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'मैंने कभी नहीं कहा', 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट पर मोहन भागवत का 'यू-टर्न'


नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को जनसांख्यिकीय असंतुलन के पीछे धर्मांतरण और अवैध प्रवास को प्रमुख कारण बताया और कहा कि सरकार अवैध प्रवास को रोकने का प्रयास कर रही है, लेकिन समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी.

आरएसएस के सौ साल होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह के दौरान एक सवाल के जवाब में भागवत ने कहा कि धर्म व्यक्तिगत पसंद का विषय है और इसमें किसी प्रकार का प्रलोभन या जोर-जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा, “धर्मांतरण और अवैध प्रवास जनसांख्यिकीय असंतुलन के प्रमुख कारण हैं. हमें अवैध प्रवासियों को नौकरी नहीं देनी चाहिए. हमें मुसलमानों सहित अपने लोगों को नौकरी देनी चाहिए.”

गुरुकुल शिक्षा को मुख्यधारा में शामिल करने पर दिया जोर
मोहन भागवत ने गुरुकुल शिक्षा को मुख्यधारा की शिक्षा के साथ जोड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि गुरुकुल शिक्षा का मतलब आश्रम में रहना नहीं बल्कि देश की परंपराओं के बारे में सीखना है. उन्होंने कहा कि वह संस्कृत को अनिवार्य बनाने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन देश की परंपरा और इतिहास को समझना महत्वपूर्ण है.

उन्होंने कहा, “वैदिक काल के प्रासंगिक 64 पहलुओं को पढ़ाया जाना चाहिए. गुरुकुल शिक्षा को मुख्यधारा में शामिल किया जाना चाहिए, न कि उसे प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए.” आरएसएस प्नेरमुख ने आगे कहा कि मुख्यधारा को गुरुकुल शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए, जिसका मॉडल फिनलैंड के शिक्षा मॉडल के समान है.

उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी देश फिनलैंड में शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए एक अलग विश्वविद्यालय है. स्थानीय आबादी कम होने के कारण कई लोग विदेश से आते हैं, इसलिए वे सभी देशों के छात्रों को स्वीकार करते हैं.” उन्होंने कहा, “आठवीं कक्षा तक की शिक्षा छात्रों की मातृभाषा में दी जाती है… इसलिए गुरुकुल शिक्षा का मतलब आश्रम में जाकर रहना नहीं है, इसे मुख्यधारा से जोड़ना होगा.”

75 साल की उम्र में रिटायरमेंट पर यू टर्न
75 साल की उम्र में रिटायरमेंट के नियम पर मोहन भागवत का यू-टर्न लेते हुए उन्होंने कहा, “मैंने कभी नहीं कहा कि मैं रिटायर हो जाऊंगा या किसी को रिटायर हो जाना चाहिए. संघ में हमें काम दिया जाता है, चाहे हम चाहें या न चाहें. अगर मैं 80 साल का हूं और संघ कहता है कि जाओ और शाखा चलाओ, तो मुझे करना ही होगा. संघ जो भी कहता है, हम करते हैं… जब तक संघ चाहेगा. हम रिटायर होने या काम करने के लिए तैयार हैं.”

NEP की सरहाना
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को सही दिशा में उठाया गया सही कदम बताते हुए भागवत ने कहा कि हमारे देश में शिक्षा प्रणाली बहुत पहले ही नष्ट हो गई थी. उन्होंने कहा, “नई शिक्षा प्रणाली इसलिए शुरू की गई क्योंकि हम हमेशा विदेशी आक्रमणकारियों के गुलाम रहे, जो उस समय के शासक थे. वे इस देश पर शासन करना चाहते थे, इसका विकास नहीं करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने सभी प्रणालियां इस बात को ध्यान में रखते हुए बनाईं कि हम इस देश पर कैसे शासन कर सकते हैं…लेकिन अब हम आजाद हैं. इसलिए हमें केवल देश नहीं चलाना है, हमें लोगों को चलाना है.”

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि बच्चों को अतीत के बारे में सभी आवश्यक जानकारी दी जानी चाहिए, ताकि उनमें गर्व पैदा हो सके कि हम भी कुछ हैं, हम भी कुछ कर सकते हैं. उन्होंने कहा, “हमने यह कर दिखाया है .यह सब बदलना ही था. पिछले कुछ सालों में थोड़ा बहुत बदलाव आया है और इसके बारे में जागरूकता बढ़ी है.”

आरक्षण पर क्या बोले भागवत?
मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस संविधान में दिए गए प्रावधान के अनुसार आरक्षण का समर्थन करता है. उन्होंने कहा, “जाति-आधारित आरक्षण को संवेदनशीलता के साथ लिया जाना चाहिए. दीनदयाल जी का एक दृष्टिकोण था – जो लोग सबसे नीचे हैं उन्हें ऊपर उठने का प्रयास करना चाहिए और जो लोग सबसे ऊपर हैं उन्हें ऊपर खींचने के लिए हाथ बढ़ाना चाहिए. संघ संविधान में दिए गए प्रावधान के अनुसार आरक्षण का समर्थन करता है.”

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