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असम में बनेगा भारत का पहला हाईटेक हाईवे, उतरेंगे राफेल और सुखोई जैसे लड़ाकू विमान!


गुवाहाटी: असम में आपातकालीन परिस्थितियों के दौरान विमान लैंडिंग को संभव बनाने के लिए राज्य सरकार तत्परता से काम कर रही है. सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने इस सिलसिले में घोषणा करते हुए कहा कि राज्य में तीन राष्ट्रीय राजमार्ग खंडों को आपातकालीन हवाई पट्टियों के रूप में विकसित किया जा रहा है. यह परियोजना पूर्वोत्तर भारत में अपनी तरह की पहली पहल है और इससे न केवल राज्य की आपदा प्रतिक्रिया क्षमता बढ़ेंगी, बल्कि भारत की सामरिक सुरक्षा तैयारियों को भी बल मिलेगा.

सरमा ने कहा कि यह पूर्वोत्तर भारत में अपनी तरह की पहली आपातकालीन हवाई पट्टी है. एक बार निर्माण पूरा हो जाने के बाद यह सैन्य और नागरिक आपातकालीन लैंडिंग दोनों को समर्थन देगी. हम इसके उद्घाटन के मौके पर एक सार्वजनिक एयर शो आयोजित करने की भी योजना बना रहे हैं.

कहां बन रही हैं ये हवाई पट्टियां?
जानकारी के मुताबिक डिब्रूगढ़ के पास मोरन और डेमो के बीच – यह 4.5 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी राष्ट्रीय राजमार्ग के एक हिस्से पर बनाई जा रही है, जो सुखोई Su-30 और राफेल जैसे लड़ाकू विमानों की आपातकालीन लैंडिंग को संभाल सकेगी. बरमा से तिहू (निचला असम) – केंद्र सरकार से स्वीकृति प्राप्त एक और लैंडिंग कॉरिडोर. शंकरदेव नगर, होजई जिला – तीसरा आपातकालीन लैंडिंग स्थल.

इन परियोजनाओं का निर्माण भारतीय वायु सेना (IAF) और राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) की देखरेख में किया जा रहा है. डिब्रूगढ़ वाली हवाई पट्टी अक्टूबर 2025 तक तैयार होने की संभावना है.

दोहरे उपयोग की रणनीति
मुख्यमंत्री ने बताया कि इन हवाई पट्टियों का निर्माण दोहरी उपयोग की अवधारणा के तहत हो रहा है — सामान्य परिस्थितियों में ये राजमार्ग के रूप में कार्य करेंगे, जबकि आपात स्थितियों में इनका उपयोग हवाई पट्टी के रूप में किया जाएगा. सड़क की चौड़ाई 30 मीटर रखी गई है और हवाई यातायात नियंत्रण (ATC) टॉवर की भी योजना बनाई गई है. लैंडिंग ज़ोन को सुरक्षित रखने के लिए उसे आम जनता और पशुओं की आवाजाही से अलग किया जाएगा.

प्राकृतिक आपदा के दौरान मददगार
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि “बाढ़ जैसे समय में, जब हेलीकॉप्टर अन्यत्र नहीं उतर सकते, ये हवाई पट्टियाँ अहम भूमिका निभाएंगी.” इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार हेलीपैड निर्माण की भी योजना बना रही है ताकि अधिक लचीलापन सुनिश्चित किया जा सके.

यह परियोजना असम के सड़क और हवाई अवसंरचना के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाने वाली है. मुख्यमंत्री सरमा ने इसे राज्य की “अभूतपूर्व प्रगति” का संकेत बताया और कहा कि यह नागरिक तथा सैन्य दोनों क्षेत्रों को दीर्घकालिक लाभ प्रदान करेगी.

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