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हरिद्वार अर्धुकंभ 2027: तैयारियों ने पकड़ी तेजी, साधु-संतों में भी उत्साह, बस ये है एक डर!


अर्धकुंभ 2027 (ETV Bharat Graphics)

हरिद्वार: साल 2027 में हरिद्वार में अर्धकुंभ होने जा रहा है. इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. सरकार इसे प्रयागराज कुंभ की तरह आयोजित करना चाहती है. साधु-संत भी इसके लिए सहमत हैं. 2027 में ही महाराष्ट्र के नासिक में सिंहस्थ कुंभ होना है. हालांकि दोनों की तारीखों में अंतर है. इसके बावजूद जानकार डरे हुए हैं कि क्या साधु-संत पूरे हरिद्वार अर्धकुंभ में यहां टिक पाएंगे या नासिक रवाना हो जाएंगे. वहीं अर्धकुंभ को कुंभ नाम देने पर भी कुछ संतों और जानकारों में कंफ्यूजन है.

हरिद्वार में होना है अर्धकुंभ: सरकार बेहद उत्साहित है और यह उत्साह इस बात से भी नजर आ रहा है कि राज्य सरकार 2027 में होने वाले इस कुंभ मेले की तैयारी में अभी से जुट गई है. हरिद्वार में मेला अधिकारी की नियुक्ति से लेकर मेला अधिकारी के द्वारा बैठक, केंद्र सरकार से बजट की मांग, हरिद्वार में गंगा घाटों का सुंदरीकरण, सड़कों का बनना, जाम से मुक्ति के उपाय और सुरक्षा संबंधित सभी कामों को पंख लगाने के लिए खुद सीएम इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं.

Haridwar Ardh Kumbh 2027

अर्धुकंभ 2027 को लेकर साधु-संतों में उत्साह है (File Photo- ETV Bharat)

बिल्कुल कुंभ जैसी तैयारी: 2027 में होने वाला हरिद्वार कुंभ अब मात्र संभावित मेला नहीं, बल्कि एक बड़े धार्मिक, सांस्कृतिक आयोजन के रूप में आकार लेने लगा है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों के साथ हरिद्वार के गंगा घाट पर बैठक की. यह पहली बार है कि कुंभ की तैयारी को लेकर बैठक गंगा तट पर इस पैमाने पर की गयी. बैठक में तय हुआ कि अर्ध कुंभ को इस बार भव्य सुव्यवस्थित एवं सुरक्षित तरीके से आयोजित किया जाएगा. साथ ही घाटों का सौंदर्यीकरण, सड़कों व पार्किंग व्यवस्था, यातायात प्रबंधन, सुरक्षा व आपदा प्रबंधन इन सभी आयामों पर पहले से योजना शुरू कर दी गयी है. सरकार ने यह भरोसा जताया है कि 2027 में आने वाले श्रद्धालुओं और साधु-संतों की संख्या पूर्व के आयोजनों से कहीं अधिक होगी. इसलिए केंद्र व राज्य की सुरक्षा एजेंसियों, पुलिस, NDRF, अग्निशमन विभाग, स्वास्थ्य व आपदा प्रबंधन विभाग सभी को तैयार रहने का निर्देश दिया गया है.

बेहद उत्साहित है सरकार: सरकार और संतों की तैयारी का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि कुंभ की तर्ज पर ही बाकायदा संतों की पेशवाई भी निकलेगी. ये सब पहली बार होगा. अर्ध कुम्भ को कुंभ बना कर उसका आयोजन करना कितना सही और कितना गलत है ये अलग बात है. लेकिन फ़िलहाल सरकार और संतों ने जो प्रमुख स्नान की तारीख तय की हैं, उसमें कुल मिलाकर 10 प्रमुख स्नान तय हुए हैं. इनमें 4 को अमृत शाही स्नान का दर्जा दिया गया है, जो पहले अर्ध कुंभों में नहीं हुआ है.

हरिद्वार अर्धकुंभ 2027 की घोषित स्नान तिथियाँ (मुख्य स्नान + अमृत स्नान)

  1. 14 जनवरी 2027 — मकर संक्रांति स्नान
  2. 06 फ़रवरी 2027 — मौनी अमावस्या स्नान
  3. 11 फ़रवरी 2027 — बसंत पंचमी स्नान
  4. 20 फ़रवरी 2027 — माघ पूर्णिमा स्नान
  5. 06 मार्च 2027 — महाशिवरात्रि — पहला अमृत/शाही स्नान
  6. 08 मार्च 2027 — फाल्गुन अमावस्या — दूसरा अमृत स्नान
  7. 07 अप्रैल 2027 — नव संवत्सर स्नान
  8. 14 अप्रैल 2027 — मेष संक्रांति — तीसरा अमृत स्नान
  9. 15 अप्रैल 2027 — श्री राम नवमी स्नान
  10. 20 अप्रैल 2027 — चैत्र पूर्णिमा स्नान

संत समाज का रुख: इस आयोजन को लेकर संतों और अखाड़ों में भी लगन दिखाई दे रही है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने साफ़ किया है कि वो सरकार के साथ मिलकर इस अर्धकुंभ को कुंभ की तरह ही सफल व भव्य रूप देने में पूरी भागीदारी करेंगे. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी कहते हैं कि यह आयोजन धार्मिक व सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है. वे संकल्पित हैं कि इस बार कुंभ की गरिमा और परंपरा दोनों का सम्मान हो.

Haridwar Ardh Kumbh 2027

अर्धकुंभ को कुंभ की तर्ज पर करने पर साधु-संत सहमत हैं (File Photo- ETV Bharat)

अध्यक्ष से हुई सीएम की बातचीत में भी कई महत्वपूर्ण बातें निकल कर सामने आई हैं. सीएम ने संतों से कहा है कि साधु-संतों की परंपराओं, उनकी आवश्यकताओं और सुविधाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी. उन्होंने अखाड़ा प्रतिनिधियों से सुझाव मांगे और कहा कि बिना उनकी प्रेरणा सहयोग और आशीर्वाद के इस विशाल आयोजन की कल्पना संभव नहीं. हालांकि संत समाज में ही कुछ ऐसे संत हैं, जो अर्ध कुंभ को कुंभ का दर्जा देना पारंपरिक पैमानों व धार्मिक शास्त्रों से मेल नहीं खाते की बात कह रहे हैं.

जल्द दिखने लगेगा काम: मेला अधिकारी सोनिका सिंह कहती हैं कि-

मेले के लिए रोजाना रोडमैप तैयार किया जा रहा है. हम सबसे पहले घाटों का नवीनीकरण और सौंदर्यीकरण कर रहे हैं, ताकि भीड़ में गंगा के किनारे पर्याप्त व सुव्यवस्थित स्पेस हो. इसके साथ ही हरिद्वार में कुछ दिनों में सड़कों, पार्किंग, यातायात और शटल बस व्यवस्था भीड़ नियंत्रण और जाम से बचने के लिए होने वाले काम दिखने लग जायेंगे. मेले में भीड़ अधिक आएगी और उन्हें धार्मिक स्नान के साथ साथ अन्य आकर्षण भी इस मेला क्षेत्र में दिखेंगे. हम कई तरह की प्रदर्शनी लगा रहे हैं. कुंभ गंगा का महत्व और धार्मिक गैलरी के अलावा इस मेले को आधुनिकता से भी जोड़ा जायेगा. हम कई काम में एआई तकनीक का सहारा ले रहे हैं जो आने वाले मेले में काफी सहायता देगी.
-सोनिका सिंह, मेला अधिकारी-

ये ध्यान रखना होगा कि कहीं कुंभ सरकारी ना हो जाये: हरिद्वार में कई अर्ध कुम्भ और कुंभ मेले देख चुके समाजसेवी पद्म प्रकाश शर्मा कहते हैं कि-

ये हम पहली बार देख रहे हैं. अगर सरकार करना चाहती है तो अच्छा है. लेकिन हरिद्वार में आने वाले भक्त बहार से आएंगे. ऐसे में हर किसी के पास एक बजट होता है, खर्च करने का. अब वो नासिक जायेगा या हरिद्वार आएगा, क्योंकि नासिक में कुछ समय बाद कुम्भ होगा. वहां का अलग और बड़ा महत्व होगा. हरिद्वार में अगर इतना पैसा खर्च होगा और सरकार कुम्भ कर रही है, तो उसका फायदा भी दिखना चाहिए. ऐसा ना हो कि ये कुंभ सिर्फ सरकारी बनकर रह जाए, ये भी ध्यान रखना होगा.
-पद्म प्रकाश शर्मा, समाजसेवी-

वहीं वरिष्ठ पत्रकार आदेश त्यागी कहते हैं कि-

ये बात भी ध्यान रखनी होगी कि कुंभ में सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र संत होते हैं. क्या संतों को सरकार पूरे समय तक रोक पायेगी? क्या नासिक और हरिद्वार दोनों जगह सभी अखाड़े एक के बाद एक पहुंच पाएंगे. क्योंकि संत ना केवल उत्तराखंड सरकार से बात कर रहे हैं, बल्कि महाराष्ट्र में भी सरकार ने अखाड़ों के साथ बैठक और बातचीत पहले से ही शुरू कर दी है. तो ऐसा ना हो कि सरकार सभी तैयारी करे और यहां सब मेला क्षेत्र एक स्नान के बाद या बीच में खाली हो जाएं.
-आदेश त्यागी, वरिष्ठ पत्रकार-

2027 में 14 जनवरी से शुरू होगा अर्धकुंभ: बताते चलें कि अर्धकुंभ 14 जनवरी 2027 से शुरू होगा. इसका समापन अप्रैल में होगा. अर्धुकंभ का पहला स्नान 14 जनवरी 2027 को मकर संक्रांति को होगा. इस बार प्रदेश सरकार और संतों की सहमति से इस आयोजन को महाकुंभ का नाम दिया जा रहा है. हालांकि इसे लेकर कुछ संतों ने विरोध भी जताया है. अर्धकुंभ 97 दिन चलेगा. इस दौरान 4 प्रमुख शाही स्नान भी होंगे. साधु संत और उत्तराखंड सरकार अर्धकुंभ 2027 को प्रयागराज महाकुंभ की तर्ज पर दिव्य और भव्य रूप में आयोजित करना चाहते हैं.
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