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पिता 16 घंटे बाद जिंदा बचे पर नहीं बच सकी मां-बच्चों की जान, आखिरी सांस तक मां के सीने से चिपके रहे जुड़वां भाई


देहरादून: इस साल मॉनसून ने उत्तराखंड को कई ऐसे जख्म दिए हैं, जो शायद ही कभी भर पाएंगे. चमोली जिले में बीते दिनों आई आपदा ने इंसानी जिंदगियों को झकझोर कर रख दिया है. पहाड़ों की खूबसूरती के बीच बसे गांव अब खामोशी और मातम में डूबे हुए हैं. चारों तरफ तबाही का मंजर हैं. हर आंख नम है और हर दिल डरा हुआ. चमोली के रेस्क्यू अभियान में लगातार शव मिल रहे हैं. लेकिन इस बीच एक तस्वीर ने सभी को रुला दिया है.

दरअसल, चमोली शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर कुंतरी लगा फाली गांव में आपदा के बाद कई लोग अब तक लापता हैं. रेस्क्यू टीमें दिन रात मलबा हटाने और लोगों की तलाश में जुटी हुई हैं. ग्रामीण भी पूरी ताकत से खोजबीन में लगे हैं, लेकिन इसी तलाश ने एक ऐसी तस्वीर सामने ला दी, जिसे जिसने भी देखा उसका कलेजा फट गया.

38 साल की कांता देवी की कहानी. (@local person)

38 साल की कांता देवी और उनके 10 साल के जुड़वां बेटे अब इस दुनिया में नहीं रहे. ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि जब रेस्क्यू टीम कुंवर सिंह के मकान के अंदर पहुंची तो वहां का मंजर देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं, क्योंकि कांता देवी अपने दोनों बेटों (विशाल और विकास) को सीने से कसकर लगाए हुए मलबे में दबी हुई थीं. मानों आखिरी सांस तक मां ने अपने बच्चों को बचाने की कोशिश की हो, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया. बता दें कि, कांता देवी के पति कुंवर सिंह को रेस्क्यू टीम ने 16 घंटे बाद मलबे से जीवित निकाला था लेकिन उनकी पत्नी-बच्चे इस आपदा में नहीं बच सके.

Chamoli

10 साल के जुड़वा भाई जो आखिरी समय मां के सीने से चिपके थे. (@local person)

शुक्रवार को इस हादसे में मृत कुल 5 लोगों के शव निकाले गए. रेस्क्यू टीम और ग्रामीणों ने जब मां-बेटों के शव बाहर निकाले तो पूरा गांव सिसकियों से गूंज उठा. बच्चों को गांव की रौनक कहने वाले लोग अब सुन्न हैं. घर-घर मातम है और दिलों में बस यही सवाल क्यों इतनी निर्दयी हो गई यह त्रासदी? आज कुंतरी फाली गांव में सिर्फ खामोशी है, वो खामोशी जिसमें मासूमों की खिलखिलाहट खो चुकी है. मां का प्यार मलबे में दब चुका है और हर घर सिर्फ यही दुआ मांग रहा है कि अब ऐसी तबाही दोबारा न आए.

संगीता देवी की कहानी भी आपको रुला देगी: इसी गांव की संगीता देवी की कहानी भी कम दर्दनाक नहीं है. कुछ साल पहले उन्होंने अपने पति को खो दिया था. अब इस आपदा ने उनका आशियाना भी छीन लिया. वो अपनी छोटी बेटी के साथ गांव में रहकर खेतीबाड़ी से गुजारा करती थीं. अब घर की नींव तक मलबे में समा चुकी है.

संगीता का कहना है कि उन्होंने जिंदगी से कभी उम्मीद नहीं छोड़ी, लेकिन इस बार हादसे ने उनका सब कुछ छीन लिया. इस हृदय विदारक स्थिति को देखकर आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी गांव पहुंचे. उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और हरसंभव मदद का आश्वासन दिया.

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सरकार इस आपदा में हर पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है और पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं. चमोली की इस त्रासदी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पहाड़ों की गोद में बसी जिंदगी कितनी असुरक्षित है.

उत्तराखंड में लगातार बारिश से भयानक तस्वीरें सामने आ रही हैं. सरकार जब तक एक तरफ हालात से निपटने के लिए काम करती है, तब तक दूसरी जगह आपदा लोगों की ज़िंदगी छीन लेती है. आलम ये है कि अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं, जबकि सैकड़ों अभी भी लापता हैं.

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