देहरादून (रोहित सोनी): हाल ही में उत्तरकाशी और हरियाणा में आए भूकंप के बाद से ही एक बार फिर भूकंप की आशंकाओं को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. वैज्ञानिक भूकंप के सोर्स का पता लगाए जाने को लेकर लगातार काम कर रहे हैं. अभी तक ये पता नहीं चल पाया है कि कितना बड़ा और कहां भूकंप आने वाला है. इन तमाम सवालों के बीच वैज्ञानिक, भूकंप के हिस्टोरिकल डॉक्यूमेंट को दुरुस्त करने पर भी जोर दे रहे हैं.
भूकंप में हिस्टोरिकल डॉक्यूमेंट्स करेंगे सावधान: वैज्ञानिकों का मानना है अगर पहले आए भूकंप की जानकारी होगी, तो हिस्टोरिकल डॉक्यूमेंट के अध्ययन से भविष्य के भूकंप का अनुमान लगाया जा सकता है. इसी क्रम में वैज्ञानिकों ने एक्टिव फॉल्ट लाइन भी तैयार की है. आखिर क्या है एक्टिव फॉल्ट लाइन, भूकंप के हिस्टोरिकल डॉक्यूमेंट किस तरह से निभा सकते हैं भूमिका? पेश है एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.
हिस्टोरिकल डॉक्यूमेंट्स से सुलझेंगे आने वाले बड़े भूकंप के सवाल (Video-ETV Bharat)
अर्थ साइंस के प्रो जावेद मालिक से खास बातचीत: ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए आईआईटी कानपुर के डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ साइंस के प्रो जावेद मालिक ने कहा कि-
जो भी भूकंप आते हैं, उस दौरान साइंटिफिक टीम मौके पर जाकर उसका अध्ययन करती है. साथ ही उसको डॉक्यूमेंट करती है. वर्तमान समय में किसी के पास भूकंप के हिस्टोरिकल डॉक्यूमेंट मौजूद नहीं हैं. ऐसा कहा जाता रहा है कि भारत देश पर काफी लोगों ने रूल किया है, जिसके चलते कुछ डाक्यूमेंट्स डिस्ट्रॉय हो गए. नेपाल के पास पुराने भूकंप के डॉक्यूमेंट काफी अधिक उपलब्ध हैं. हालांकि देश के पास कुछ पुराने भूकंप के डॉक्यूमेंट मौजूद हैं. इनका अकबरनामा, बाबरनामा और कुछ संस्कृत की किताबों में उल्लेख है.
-प्रोफेसर जावेद मलिक, वैज्ञानिक, आईआईटी कानपुर-
इसलिए महत्वपूर्ण हैं हिस्टोरिकल डॉक्यूमेंट: पुराने भूकंप की जानकारी से यह पता चलता है कि इन जगहों पर पहले भूकंप आ चुके हैं. उसकी तीव्रता से अनुमान लगाया जाता है कि कितना बड़ा भूकंप आया रहा होगा. उससे कितना बड़ा क्षेत्र प्रभावित हुआ होगा. साल 2001 में कच्छ में आए भूकंप का असर अहमदाबाद तक हुआ था. ऐसे में हिस्टोरिकल डॉक्यूमेंट काफी अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं. जब किसी पुराने भूकंप के अवशेष मिलते हैं, तो उस पर अध्ययन किया जाता है. इसके लिए आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल भी किया जाता है, जो अमेरिका, न्यूजीलैंड, जापान, इटली समेत कई देशों में इस्तेमाल की जा रही है. पुराने भूकंप के अवशेष का अध्ययन करने से यह पता चल पाता है कि कब भूकंप आया था और कितने मेग्नीट्यूड का भूकंप आया था. इस तरह की जानकारी को एकत्र करना ही एक्टिव फॉल्ट मैपिंग कहलाता है.
भारत में कई बड़े भूकंप आ चुके हैं (ETV Bharat Graphics)
जानें क्या है एक्टिव फॉल्ट टोपोग्राफी: प्रोफेसर मलिक ने बताया कि पूर्व में जो भी भूकंप आए हैं, उनका कुछ ना कुछ अवशेष अभी भी जमीन की सतह पर मौजूद है. इसको एक्टिव फॉल्ट टोपोग्राफी कहा जाता है. हिमालय क्षेत्र की बात करें तो पूर्व में आए भूकंप के अवशेष ट्रस्टिंग के रूप में देखने को मिल रहे हैं. यही वजह है कि यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि पहले हिमालय पर काफी अधिक भूकंप आए होंगे, जिनसे हिमालय बना है. जमीन की सतह पर मौजूद अवशेष को देखा जाता है, फिर उसके बाद सैटेलाइट डेटा से उस क्षेत्र को चिन्हित किया जाता है. उसके बाद मौके पर जाकर उस जगह पर गड्ढा किया जाता है. फिर वहां मौजूद चीजों का अध्ययन किया जाता है.

2024 में दुनिया में आए बड़े भूकंप (ETV Bharat Graphics)
वैज्ञानिकों को है 12वीं सदी में आए भूकंपों की जानकारी: अभी तक आईआईटी कानपुर, वाडिया इंस्टिट्यूट और नेपाल के साथ विदेशों में जितने भी अध्ययन किए गए हैं, उनसे 12वीं सदी तक के पुराने भूकंपों की जानकारी मिली है. वैज्ञानिक लगातार कोशिश कर रहे हैं कि इससे पहले आए भूकंपों का भी पता लगाया जाए. पूर्व में आए भूकंपों के हिस्टोरिकल डॉक्यूमेंट से फायदा ये होता है कि जो भूकंप के अवशेष दिख रहे हैं उसकी पुष्टि हो जाती है. साथ ही इस अंदाज़ भी लग जाता है कि अगर 7.5 मैग्नीट्यूड से अधिक मैग्नीट्यूड का भूकंप आया होगा, तो उस दौरान काफी अधिक नुकसान हुआ होगा.

2025 में दुनिया में आए बड़े भूकंप (ETV Bharat Graphics)
उत्तराखंड में यहां आ चुके बड़े भूकंप: आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मलिक ने बताया कि उत्तराखंड में भूकंप के हिस्टोरिकल डॉक्यूमेंट पर वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी ने काम किया है.

प्रो जावेद मलिक आईआईटी कानपुर के डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ साइंस में हैं (Photo- ETV Bharat)
उत्तराखंड के रामनगर से लेकर लालढांग तक 1505 में आए भूकंप के अवशेष मिले हैं. इसके अलावा साल 1480 में आए एक भूकंप को मैप किया गया था. हालांकि कुछ वैज्ञानिक समझते हैं कि ये भूकंप 1344 में आया था. इसके अलावा कुमाऊं क्षेत्र में 1505 और 1803 में आए भूकंप के अवशेष मिले हैं.
-प्रोफेसर जावेद मलिक, वैज्ञानिक, आईआईटी कानपुर-
यूरेशियन प्लेट की तरफ खिसक रही इंडियन प्लेट: इंडियन और यूरेशियन प्लेट में घर्षण लगातार जारी है. इंडियन प्लेट लगातार यूरेशियन प्लेट की तरफ मूव कर रही है. इसकी वजह से एनर्जी एकत्र हो रही है. जब एनर्जी रिलीज होती है, तो उसे अर्थक्वेक कहा जाता है. भूवैज्ञानिक इस बात को कहते रहे हैं कि 500-600 सालों के अंतराल में एक बड़ा भूकंप हिमालय में आ सकता है. वर्तमान समय में हिमालय उसी अंतराल में आ रहा है.
आईआईटी कानपुर की रिसर्च होगी पब्लिश: प्रोफेसर मलिक ने बताया कि एक्टिव फॉल्ट लाइन वो है, जहां पर पहले भूकंप आ चुके हैं और जिस जगह पर भूकंप आने की आशंका है. पिछले 10,000 सालों में इन क्षेत्रों में एक्टिविटी हुई है, जिसको डिफाइन करने के लिए एक्टिव फॉल्ट लाइन कहा जाता है. ऐसे में एक्टिव फॉल्ट लाइन जो तैयार किया गया है, उसके सबूत जमीनी सतह पर मौजूद हैं. ऐसे में आईआईटी कानपुर ने अर्थ साइंस मंत्रालय के अधीन एक अध्ययन किया है. इसका एटलस अर्थ साइंस मंत्रालय पब्लिश करने जा रहा है. अध्ययन के बाद जो एक्टिव फॉल्ट लाइन तैयार की गयी है, इसका फायदा यही होगा कि भविष्य में उस फॉल्ट लाइन पर कोई भी इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बनाना है.
प्रोफेसर जावेद मालिक ने कहा कि-
उत्तराखंड में जो हिमालयन फ्रंटल फॉल्ट (Himalayan frontal fault) है, उसे हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट भी कहते हैं. फ्रंटल थ्रस्ट पर कोई भी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना नुकसानदायक हो सकता है. कई साल पहले जापान के एक प्रोफेसर नकाटा ने हिमालय फ्रंटल थ्रस्ट को चिन्हित किया था. उसके बाद देश के तमाम वैज्ञानिकों ने भी इस पर अध्ययन करते हुए हिमालय फ्रंटल थ्रस्ट को चिन्हित किया, जो एक्टिव है. इसके अलावा एक दून फॉल्ट भी चिन्हित किया गया है, जो एक्टिव है. दून फॉल्ट पर अभी ज्यादा अध्ययन नहीं हो पाया है, लेकिन इसका अध्ययन करना भी काफी जरूरी है.
-प्रोफेसर जावेद मलिक, वैज्ञानिक, आईआईटी कानपुर-
दुनिया में आए बड़े भूकंप: साल 2024 में देश दुनिया में 7 मैग्नीट्यूड से बड़े 9 भूकंप आए थे. इनमें 01 जनवरी 2024 को जापान में 7.2 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 22 जनवरी 2024 को चीन में 7.2 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 3 अप्रैल 2024 को ताइवान में 7.4 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 19 जुलाई 2024 को चिली में 7.1 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था.
08 अगस्त 2024 को जापान में 7.1 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 18 अगस्त 2024 को नियर ईस्ट कॉस्ट ऑफ कामचटका में 7.2 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 06 दिसंबर 2024 को कैलिफोर्निया में 7.0 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 17 दिसंबर 2024 को वेनौटू आइलैंड में 7.3 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था.
साल 2025 में देश दुनिया में 7 मैग्नीट्यूड से बड़े 7 भूकंप आए थे. इनमें 7 जनवरी 2025 को तिब्बत में 7.1 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 09 फरवरी 2025 को केमैन आइलैंड रीजन में 7.5 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 28 मार्च 2025 को म्यांमार में 7.5 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 28 मार्च 2025 को म्यांमार में 7.0 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था.
इसके साथ ही 30 मार्च 2025 को टोंगा आइलैंड में 7.0 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 02 मई 2025 को ड्रेक पैसेज में 7.3 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 17 जुलाई 2025 को अलास्का पेनिनसुला में 7.3 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था.
भारत में आए ये बड़े भूकंप: ये तो दुनिया में आए भूकंप का लेखा जोखा था. इसके साथ ही भारत में भी कई बड़े भूकंप आ चुके हैं. इनमें 12 जून 1897 को शिलांग में करीब 8.2 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 4 अप्रैल 1905 को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में 7.8 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 15 जनवरी 1934 को बिहार-नेपाल में 8.0 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 15 अगस्त 1950 को असम-तिब्बत में 8.7 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था.
19 जनवरी 1975 को हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में 6.8 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 20 अक्टूबर 1991 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 6.8 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 29 मार्च 1999 को उत्तराखंड के चमोली में 6.6 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 26 जनवरी 2001 को गुजरात के भुज में 7.6 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 08 अक्टूबर 2005 को कश्मीर में 7.6 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 18 सितंबर 2011 को सिक्किम में 6.9 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था.
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