देहरादून: उत्तराखंड में पंचायत चुनावों को लेकर कई बार विवाद गहरा चुका है. कभी चुनाव के देरी से नोटिफिकेशन तो कभी दो मतदाता सूची वाले प्रत्याशियों पर हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की. जैसे-तैसे राज्य निर्वाचन आयोग एक मसले पर बाहर निकला तो दूसरा मामला सामने आ खड़ा होता है. प्रत्याशियों का नाम दो वोटर लिस्ट में होने का मामला फिर से उत्तराखंड हाईकोर्ट जाने वाला है. याचिकाकर्ता शक्ति बर्तवाल हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं होने की बात कहकर अवमानना याचिका दायर करने की बात कह रहे है.
प्रदेश में यह पहला मौका है, जब पंचायत चुनाव जबरदस्त विवाद में रहा है. ताजा विवाद प्रत्याशियों के नाम दो मतदाता सूची में शामिल होने को लेकर है. इस मामले में हाईकोर्ट यह स्पष्ट कर चुका है कि राज्य निर्वाचन आयोग को पंचायती राज एक्ट के तहत पंचायत के चुनाव करवाने हैं, जिसमें दो मतदाता सूची में प्रत्याशी का होना वैध नहीं है. हालांकि हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने पंचायत चुनाव पर किसी भी तरह की रोक के आदेश नहीं किए हैं.
याचिकाकर्ता 500 प्रत्याशियों के नाम सौंप चुका है: मामले को लेकर यह स्पष्ट है कि हाईकोर्ट नियमों के तहत ही पंचायत चुनाव कराए जाने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दे चुका है. ऐसे में याचिकाकर्ता शक्ति सिंह बर्तवाल ने आयोग पर आरोप लगाया है कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी नियमों का पालन नहीं किया जा रहा और दो मतदाता सूची वाले प्रत्याशियों के नामांकन रद्द नहीं किए जा रहे. इस मामले पर अब याचिकाकर्ता शक्ति सिंह बर्तवाल कहते हैं कि राज्य निर्वाचन आयोग हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं कर रहा है, जबकि उनके द्वारा करीब 500 ऐसे प्रत्याशियों के नाम आयोग को सौंपे जा चुके हैं, जिनमें दो या दो से ज्यादा जगह पर मतदाता सूची में प्रत्याशी के नाम है.
उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग. (ETV Bharat)
याचिकाकर्ता ने राजभवन को भी सौंपी लिस्ट: उन्होंने कहा कि नियम के अनुसार ऐसे लोगों के चुनाव में हिस्सा लेने पर रोक के आदेश होने चाहिए थे, लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग इस पर कोई कदम नहीं उठा रहा. इसी को देखते हुए उन्होंने यह फैसला लिया है कि वह मामले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा आएंगे और हाईकोर्ट के आदेशों का पालन नहीं होने के चलते अवमानना याचिका दायर करेंगे. याचिकाकर्ता इस मामले में राजभवन का दरवाजा भी खटखटा चुका है. ऐसे प्रत्याशियों के नाम आयोग को सौंपने के अलावा राजभवन को भी दिए गए हैं, जो दो मतदाता सूची में शामिल है. इसके बावजूद उन्होंने चुनाव में ताल ठोकी है.
बता दें कि इस मामले में पहले ही हाईकोर्ट राज्य निर्वाचन आयोग को दिशा निर्देश दे चुका है. मामले में राज्य निर्वाचन आयोग को तब राहत मिली थी, जब हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि उनकी तरफ से चुनाव पर रोक नहीं लगाई गई है, लेकिन चुनाव को एक्ट के अनुसार ही करवाए जाने के निर्देश भी दिए गए थे.
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