जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में 2025 लेफ्ट ने लहराया परचम (ETV BHARAT)
नई दिल्ली: जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में एक बार फिर से सेंट्रल पैनल के चारों पदों पर वामपंथी छात्र संगठनों के गठबंधन ने जीत दर्ज की है. हालांकि, इस बार उन्हें महासचिव और संयुक्त सचिव के पद पर विद्यार्थी परिषद की ओर से कड़ी चुनौती मिली. लेकिन, अंतत: लेफ्ट गठबंधन आइसा, एसएफआई और डीएसएफ ने चारों पदों पर कब्जा कर लिया. अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद पर जहां लेफ्ट को बड़े अंतर से जीत मिली तो वहीं महासचिव और संयुक्त सचिव के पद पर कम वोटों के अंतर से लेफ्ट गठबंधन प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की.
चार पदों में से दो पदों पर जहां आइसा प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की तो वहीं एसएफआई और डीएसएफ के प्रत्याशियों को एक-एक पद पर जीत मिली. दरअसल, वामपंथी छात्र संगठनों आइसा, एसएफआई और डीएसएफ के बीच हुए गठबंधन में दो सीट आइसा को, जबकि एक सीट एसएफआई और एक सीट डीएसएफ को मिली थी. आइसा ने जहां अध्यक्ष और संयुक्त सचिव के पद पर प्रत्याशी उतारे थे तो वही एसएफआई ने उपाध्यक्ष पद पर और डीएसएफ ने सचिव पद पर प्रत्याशी खड़े किए थे.

जीत के बाद लेफ्ट उम्मीदवारों ने मनाया जश्न (ETV BHARAT)
JNU इलेक्शन कमेटी चेयरपर्सन रविकांत (ETV BHARAT)
6 साल बाद महिला बनी अध्यक्ष: इस बार चुनाव परिणाम घोषित होने के साथ ही जेएनयू छात्र संघ को 6 वर्ष बाद एक बार फिर से अदिति के रूप में महिला छात्र संघ अध्यक्ष मिली है. उन्हें 1937 वोट मिले. वहीं एबीवीपी प्रत्याशी विकास पटेल को 1488 वोट मिले. इससे पहले वर्ष 2019 में हुए छात्र संघ चुनाव में एसएफआई की आईशी घोष ने अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की थी. उसके बाद कोरोना संकट के चलते 2023 तक चार साल जेएनयू छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए थे. इसके बाद 2024 के चुनाव में धनंजय और उस साल अप्रैल के चुनाव में नीतीश ने अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की थी. अब छह साल बाद आइसा प्रत्याशी अदिति ने अपने प्रतिद्वंदी एबीवीपी के प्रत्याशी विकास पटेल को 600 से ज्यादा वोटों से हराया है.
VIDEO | JNUSU Election Result 2024: After winning the election, Vice President candidate from the Left Unity, K Gopika Babu said:
” the left has the legacy of fighting for gender justice and social justice on campus… the students have recognised this and have given a clear… pic.twitter.com/RmwlmcgpaS
— Press Trust of India (@PTI_News) November 6, 2025
अन्य तीन पदों पर रही यह स्थिति: उपाध्यक्ष पद पर एसएफआई की गोपिका 3101 वोट, जबकि विद्यार्थी परिषद की तान्या कुमारी को 1787 वोट मिले. वहीं, संयुक्त सचिव पद पर डीएसएफ के सुनील यादव ने एबीवीपी के राजेश्वर कांत दुबे को हराया. सुनील यादव को 2005 और राजेश्वर कांत को 1901 वोट मिले. इसके अलावा महासचिव पद पर वाम गठबंधन के उम्मीदवार सुनील यादव को 2005 वोट मिले हैं.
#WATCH | Delhi | Newly elected JNUSU General Secretary, Sunil Yadav says, ” this is a victory of the students of the campus, a victory for the progressive politics of jnu which has repeatedly rejected abvp, bjp, rss… ever since the new education policy was introduced by the… https://t.co/54oAhiWpkK pic.twitter.com/AFfp0DMWIF
— ANI (@ANI) November 6, 2025
#WATCH | Delhi | JNU Students’ Union Election | The Left Unity alliance, consisting of the All India Students’ Association (AISA), Students’ Federation of India (SFI), and Democratic Students’ Front (DSF), dominated the Jawaharlal Nehru University Students’ Union (JNUSU)… pic.twitter.com/xluRyGrF9l
— ANI (@ANI) November 6, 2025
वहीं, एबीवीपी के राजेश्वर कांत 1901 वोट मिले हैं. वहीं आइसा की दानिश अली ने संयुक्त सचिव के पद पर अपने प्रतिद्वंद्वी एबीवीपी के अनुज दमारा को पराजित किया. उन्हें 2083 वोट मिले, जबकि एबीवीपी के प्रत्याशी अनुज को 1797 वोट मिले. बता दें कि इस बार जेएनयू छात्रसंघ का चुनाव 6 महीने के अंदर ही फिर से हुआ है. इससे पहले अप्रैल माह में वर्ष 2024-25 के लिए छात्र संघ का चुनाव हुआ था और अब वर्ष मौजूदा 2025-26 सत्र के लिए चुनाव हुआ है.

अध्यक्ष पद पर विजयी हुईं अदिती मिश्रा (ETV BHARAT)
सचिव पद पर रहा कांटे का मुकाबला: इस बार जेएनयू छात्र संघ चुनाव में सचिव पद पर सबसे अधिक कांटे की टक्कर देखने को मिली. गुरुवार सुबह से ही एबीवीपी के सचिव पद के प्रत्याशी राजेश्वर कांत दुबे ने डीएसएफ के सुनील यादव को कड़ी टक्कर दी. शाम तक कई बार ऐसा मौका आया जब कभी राजेश्वर कांत दुबे ने सुनील यादव पर बढ़त बनाई तो कभी सुनील यादव ने राजेश्वर कांत दुबे पर बढ़त बनाई. साथ ही इस बढ़त का अंतर भी 20 से लेकर 70 वोटो के बीच रहा. कई बार यह बढ़त का अंतर 100 के पार भी पहुंचा, लेकिन अंत में बाजी सुनील यादव के हाथ लगी.

उपाध्यक्ष बनीं के. गोपिका (ETV BHARAT)
ABVP से मिली कड़ी टक्कर: चार पदों में सबसे अधिक अच्छा प्रदर्शन एबीवीपी का सचिव पद पर रहा, जहां वह जीतते जीतते रह गई. इसके अलावा संयुक्त सचिव पद पर भी एबीवीपी के प्रत्याशी ने कड़ी टक्कर दी और आइसा प्रत्याशी दानिश अली को कई बार हारने जैसी स्थिति में भी पहुंचा दिया. लेकिन, अंत में किस्मत ने दानिश अली का साथ दिया और एबीवीपी प्रत्याशी पर उनकी बढ़त का अंतर बढ़ता चला गया और उन्हें जीत मिली.

महासचिव बने सुनील यादव (ETV BHARAT)
तो दो सीटों पर हो सकती थी हार: अगर चुनावी आंकड़ों को देखें तो यह बात स्पष्ट होती है कि अगर अप्रैल के चुनाव की तरह आइसा, एसएफआई और डीएसएफ का गठबंधन नहीं होता तो इस बार के छात्र संघ चुनाव में वामपंथी छात्र संगठनों को दो पदों पर हार का सामना करना पड़ सकता था. साथ ही एबीवीपी की सचिव और संयुक्त सचिव के पद पर अच्छी जीत हो सकती थी. पिछले अप्रैल के चुनाव में गठबंधन न होने के बाद आइसा व डीएसएफ ने अलग पैनल और एसएफआई और एआईएसएफ ने मिलकर अलग पैनल से चुनाव लड़ा था, जिसका फायदा एबीवीपी को मिला था और एबीवीपी के प्रत्याशी वैभव मीणा ने संयुक्त सचिव के पद पर जीत दर्ज की थी.

संयुक्त सचिव बनीं दानिश अली (ETV BHARAT)
काम आई समझदारी: वामपंथी छात्र संगठनों के बीच गठबंधन न होने से वोटों का बंटवारा हुआ था. इसकी वजह से ही अन्य तीन पदों पर भी मुकाबला करते हुए एबीवीपी ने अपनी स्थिति मजबूत की थी. अप्रैल माह में आए छात्र संघ चुनाव का परिणाम देखते हुए इस चुनाव में वामपंथी छात्र संगठनों ने अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए एबीवीपी को फायदा उठाने से रोकने के लिए गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने की समझदारी दिखाई.
लेफ्ट संगठनों ने मतभेद होने के बावजूद भी एबीवीपी को जीत से रोकने के लिए गठबंधन किया और मिलकर के चारों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे, जिसका उन्हें फायदा भी मिला और उन्होंने सभी चारों सीटों पर जीत दर्ज की. अगर यह गठबंधन नहीं होता तो महासचिव और संयुक्त सचिव के पद पर जीत के कम अंतर से साफ है कि लेफ्ट संगठनों को इन दोनों पदों पर हार का सामना करना पड़ सकता था.
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