की पद्धति वैज्ञानिक और तथ्यात्मक हो, ताकि उसके निष्कर्ष सार्थक एवं विश्वसनीय बन सकें.

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