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25 साल में 'स्वस्थ उत्तराखंड, समर्थ उत्तराखंड' की ओर बढ़ा राज्य, शिशु और मातृ मृत्यु दर में आई कमी


रोहित सोनी…

देहरादून: उत्तराखंड राज्य गठन के बाद स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में राज्य सरकारों ने तमाम काम किए हैं. इसमें मुख्य रूप से स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के साथ ही मातृ मृत्यु दर में बेहतर सुधार के साथ संस्थागत प्रसव की दिशा में महत्वपूर्ण काम किए हैं.

हालांकि, आज भी प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की लचर व्यवस्था पर अक्सर सवाल उठते रहते हैं. साथ ही तमाम ऐसे मामले भी सामने आते रहे हैं, जिनमें स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध न हो पाने के चलते मरीजों की मौत हो जाती है. वर्तमान समय में भले ही स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से दुरुस्त न हुई हो, लेकिन राज्य गठन के मुकाबले इन 25 सालों में स्वास्थ्य क्षेत्र में तमाम काम किए गए हैं.

उत्तराखंड में अस्पतालों के आंकड़े (ETV Bharat Graphics)

25 साल की स्वास्थ्य सेवा में उपलब्धियां: राज्य गठन के बाद से वर्तमान समय तक स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर मेडिकल एजुकेशन तक, हर क्षेत्र में सुधार के काम किए गए हैं. स्वास्थ्य विभाग के तहत राज्य ने मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने, संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहन देने और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का दायरा बढ़ाने में बड़ी सफलता हासिल की है.

राज्य गठन के 25 सालों में उत्तराखंड ने स्वास्थ्य ढांचे को बेहतर करने की दिशा में लंबी छलांग लगाई है. वर्तमान समय में प्रदेश के हर जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं का जाल बिछ चुका है. जिसके तहत, आज राज्य में 13 जिला चिकित्सालय, 21 उपजिला चिकित्सालय, 80 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 577 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और करीब 2000 मातृ-शिशु कल्याण केंद्र संचालित हो रहे हैं.

Uttarakhand Foundation Day 2025

उत्तराखंड में डॉक्टरों की संख्या बढ़ी है (ETV Bharat Graphics)

पर्वतीय व दुर्गम इलाकों में आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं हुईं आसान: उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में 6 उपजिला चिकित्सालय, 6 सीएचसी और 9 पीएचसी के अपग्रेड को मंजूरी दी है. साथ ही सेलाकुई (देहरादून) और गेठिया (नैनीताल) में 100-100 शैय्यायुक्त मानसिक चिकित्सालयों का निर्माण किया जा रहा है.

इसके अलावा, भारत सरकार के सहयोग से उत्तरकाशी, गोपेश्वर, बागेश्वर और रुड़की में 200 शैय्यायुक्त क्रिटिकल केयर ब्लॉक के साथ ही मोतीनगर (हल्द्वानी) और नैनीताल में 50-50 शैय्यायुक्त ब्लॉक तैयार किये जा रहे हैं. देश में पहली बार एम्स ऋषिकेश के सहयोग से उत्तराखंड में हेली-एम्बुलेंस सेवा शुरू की गई है, जिससे पर्वतीय व दुर्गम इलाकों में आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं आसान हुई हैं.

Uttarakhand Foundation Day 2025

आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ बन चुके हैं (ETV Bharat Graphics)

‘स्वस्थ उत्तराखंड, समर्थ उत्तराखंड’ अभियान:: उत्तराखंड में पिछले पांच सालों में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) और नवजात शिशु मृत्यु दर (एनएमआर) में निरंतर कमी आई है. स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा कि-

सरकार का लक्ष्य है कि नवजात शिशु मृत्यु दर को घटाकर 12 और मातृ मृत्यु दर को 70 प्रति लाख जीवित जन्म तक लाया जाए. साथ ही कहा कि राज्य में एनएचएम की शुरुआत 27 अक्तूबर 2005 को हुई थी. इसका उद्देश्य ग्रामीण एवं दूरस्थ इलाकों में रहने वाले गरीबों, महिलाओं और बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है. राज्य गठन के समय शिशु मृत्यु दर, 52 प्रति एक हजार थी, जो अब घटकर 20 रह गई है. इसी तरह, राज्य गठन के समय मातृ मृत्यु दर 440 प्रति एक लाख थी, जो अब घटकर 91 प्रति एक लाख हो गई है. पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 147,717 संस्थागत प्रसव कराए गए, जो कुल प्रसव का करीब 85 फीसदी हैं.
-डॉ आर राजेश कुमार, स्वास्थ्य सचिव, उत्तराखंड-

25 साल में बढ़े डॉक्टरों के पद: स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि राज्य गठन के समय यहां कितने डॉक्टरों के पद थे और अब स्थिति क्या है-

राज्य गठन के समय स्वास्थ्य विभाग में 1,621 डॉक्टरों के पद स्वीकृत थे. ऐसे में डॉक्टर्स के 1,264 नए पदों को सृजित किया गया. इससे प्रदेश में स्वीकृत डॉक्टर्स की संख्या 2,885 तक पहुंच गई. वर्तमान में कुल 2,885 पदों के सापेक्ष 2,598 डाॅक्टर तैनात हैं. खाली पदों को भरने के लिए भर्ती अभियानों के साथ ही 220 चिकित्सकों को दुर्गम क्षेत्रों में तैनात किया है. इसके अलावा, प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति उम्र को 60 से बढ़ाकर 65 साल किया गया है. इसके साथ ही लंबे समय से अनुपस्थित चल रहे 56 डॉक्टरों की सेवा समाप्त भी की गई है.
-डॉ आर राजेश कुमार, स्वास्थ्य सचिव, उत्तराखंड-

स्वास्थ्य सेवा में हुए ये काम: स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा कि प्रदेश के 13 जिलों में अब तक 1,985 आयुष्मान आरोग्य मंदिर (हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर) स्थापित किए जा चुके हैं. इन केंद्रों से हर साल 34 लाख से अधिक लोग स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ले रहे हैं. पिछले तीन सालों में 28.80 लाख लोगों की हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की जांच, 28.40 लाख लोगों के मुख कैंसर और 13.10 लाख महिलाओं के स्तन कैंसर की स्क्रीनिंग की गई.

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राज्य में शिशु और मातृ मृत्यु दर घटी है (ETV Bharat Graphics)

साथ ही कहा कि साल 2008 में शुरू हुई 108 आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा अब राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ बन चुकी है. वर्तमान में 108 आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा के पास 272 एम्बुलेंस हैं, जिनमें 217 बेसिक लाइफ सपोर्ट, 54 एडवांस लाइफ सपोर्ट और 1 बोट एम्बुलेंस शामिल है. साल 2019 से अगस्त 2025 तक, इस सेवा के जरिए 8.79 लाख से अधिक लोगों को आपातकालीन सेवा मिली है.

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‘स्वस्थ उत्तराखंड, समर्थ उत्तराखंड’ (Photo- ETV Bharat)

335 प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र हो रहे संचालित: राज्य व्याधि सहायता निधि समिति के तहत बीपीएल वर्ग के मरीजों को 11 गंभीर बीमारियों के इलाज को आर्थिक मदद दी जा रही है. वित्तीय वर्ष 2005-06 से अक्टूबर 2025 तक 1,045 लाभार्थियों को इस योजना से सहायता मिली है. इस योजना से 12.85 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. इसके अलावा, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाओं की उपलब्धता के लिए राज्य में 335 प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र संचालित हैं, जबकि 48 नए केंद्र प्रस्तावित हैं. इन केंद्रों से आम नागरिकों को दवाएं बाजार मूल्य से करीब 50 से 80 फीसदी तक सस्ती मिल रही हैं.

Uttarakhand health services

राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में डॉक्टरों की संख्या बढ़ी (Photo- ETV Bharat)

2,182 पंचायतें टीबी मुक्त घोषित हो चुकी: राज्य में टीबी मुक्त उत्तराखंड अभियान के तहत 2,182 पंचायतें टीबी मुक्त घोषित की जा चुकी हैं. इस अभियान के तहत अभी तक 18,159 निक्षय मित्र जुड़ चुके हैं, जिनमें से 8,658 सक्रिय रूप से टीबी मरीजों को गोद लेकर सहयोग कर रहे हैं. परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत देहरादून और अल्मोड़ा में दो नए परिवार नियोजन साधनों की शुरुआत की गई है.

Uttarakhand silver jubilee year

राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आया (Photo- ETV Bharat)

इसके साथ ही डेंगू और अन्य वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम को लेकर विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत 19 केंद्रों में 166 मशीनों के जरिए इस साल अब तक 46,958 डायलिसिस सत्र किए जा चुके हैं. साल 2016 से अब तक राज्य में 65 ब्लड बैंक स्थापित किए जा चुके हैं, जिनमें 28 सरकारी, 18 निजी और 19 चैरिटेबल संस्थान हैं. इससे ब्लड की उपलब्धता और आपातकालीन सेवाओं में बड़ी सुविधा मिली है.

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अब दूर दराज तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचीं (Photo- ETV Bharat)

हर नागरिक तक क्वालिटी हेल्थ फेसेलिटी पहुंचाना है सरकार का लक्ष्य: वहीं, स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा कि-

पिछले 25 सालों में उत्तराखंड ने स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में काफी प्रगति की है. राज्य सरकार की प्राथमिकता हर नागरिक तक गुणवत्तापूर्ण और सुलभ स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाना है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, आयुष्मान भारत, टेलीमेडिसिन, 108 आपातकालीन सेवा और जन औषधि केंद्र जैसे कार्यक्रमों ने स्वास्थ्य स्ट्रक्चर को मजबूती दी है.
-डॉ आर राजेश कुमार, स्वास्थ्य सचिव, उत्तराखंड-

आगे है ये लक्ष्य: स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में काफी कमी दर्ज की है. दूरस्थ क्षेत्रों में चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती की है. सरकार की नीति ‘स्वस्थ उत्तराखंड, समर्थ उत्तराखंड’ की दिशा में राज्य लगातार आगे बढ़ रहा है. आने वाले सालों में लक्ष्य है कि हर गांव और हर व्यक्ति को समय पर, सस्ती और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं.

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स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार (Photo- ETV Bharat)

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