टोक्यो : जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने रविवार को इस्तीफा दे दिया. उन्होंने सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी में फूट से बचने के लिए इस्तीफा देने का निर्णय लिया है.
जापान के प्रधानमंत्री इशिबा ने जुलाई में हुए संसदीय चुनाव में ऐतिहासिक हार की ज़िम्मेदारी लेने की अपनी पार्टी की बढ़ती मांग के बाद रविवार को पद छोड़ने की इच्छा जताई थी. यह जानकारी जापान के एनएचके पब्लिक टेलीविजन ने दी.
अक्टूबर में पदभार ग्रहण करने वाले इशिबा ने एक महीने से भी ज्यादा समय तक अपनी ही पार्टी के अधिकतर दक्षिणपंथी विरोधियों की मांगों का विरोध किया था.
उनका यह कदम उनकी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा जल्द नेतृत्व चुनाव कराने के फ़ैसले से एक दिन पहले आया है, अगर इसे मंज़ूरी मिल जाती है तो यह उनके ख़िलाफ़ एक तरह का अविश्वास प्रस्ताव होगा.
प्रधानमंत्री के रविवार को बाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की उम्मीद है. एनएचके ने बताया कि इशिबा पार्टी को और विभाजित होने से बचाने के लिए पद छोड़ने का इरादा रखते हैं.
BREAKING: Japan’s Prime Minister Shigeru Ishiba has expressed his intention to step down following growing calls from his party to take responsibility for its big loss in the July parliamentary election, Japanese television reports. https://t.co/uRULn7FOjY
— The Associated Press (@AP) September 7, 2025
जुलाई में, इशिबा का सत्तारूढ़ गठबंधन एक महत्वपूर्ण संसदीय चुनाव में 248 सीटों वाले उच्च सदन में बहुमत हासिल करने में विफल रहा, जिससे उनकी सरकार की स्थिरता और भी कमज़ोर हो गई. उनका यह फैसला शनिवार को कृषि मंत्री शिंजिरो कोइज़ुमी और उनके कथित मार्गदर्शक, पूर्व प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा के साथ उनकी बैठक के बाद आया, जिन्होंने सोमवार के मतदान से पहले इशिबा के इस्तीफे का सुझाव दिया था.
उन्होंने पहले पद पर बने रहने पर ज़ोर दिया था और ऐसे समय में राजनीतिक शून्यता से बचने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया था जब जापान बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनमें अमेरिकी टैरिफ और अर्थव्यवस्था पर उनका प्रभाव, बढ़ती कीमतें, चावल नीति में सुधार और क्षेत्र में बढ़ता तनाव शामिल है.
पिछले हफ़्ते एलडीपी द्वारा चुनावी हार की समीक्षा को अपनाने के बाद, जिसमें पार्टी में “पूरी तरह से बदलाव” की बात कही गई थी, नेतृत्व के लिए जल्द मतदान या सोमवार के नतीजों से पहले इशिबा के इस्तीफे की मांग ज़ोर पकड़ रही है.
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