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IMA POP 2025: खुशी के साथ बिछड़ने का दर्द, जिगरियों से अलग हुये जवान, इमोशनल हुये अखिलेश


देहरादून(उत्तराखंड): भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) से पास आउट होकर जब नए अधिकारी सेना में शामिल हो रहे थे, तो अकादमी परिसर में खुशी, गर्व और उत्साह का माहौल साफ दिखाई दे रहा था. हर ऑफिसर कैडेट के चेहरे पर देश सेवा का जुनून और अपने सपने के पूरे होने की मुस्कान थी, लेकिन इसी बीच एक ऐसा भी सैन्य अधिकारी था, जिसकी खुशी में कहीं न कहीं एक हल्की सी उदासी भी छुपी हुई थी. यह अधिकारी लेफ्टिनेंट अखिलेश सिंह थे.

आईएमए से कठिन प्रशिक्षण पूरा करने के बाद अब सभी नए अधिकारी अपनी-अपनी आबंटित पोस्टिंग पर जाने के लिए तैयार हैं. आगे उनके सामने न केवल बेहतर प्रदर्शन की चुनौती होगी, बल्कि अपने अधीन तैनात जवानों की सुरक्षा, नेतृत्व और उनके हितों की जिम्मेदारी भी होगी. पासिंग आउट परेड के बाद सभी नए अधिकारी इस बड़ी जिम्मेदारी को संभालने के लिए पूरी तरह तैयार नजर आए.

आगरा के बटेश्वर निवासी अखिलेश सिंह भी इन्हीं अधिकारियों में शामिल हैं. एक साल के कठिन प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा कर सेना में अधिकारी बनने पर वे बेहद खुश हैं, लेकिन उनके मन में एक कसक भी है. दरअसल, अखिलेश को इस बात का दुख है कि अब उन्हें उन साथियों से अलग होना पड़ेगा, जो लंबे समय तक उनके संघर्ष के साथी रहे. अखिलेश कहते हैं कि एनडीए और आईएमए के दौरान उन्होंने अपने साथियों के साथ कई कठिन और यादगार पल बिताए हैं. ऐसे में अब उनसे अलग होना भावनात्मक रूप से कठिन है.

लेफ्टिनेंट अखिलेश सिंह की शिक्षा का सफर भी संघर्षों से भरा रहा है. वह मूल रूप से आगरा के रहने वाले हैं, लेकिन उनकी पढ़ाई उत्तराखंड में हुई है. उनके पिता भंवर सिंह नैनीताल में एक सरकारी विद्यालय में जीव विज्ञान के शिक्षक हैं. अखिलेश ने नौवीं कक्षा में प्रवेश परीक्षा पास कर सैनिक स्कूल घोड़ाखाल में दाखिला लिया था. तभी से वे परिवार से दूर रहकर अनुशासन और परिश्रम की राह पर चल पड़े.

इसके बाद अखिलेश ने एनडीए की परीक्षा पास की और तीन वर्षों तक वहां कठिन सैन्य प्रशिक्षण लिया. एनडीए के बाद वे भारतीय सैन्य अकादमी पहुंचे. यहां एक साल का कठोर प्रशिक्षण पूरा कर उन्होंने अधिकारी बनने का सपना साकार किया.

अखिलेश सिंह के सेना में अधिकारी बनने की खबर से उत्तराखंड और आगरा दोनों जगह उनके परिजनों में खुशी का माहौल है. उनके पिता भंवर सिंह कहते हैं कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है, जो देश सेवा के लिए तैयार है. वहीं, उनकी मां प्रीति का कहना है कि ईश्वर की कृपा, बेटे की मेहनत और उसके भाग्य ने उसे इस मुकाम तक पहुंचाया है.

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