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जन समस्याओं और सुझावों के आधार पर बनेंगी वन नीतियां, जानें महकमे का नया प्लान


नई वन नीति (Photo- ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड में जंगलों का ग्रामीणों से गहरा नाता रहा है, लेकिन वन कानूनों ने कई बार लोगों को इससे दूर किया है. शायद यही कारण है कि वनों से संबंधित समस्याओं में पिछले कुछ समय में बढ़ोत्तरी भी हुई है. इसी को समझते हुए वन विभाग एक नया प्रयास शुरू करने जा रहा है, जिसमें आम लोगों की समस्याओं और सुझाव के आधार पर ही आगे की नीतियां बनाने और समस्याओं का समाधान करने की कोशिशें हो रही हैं.

जन समस्याओं और सुझावों के आधार पर बनेंगी वन नीतियां: प्रदेश में वनों से जुड़े कानून लोगों को जंगलों से दूर करते रहे हैं, लेकिन अब वन विभाग एक ऐसा प्रयास करने जा रहा है जिससे इन दूरियों को खत्म करते हुए विभाग और आम लोगों के बीच एक बेहतर समन्वय स्थापित किया जा सके. दरअसल पिछले कुछ समय में वनों से जुड़ी तमाम समस्याएं प्रदेश में बढ़ती दिखाई दे रही हैं. इससे न केवल ग्रामीणों के लिए संकट पैदा हो गया है, बल्कि सरकार और वन विभाग के सामने भी नई चुनौतियां खड़ी हो गई है.

ग्रामीण स्तर पर जान जागरूकता कार्यक्रम भी चला रहा वन विभाग: इन्हीं हालातों से निपटने के लिए सबसे बेहतर तरीका जन जागरूकता ही दिखाई दे रहा है. इसीलिए वन विभाग इन दिनों ग्रामीण स्तर पर जन जागरूकता कार्यक्रम भी चला रहा है. लेकिन यह समस्या छोटी नहीं है और इसका कोई समय भी निश्चित नहीं है. इसीलिए वन विभाग सतत प्रक्रिया के रूप में लोगों को विभाग के साथ जोड़ने का एक नया कार्यक्रम शुरू कर रहा है, जिसके लिए अधिकारियों को भी जिम्मेदारियां दी जा रही हैं.

वन प्रभाग दिवस की हो रही शुरुआत: प्रमुख वन संरक्षक हॉफ ने बताया कि-

वन विभाग के इन्हीं प्रयासों के तहत प्रदेश में प्रभाग दिवस की शुरुआत की जा रही है. यह एक ऐसा दिन होगा, जब तमाम प्रभागों और रेंजों में वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ आम लोग संवाद करेंगे. बड़ी बात यह है कि इन समस्याओं और सुझावों को केवल रेंज या प्रभाग तक ही सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि इन्हें एकत्रित करके प्रदेश मुख्यालय तक भेजा जाएगा और यहां से विभाग की तमाम नीतियों और कार्यक्रमों में इन सुझावों और समस्याओं को समाहित किया जाएगा.
-आरके मिश्र, प्रमुख वन संरक्षक, हॉफ, उत्तराखंड-

ऐसे काम करेगा प्रभाग दिवस: इसके लिए अधिकारियों को भी जिम्मेदारी सौंपी जा रही है, जिसमें डीएफओ स्तर के अधिकारी प्रभागों में आम लोगों द्वारा दी गई समस्याओं और सुझावों को सुनेंगे, और रेंज स्तर पर हो रहे संवाद की भी मॉनिटरिंग करेंगे. इसके बाद CF से होते हुए गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के सीसीएफ इन सुझावों और समस्याओं के समाधान पर काम करेंगे. इसके बाद इस कार्यक्रम के लिए IFS अफसर विनय भार्गव को नोडल अधिकारी बनने पर विचार किया जा रहा है, जिनके माध्यम से वन मुख्यालय तक आम लोगों के मुद्दों को पहुंचाया जाएगा और इस पर समीक्षा की जा सकेगी.

मानव-वन्य जीव संघर्ष से जूझ रहा है राज्य: उत्तराखंड वन विभाग इन दिनों मानव वन्य जीव संघर्ष से जूझ रहा है और इस समस्या के लिए जन जागरूकता को सबसे बेहतरीन उपाय माना जा रहा है. लेकिन बात केवल संघर्ष तक की ही नहीं है, बल्कि आने वाले समय में फॉरेस्ट फायर भी एक बड़ी चुनौती होने जा रहा है, जिसके लिए भी आम लोगों की सहभागिता के बिना वन विभाग जंगलों में लगने वाली आग से निपट नहीं सकता. ऐसे में वनों की हर समस्या से निपटने के लिए लोगों की सहभागिता को बढ़ाने की ज्यादा से ज्यादा कोशिश की जा रही है.
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