देवभूमि परिवार योजना (फोटो- ETV Bharat GFX)
धीरज सजवाण
देहरादून: उत्तराखंड में जहां मूल निवास, भू प्रबंधन, डेमोग्राफिक चेंज जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पुरजोर तरीके से उठाए जा रहे हैं. ऐसे में धामी सरकार ने ‘देवभूमि परिवार योजना’ लाकर एक बड़ा दांव खेला है. यह योजना नियोजन विभाग के माध्यम से धरातल पर उतारी जा रही है. ऐसे में जानते हैं कि यह योजना क्या है और कैसे धरातल पर उतरेगी?
इस योजना की क्या कुछ बारीकियां हैं, किस तरह से चरणबद्ध तरीके से इस योजना को धरातल पर उतारा जाएगा और इस योजना के बाद लाभार्थी को क्या फायदे होंगे? तमाम राजनीतिक मुद्दों के बीच किस तरह से धामी सरकार इसे साधने की कोशिश कर रही है, इसे लेकर हमने विभाग से जानकारी जुटाई.
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‘देवभूमि परिवार योजना’ को धामी कैबिनेट से मिल चुकी मंजूरी उत्तराखंड में धामी सरकार ने बीती 12 नवंबर को हुई कैबिनेट बैठक में ‘देवभूमि परिवार योजना’ लागू करने की मंजूरी दी है. इस योजना का मकसद राज्य के प्रत्येक परिवार को एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान कर योजनाओं का लाभ सीधे और पारदर्शी तरीके से उपलब्ध कराना है. यानी इस योजना के तहत सभी परिवारों की एक यूनिक फैमिली आईडी बनेगी. डेटाबेस के आधार पर लाभार्थियों को सरकारी योजनाओं की जानकारी मिलेगी तो वहीं एक क्लिक पर सरकार के पास भी सभी परिवारों का डाटा रहेगा. |
8 विभागों से एकत्रित किया गया 1.15 करोड़ों लोगों का डाटा: देवभूमि परिवार योजना को लेकर काम कर रहे नियोजन विभाग से हमने जानकारी जुटाई कि आखिर इस योजना को लेकर अब तक क्या कुछ ग्राउंड्स तैयार किए गए हैं? किस तरह से इस योजना को धरातल पर उतरने की तैयारी की जा रही है? जिस पर नियोजन विभाग के अपर सांख्यिकी अधिकारी संदीप पांडे ने विस्तार से जानकारी दी.

देवभूमि परिवार योजना के फायदे (फोटो- ETV Bharat GFX)
“नियोजन विभाग ने प्रदेश के तकरीबन 8 रेखीय डिपार्टमेंट (जो कि सीधे तौर से पब्लिक से जुड़े रहते हैं) के माध्यम से 1.15 करोड़ लोगों का डाटा जमा किया है. जिसमें सबसे ज्यादा खाद्य आपूर्ति विभाग से डाटा जुटाया गया है. खाद्य आपूर्ति विभाग राशन कार्ड इत्यादि बनाते हैं, उनसे 95 लाख लोगों का डाटा लिया गया है. इस पूरे डाटा को ‘देवभूमि परिवार उत्तराखंड’ पोर्टल के जरिए सिंक किया गया है. यह डाटा तकरीबन 28.5 लाख परिवारों का है.“
– संदीप पांडेय, अपर सांख्यिकी अधिकारी, नियोजन विभाग –
AI और मशीन लर्निंग से किया गया 64 योजनाओं का डाटा फिल्टर: नियोजन विभाग के मुताबिक, उत्तराखंड के 8 रेखीय विभागों से लिए गए 1.15 करोड़ लोगों के डाटा को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग की मदद से जुटाया गया. इसके लिए राज्य सरकार की 12 विभागों की ओर से चलाई जाने वाली तकरीबन 64 योजनाओं के लाभार्थियों में फिल्टर किया गया है. अपर सांख्यिकी अधिकारी संदीप पांडे ने बताया कि 28.5 लाख परिवारों का यह डाटा उन्हें योजनाओं के लाभार्थियों के रूप में फिल्टर आउट करेगा.
“अन्य योजनाओं को भी लगातार इस डाटा के साथ सिंक किया जा रहा है. अभी तक केवल राज्य सरकार की योजना को इस डाटा के साथ सिंक किया गया है. जल्द ही केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं को भी इसमें जोड़ा जाएगा. वहीं, इस वित्तीय वर्ष के आखिर तक इस पोर्टल के हर तरह के डाटा को एनालाइज करके लॉन्च कर दिया जाएगा.“
– संदीप पांडेय, अपर सांख्यिकी अधिकारी, नियोजन विभाग –
फिजिकल वेरिफिकेशन के बाद बनेगी दो तरह की DP आईडी: नियोजन विभाग की तरफ से किए जा रहे इस डाटा कलेक्शन के बाद असली काम शुरू होगा. जहां पर इस ऑनलाइन डाटा को वेरीफाई करने के लिए ग्राउंड पर जाकर सर्वे किया जाएगा. जिसके बाद हर एक परिवार का एक देवभूमि परिवार कार्ड यानी डीपी कार्ड बनेगा.
“योजना के प्रस्ताव के अनुसार दो तरह की आईडी बनाई जाएगी. एक स्थायी आईडी होगी, जो कि यहां के मूल निवासी या स्थायी निवासी का होगा. वहीं, दूसरी आईडी उसकी होगी, जो फ्लोटिंग पॉपुलेशन यानी दूसरी जगह से यहां रोजगार, शिक्षा या अन्य वजहों से आया है.“
– संदीप पांडेय, अपर सांख्यिकी अधिकारी, नियोजन विभाग –
देवभूमि परिवार योजना से कैसे होगा डेमोग्राफी नियंत्रण? धामी सरकार की ओर से जा रही इस योजना को कई राजनीतिक एजेंडे से भी जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें मूल निवास और डेमोग्राफिक चेंज सबसे महत्वपूर्ण विषय हैं. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता हनी पाठक का कहना है कि सरकार के इस योजना से देवभूमि उत्तराखंड के जो स्थाई निवासी है, उन्हें पहचान मिलेगी.
सचिवालय में मंत्रिमंडल की बैठक में ‘उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस : रजत जयंती उत्सव’ के अवसर पर आदरणीय राष्ट्रपति महोदया श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी एवं आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी द्वारा दिए गए आशीर्वचन व मार्गदर्शन के प्रति मंत्रिमंडल ने आभार व्यक्त किया।
राष्ट्रपति… pic.twitter.com/LdxtUoeTDk
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) November 12, 2025
इसके अलावा हनी पाठक ने इसके फायदे गिनाते हुए कहा कि योजनाओं में पारदर्शिता होगी और डुप्लीकेसी काफी हद तक बंद हो जाएगी. वहीं, इसके अलावा उत्तराखंड में लगातार बाहरी राज्यों से आ रहे विशेष समुदाय के लोगों के चिन्हीकरण में भी यह योजना कारगर साबित होगी.
“इस योजना के धरातल पर उतरने के बाद उत्तराखंड में जिस तरह से तेज गति से डेमोग्राफिक चेंज हो रहा है, उसमें भी काफी हद तक नियंत्रण देखने को मिलेगा.”
– हनी पाठक, बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता –
एक योजना से कई निशाने: इस योजना के तहत सरकार न केवल प्रदेश में रह रहे परिवारों की जानकारी को जुटाएगी बल्कि, इसमें योजनाओं के आंकड़ों को भी इकट्ठा किया जाएगा. इसके तहत सरकार को यह जानकारी मिल पाएगी कि प्रदेश में चल रही विभिन्न योजनाओं का लाभ किन-किन परिवारों को और कितनी बार मिला है? इस तरह का डाटा तैयार होने से न केवल भविष्य में नई योजनाओं की रूपरेखा तैयार करने में मदद मिलेगी बल्कि, ऐसे लाभार्थियों का भी पता चल सकेगा, जो हर बार सरकारी योजना के लाभ में लाभार्थी बन रहे हैं.
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