हैदराबाद: साल 2025 का दूसरा चंद्रग्रहण आज, 7 सितंबर (रविवार) की रात को लगने जा रहा है. यह पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, जिसकी शुरुआत रात 9 बजकर 58 मिनट पर होगी और इसका समापन 8 सितंबर की रात 1 बजकर 26 मिनट पर होगा. खगोलीय दृष्टि से यह एक विशेष दृश्य होगा, क्योंकि इस दौरान चंद्रमा लालिमा लिए हुए नजर आएगा, जिसे आम भाषा में ‘ब्लड मून’ कहा जाता है.
धार्मिक दृष्टिकोण से ग्रहण का महत्व
ज्योतिषाचार्य मनीषा कौशिक के अनुसान हिंदू धर्म में ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय नकारात्मक शक्तियां अधिक प्रभावी होती हैं, जिसके कारण शुभ कार्यों, पूजा-पाठ और मांगलिक कार्यों पर रोक लगा दी जाती है. यह समय आत्मचिंतन, साधना और संयम का होता है.
क्या न करें चंद्रग्रहण के दौरान?
- ग्रहण काल में कई कार्यों को वर्जित माना गया है. इस दौरान घर के मंदिर को ढक देना चाहिए और भगवान की मूर्तियों को नहीं छूना चाहिए.
- तुलसी, पीपल और बरगद जैसे पवित्र वृक्षों को स्पर्श करने से बचना चाहिए.
- धार्मिक मान्यता है कि इस समय झगड़ा, बहस और नकारात्मक सोच से दूर रहना चाहिए, क्योंकि यह घर की शांति को भंग कर सकता है.
- गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है, जैसे बाहर न निकलना और तेज रोशनी में चंद्रमा को न देखना.
क्या करें ग्रहण के बाद?
- ग्रहण समाप्त होने के बाद सबसे पहले स्नान करें और शरीर को शुद्ध करें. घर में और मंदिर में गंगाजल का छिड़काव अवश्य करें.
- धार्मिक मान्यता के अनुसार इस समय दान करना अत्यंत पुण्यदायी होता है. विशेष रूप से दूध, चावल, सफेद वस्त्र, चांदी और घी का दान करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है.
- ग्रहण के समय और बाद में मंत्र जाप करना भी अत्यंत फलदायी माना जाता है. विशेषकर महामृत्युंजय मंत्र और चंद्रमा का मंत्र
- “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः” का जाप करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है.
आम लोगों के लिए क्यों जरूरी है सतर्कता?
चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना होते हुए भी धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से बहुत संवेदनशील माना गया है. यह समय विशेष रूप से गर्भवती महिलाएं, बच्चे, वृद्ध और बीमार लोगों के लिए सतर्कता से बिताने योग्य है. धार्मिक नियमों और मान्यताओं के पालन से इस काल के नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सकता है.
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