देहरादून (किरणकांत शर्मा): उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इटावा में केदारेश्वर नाम से मंदिर का निर्माण कराया है. इस मंदिर की बनावट हुबहू केदारनाथ मंदिर जैसी ही है. इसलिए केदारनाथ धाम के तीर्थ-पुरोहित इसका विरोध कर रहे हैं. विवाद बढ़ा तो उत्तराखंड सरकार ने इस मामले पर बैठक की, और इसकी जांच करवाने की बात कही है.
बता दें कि, उत्तराखंड के चारधाम और द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र है. हर साल लाखों की संख्या में भक्त बाबा केदार के दर्शन करते आते हैं. कई लोग या संस्थाएं देश के अलग-अलग हिस्सों में केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर भी बनाती हैं, जिसको अकसर विरोध होता है. दो साल पहले भी दिल्ली में केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर बनाया जा रहा था, जिसका खुद सीएम धामी ने भूमि पूजन भी किया था. दिल्ली में केदारनाथ धाम से मंदिर बनने का काफी विरोध हुआ था, जिसके बाद संस्था ने मंदिर का निर्माण कार्य रोक दिया था.
अखिलेश ने डाला सोशल मीडिया पर मंदिर का वीडियो: अब यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इटावा में उत्तराखंड के केदारनाथ जैसे मंदिर बनवाया है. अखिलेश ने मंदिर का वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया है. हालांकि, उनकी तरफ से इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन मंदिर का वीडियो डालते ही उत्तराखंड में हंगामा हो गया. विवाद बढ़ने के बाद जहां उत्तराखंड सरकार जांच करने की बात कह रही है.
धामी कैबिनेट ने दिया था बड़ा फैसला: बता दें कि, 18 जुलाई 2024 को धामी कैबिनेट में एक प्रस्ताव पास हुआ था, जिसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि देश में कहीं भी उत्तराखंड चारधाम के नाम या फिर उस शैली में किसी भी मंदिर का निर्माण नहीं होगा. इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने सभी राज्यों को पत्र भी लिखा था. साथ ही बताया गया था कि यदि कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कानून कार्रवाई भी की जाएगी. बावजूद इसके इटावा में इस तरह का मंदिर बना दिया था, जिस पर कांग्रेस ने तंज कसा है.
कांग्रेस ने सरकार को घेरा: इस पूरे मामले पर उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा का कहना है कि यूपी के इतने बड़े मंदिर का निर्माण हो गया, फिर भी सरकार खामोश है. यह हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला काम है. उत्तराखंड सरकार और मंदिर समिति इस मामले में कब तक खामोश रहेगी.
सरकार का बयान: साथ ही कांग्रेस ने ये सवाल भी खड़ा किया है कि चार साल से मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा था, लेकिन सरकार को पता नहीं चल पाया. अब जब मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो गया तो सरकार देहरादून में बैठकर जांच करने की बात कह रही है.
सरकार करेगी जांच: कांग्रेस के इस सवाल का उत्तराखंड के धर्मस्व व पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार की जानकारी में ये बात अभी सामने आई है. इस पूरे मामले की जांच करवाई जा रही है. हालांकि, वो ये नहीं बता पाए कि इस मामले की जांच आखिरकार कौन करेगा.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता बोले – विरोध क्यों? इस पूरे मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता, हरिद्वार सांसद और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का बयान भी आया है. उन्होंने इस तरह के विरोध को बेतुका बताया है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मंदिरों की कॉपी या हूबहू मंदिर पहले भी कई जगहों पर बने हैं. इसका विरोध होना भी नहीं चाहिए. उन्होंने एक ही मंदिर को कई जगहों पर देखा है.
केदारनाथ एक धाम है और धाम सिर्फ एक ही हो सकता है. भले ही उसकी शैली की कॉपी क्यों न कर ली गई हो. इसलिए राजनेताओं को इस मामले में ज्यादा टिप्पणी नहीं करनी चाहिए और यह काम साधु संतों और तीर्थ पुरोहित का है, उन्हें ही सौंपना चाहिए.
– त्रिवेंद्र सिंह रावत, सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री –
क्या है इटावा के केदारेश्वर मंदिर में खास: उत्तर प्रदेश में यह मंदिर इटावा में बनकर तैयार हुआ है. लगभग दो एकड़ जमीन पर केदारेश्वर मंदिर का निर्माण साल 2020 में शुरू हुआ था. मंदिर की बनावट हूबहू केदारनाथ मंदिर की तरह ही है. मंदिर के निर्माण के लिए तिरुवल्लुवर से कारीगर बुलाए गए थे. लगभग 55 करोड़ की लागत से इस मंदिर का निर्माण हुआ है लगभग 7 फीट के शालिग्राम की शिला इस मंदिर में स्थापित की गई है. मंदिर में और भी कई खास तकनीक निर्माण में इस्तेमाल की गई है. रंग रोगन से लेकर मंदिर की गुंबद तक केदार मंदिर की तरह ही है.
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