रोहित कुमार सोनी
देहरादून: राजस्थान और मध्यप्रदेश में कफ सिरप पीने से कई बच्चों की मौत हो गई है. इस घटना के बाद देशभर में हड़कंप मचा हुआ है. उत्तराखंड में भी खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन की ओर से ताबड़तोड़ छापेमारी की कार्रवाई की जा रही है. साथ ही एफडीए ने कफ सिरप को लेकर केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के तहत Dextromethorphan युक्त कफ सिरप और Chlorpheniramine Maleate+Phenylephrine Hydrochloride युक्त कफ सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी है. वहीं, राज्य में प्रतिबंधित और संदिग्ध कफ सिरप की बिक्री व वितरण के खिलाफ सघन अभियान चलाया जा रहा है.
कफ सिरप की बिक्री पर रोक: एफडीए यानी खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन की ओर से औषधि प्रतिष्ठानों पर की गई छापेमारी के दौरान, वो दवाइयां प्रदेश में नहीं मिली है, जिन कफ सिरप से राजस्थान और मध्यप्रदेश में बच्चों की मौत हुई है. ऐसे में सावधानियां बरतते हुए एफडीए की ओर से केंद्र सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी में जिन दो सॉल्ट का जिक्र किया गया है, उन सॉल्ट की कफ सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी है.
इसके साथ ही अन्य राज्यों से उत्तराखंड में आने वाले कफ सिरप पर भी निगरानी रखी जा रही है. ताकि, इन सॉल्ट से बनी दवाइयां उत्तराखंड न आ पाए. दरअसल, केंद्र सरकार ने जिन दो सॉल्ट युक्त कफ सिरप की बात की गई है. ये कफ सिरप बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है. यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी सभी डॉक्टर को इस बाबत निर्देश दिए गए हैं कि इन कफ सिरप को पर्चे पर ना लिखा जाए.
सैंपल की जांच (फोटो सोर्स- FDA Team)
वहीं, खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन के अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि प्रदेशभर में संदिग्ध औषधियों की जांच, सैंपलिंग और बाजार नियंत्रण की जा रही है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सिरप के सेवन से बच्चों के बीमार होने और मौत की घटनाओं के बाद उत्तराखंड सरकार ने ये कदम जनहित में उठाया है. ये अभियान पूरी संवेदनशीलता के साथ प्रदेश के हर जिले में चलाया जा रहा है. ताकि, किसी भी स्थिति में बच्चों के हेल्थ पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े.
अपर आयुक्त ने कहा कि प्रदेश के सभी जिलों में औषधि नियंत्रण अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे सीएफटीओ, मेडिकल स्टोर, थोक विक्रेताओं और अस्पतालों की औषधि दुकानों से कफ सिरप के नमूने एकत्र करें. साथ ही परीक्षण के लिए अधिकृत प्रयोगशालाओं को भेजें. निर्माण कंपनियों से भी कच्चे माल जैसे पॉलीइथाइलीन ग्लाइकॉल, सॉर्बिटॉल और अन्य रासायनिक तत्वों के सैंपल लेकर गुणवत्ता जांच की जा रही है.
उत्तराखंड में अब तक 63 दवाओं के लिए जा चुके नमूने: ताकि, उत्पादन स्तर पर भी किसी प्रकार की कमी या गड़बड़ी की संभावना खत्म की जा सके. अभी तक प्रदेशभर में 63 औषधियों के नमूने एकत्र किए जा चुके हैं, जिनकी जांच की जा रही है. ऐसे में जांच रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. अपर आयुक्त ने आम जनता से अपील किया है कि वे बिना डॉक्टर की सलाह के बच्चों को कोई भी कफ सिरप या दवाइयां न दें.
अगर बच्चे में सर्दी, खांसी या बुखार जैसे लक्षण दिखाई दें तो सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही दवा दें. साथ ही कहा कि ये अभियान आगे भी लगातार जारी रहेगी. ताकि, किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य जोखिम की स्थिति उत्पन्न न हो. उन्होंने बताया कि विभागीय टीमें इस अभियान की लगातार निगरानी कर रही है. हर जिले में औषधि दुकानों और थोक विक्रेताओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

लैब में टेस्टिंग (फोटो सोर्स- ETV Bharat)
पहले से खुली हुई कफ सिरप या दवा बच्चों को बिल्कुल न दें: अपर आयुक्त ताजबर जग्गी ने आम जनता से अपील की है कि अपने घरों में पहले से खुली हुई कफ सिरप या किसी भी तरह की दवा बच्चों को बिल्कुल न दें. क्योंकि, कई बार पुरानी या खुली दवाइयां अपनी गुणवत्ता खो देती हैं, जो बच्चों के हेल्थ के लिए हानिकारक साबित हो सकती है. इसलिए ऐसी किसी भी खुली बोतल या अधूरी दवाई को इस्तेमाल करने से बचें.
इसके अलावा हर दवा की एक्सपायरी डेट जरूर देखें. साथ ही कहा कि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के आयुक्त आर राजेश कुमार ने सभी जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि भारत सरकार की एडवाइजरी को तत्काल प्रभाव से लागू कराया जाए. साथ ही औषधि दुकानों और निर्माण इकाइयों की लगातार निगरानी करने के आदेश दिए गए हैं.
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