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बिगड़ता लाइफ स्टाइल, देरी से शादी और लेट बच्चा भी ब्रेस्ट कैंसर का कारण? जानिए क्या है डॉक्टर का कहना


रोहित कुमार सोनी

देहरादून: हर साल अक्टूबर महीने को स्तन कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है. ताकि, तेजी से बढ़ रहे स्तन कैंसर के प्रति महिलाओं को जागरूक किया जा सके. बावजूद इसके स्तन कैंसर के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जो महिलाओं के लिए एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. ऐसे में स्तन कैंसर की जागरूकता को लेकर उत्तराखंड में भी अभियान चलाए जा रहे हैं.

तमाम अभियानों के जरिए महिलाओं को स्तन कैंसर के प्रति जागरूक किया जा रहा है, लेकिन तेजी से बदलते लाइफ स्टाइल और लेट शादी या फिर लेट बच्चा पैदा होना भी स्तन कैंसर के लिए कई बार जिम्मेदार देखा गया हैं. यही वजह है कि डॉक्टर्स महिलाओं को स्तन कैंसर से बचाव के लिए बदलते लाइफस्टाइल को सही करने पर जोर दे रहे हैं.

खराब लाइफस्टाइल की वजह से बढ़ रहे स्तन कैंसर के मामले! (वीडियो- ETV Bharat)

स्तन कैंसर भारत देश ही नहीं दुनियाभर के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. जिसकी मुख्य वजह यही है कि आज भी महिलाएं इसके बीमारी के प्रति जागरूक नहीं है. जिसके चलते हर साल लाखों महिलाओं की मौत हो रही है. भारत में साल 1990 के दशक में स्तन कैंसर चौथा सबसे आम कैंसर था, लेकिन अब भारतीय महिलाओं में सबसे आम कैंसर और एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य चिंता बन गया है.

खराब लाइफस्टाइल से बढ़ रहे कैंसर के मामले: वंशानुगत मोटापा, खराब जीवन शैली, अत्यधिक अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन, धूम्रपान और शराब का इस्तेमाल समेत अन्य कारणों की वजह से भी स्तन कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है. यही वजह है कि हर साल अक्टूबर महीने को स्तन कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है. ताकि, महिलाओं को स्तन कैंसर के प्रति जागरूक किया जा सके.

नेचर जर्नल में प्रकाशित शोध ने जताया ये अनुमान: नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, अगले 10 सालों में भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर के आंकड़ों में हर साल 50 हजार की वृद्धि होने की संभावना है. महिलाओं में स्तन कैंसर की जनसंख्या के आधार पर बताया गया है. जिसके तहत 25 से 49 साल उम्र की महिलाओं में घटना दर 32.8 फीसदी, 50 से 69 साल उम्र की महिलाओं में 27.9 फीसदी और 70 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में 23.4 फीसदी है.

कैंसर मरीजों में संख्या में इजाफा: इसके साथ ही साल 2019 में स्तन कैंसर मरीजों की संख्या 2,00,218 थी. जबकि, स्तन कैंसर की वजह से 74,481 मरीजों की मौत हुई थी, लेकिन मरीजों का आंकड़ा साल 2023 में बढ़कर 2,21,579 हो गई. साथ ही इस बीमारी से होने वाली मौतों की संख्या भी बढ़कर 82,429 हो गई.

कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर सौरभ तिवारी (फोटो- ETV Bharat)

वहीं, ईटीवी भारत से बातचीत में कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर सौरभ तिवारी ने बताया कि भारत देश में स्तन कैंसर के साथ ही अन्य कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. आने वाले समय में स्तन कैंसर के आंकड़ों में बढ़ोतरी देखी जाएगी. जो लोगों के लिए एक गंभीर समस्या भी बन जाएगी. मुख्य रूप से स्तन कैंसर होने में खराब लाइफ स्टाइल की महत्वपूर्ण भूमिका है.

स्तन कैंसर होने के प्रमुख वजहों पर बात करें तो पहले 13 से 14 साल की लड़कियों को पीरियड्स शुरू होते थे, लेकिन आज के इस दौर में 10 से 11 साल की लड़कियों को पीरियड्स होने शुरू हो जा रहे हैं. इसके साथ ही शादी के बाद समय पर बच्चे ना पैदा करना और बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग ना करना भी कई बार स्तन कैंसर के लिए कारक बन जाते हैं. इतना ही नहीं वर्तमान समय में महिलाओं का शराब पीना और धूम्रपान करना भी स्तन कैंसर समेत अन्य कैंसर के लिए प्रमुख भूमिका निभाते हैं.

क्या हैं स्तन कैंसर के शुरुआती लक्षण?

  • स्तन पर गांठ या फिर स्किन का मोटा होना. स्तन के आस पास के हिस्सों में कुछ अलग महसूस होना.
  • निप्पल के साइज में बदलाव या चपटा दिखना या फिर निप्पल अंदर की ओर मुड़ा होना.
  • स्तन की स्किन के रंग में बदलाव, गोरे स्किन वाले लोगों में स्तन की त्वचा गुलाबी या लाल रंग का नजर आना.
  • भूरी या काली त्वचा वाले लोगों में स्तन की त्वचा छाती या अन्य त्वचा की तुलना में गहरे रंग या फिर लाल या बैंगनी नजर आना.
  • स्तन के आकार के साथ आकृति या बनावट में बदलाव दिखना.
  • स्तन के ऊपर की स्किन में बदलाव दिखना. स्किन में गड्ढे पड़ना या फिर संतरे के छिलके जैसी दिखना.
  • स्तन की स्किन का छिलना या फिर पपड़ी बनना.

पश्चिमी देशों में ब्रेस्ट कैंसर के मामले काफी ज्यादा देखे जा रहे हैं और पश्चिमी कल्चर को तेजी से हम अपनाते जा रहे हैं. यही वजह है कि आने वाले समय में महिलाओं में होने वाले ब्रेस्ट कैंसर की संख्या बढ़ाने की काफी ज्यादा संभावना है. साथ ही कहा कि पहले बुजुर्ग लोगों में कैंसर के मामले ज्यादा देखे जा रहे थे, लेकिन अब युवाओं में भी कैंसर के मामले देखे जा रहे हैं.

Breast Cancer Cases in Uttarakhand

डॉक्टर सौरभ तिवारी की सलाह लेती महिला (फोटो- ETV Bharat)

30 से 40 साल उम्र की महिलाओं में सबसे ज्यादा स्तन कैंसर के मामले: यानी पहले 60 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले देखे जा रहे थे, लेकिन वर्तमान समय में 50 साल से कम उम्र की महिलाओं में स्तन कैंसर आम बात हो गई है. इसके अलावा एक स्पेसिफिक उम्र की बात करें तो 30 से 40 साल उम्र की महिलाओं में सबसे ज्यादा स्तन कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं.

क्या हर गांठ कैंसर होती है? डॉ. सौरभ तिवारी ने बताया कि स्तन में होने वाले 70 से 80 फीसदी गांठ बिनाइन होती हैं. इसका मतलब यह है कि स्तन में मौजूद वो गांठ कैंसर नहीं है. बल्कि, एक सामान्य गांठ है, लेकिन 15 से 20 फीसदी गांठ कैंसर हो सकती है. इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर से संपर्क कर कुछ जांच को करवाना होता है. इसके बाद ही यह पता चल पाता है कि यह गांठ बिनाइन है या फिर कैंसर की है.

किसी भी कैंसर में होते हैं चार स्टेज: उन्होंने बताया कि किसी भी कैंसर में चार स्टेज होते हैं. पहले स्टेज में गांठ लिमिटेड और एक ही जगह पर होती है. सेकंड और थर्ड स्टेज में गांठ की साइज बड़ी हो जाती है. इसके बाद फोर्थ स्टेज में स्तन में बनी गांठ का कैंसर दूसरी जगह भी फैल जाता है.

क्या फोर्थ स्टेज में कैंसर का इलाज संभव है? डॉ. सौरभ तिवारी का कहना है कि आमतौर पर यह धारणा रहती है कि फोर्थ स्टेज में कैंसर पहुंचने पर इलाज होना संभव नहीं है. जबकि, कैंसर के इलाज को लेकर तमाम तरह के रिसर्च किए गए हैं और वर्तमान समय में हर स्टेज में कैंसर का इलाज होना संभव है.

क्यों होता है कैंसर? कैंसर की बीमारी में इंसान की बॉडी में कोशिकाओं के समूह की अनियंत्रित रूप से वृद्धि हो जाती है. जब ये कोशिकाएं टिश्यू को प्रभावित करती है तो कैंसर शरीर के बाकी हिस्सों तक फैल जाता है. किसी भी उम्र या फिर किसी भी महिला या पुरुष को कैंसर हो सकता है. ऐसे में सही समय पर कैंसर का पता नहीं लगा या फिर उसका इलाज नहीं किया गया तो मौत का जोखिम ज्यादा बढ़ सकता है.

कई प्रकार के होते हैं कैंसरः कैंसर की बीमारी कई प्रकार के होते हैं. जिसमें ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर, सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, गर्भाशय कैंसर, किडनी कैंसर, लंग कैंसर, पेट का कैंसर, त्वचा कैंसर, थायराइड का कैंसर, मुंह और गले का कैंसर आदि आते हैं.

कैंसर के इलाज की बात करें तो सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और हार्मोन थेरेपी का सहारा लिया जाता है. अगर कैंसर के लक्षण की बात करें तो वजन कम होना, शरीर में गांठ बनना, स्किन के रंग में बदलाव होना या फिर ब्लीडिंग आदि हो सकते हैं.

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