उत्तराखंड पेपर लीक सीबीआई जांच (फोटो- ETV Bharat GFX)
देहरादून: उत्तराखंड के बहुचर्चित यूकेएसएसएससी (UKSSSC) पेपर लीक मामले में दिल्ली हेडक्वार्टर से सीबीआई जांच की अधिसूचना जारी हो गई है. राज्य की सिफारिश पर अपना होमवर्क करने के बाद सीबीआई ने ये निर्णय लिया हैं. जल्द ही एसआईटी यानी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) अब तक की गई जांच के दस्तावेज और तमाम साक्ष्य सीबीआई यानी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपेगी.
पेपर लीक पर सरकार की सीबीआई संस्तुति के मायने: अब साल 2025 में एक बार फिर भर्ती प्रकरण के मामले में सीबीआई की शरण में सरकार गई है. हालांकि, इस बार मामला पेपर लीक का है, लेकिन जुड़ा हुआ नौकरी से संबंधित ही है. हाल ही में सरकार ने पेपर लीक पर सीबीआई जांच की मंजूरी दी है, लेकिन इसके क्या कुछ तकनीकी पहलू है. इसे लेकर अधिवक्ता विकेश नेगी से बातचीत की गई.
विकेश नेगी ने बताया कि सरकार ने सीबीआई जांच के लिए मंजूरी तो दे दी है, लेकिन महत्वपूर्ण ये है कि सीबीआई जांच किस चीज की करवाई जाती है? क्या केवल ताजा प्रकरण में प्रश्न पत्र के तीन प्रश्न बाहर आने पर सीबीआई जांच होती है या फिर उसमें पिछले मामलों को भी शामिल किया जाता है, ये बेहद महत्वपूर्ण बात होगी. इसी पर सब कुछ निर्भर करता है.

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (फोटो- ANI)
पेपर लीक और पहले से हाईकोर्ट में लंबित मामले: उत्तराखंड में पेपर लीक और परीक्षा में धांधली को लेकर पिछले कुछ सालों से लगातार जांच चल रही है. साल 2021 में उठे पेपर लीक के मामले में सरकार ने एसआईटी जांच की तो वहीं, इस एसआईटी जांच के बाद कई नकल माफिया को सलाखों के पीछे भेजा गया. इसके बाद धामी सरकार ने एक सख्त नकल विरोधी कानून भी लाया गया.
उस समय हुई जांच की जांच शीट भी कोर्ट में दाखिल की जा चुकी थी तो वहीं एडवोकेट विकास नेगी ने भी परीक्षा में धांधलियों को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की. साथ ही सीबीआई जांच की मांग की. कोर्ट ने अभी इस याचिका पर फैसला नहीं लिया है तो वहीं अब एक और जांच के रूप में सीबीआई जांच के लिए धामी सरकार ने अपनी मंजूरी दे दी है.

आंदोलन में बेरोजगार युवा (फाइल फोटो- ETV Bharat)
अब सवाल ये है कि हाल ही में जो ताजा मामला आया है, उसमें प्रश्न पत्र से तीन प्रश्न परीक्षा केंद्र से बाहर आए थे. क्या सीबीआई जांच का दायरा सिर्फ इस प्रश्न पत्र तक सीमित रहेगा या फिर बीते चार-पांच सालों में जो गड़बड़ियां हुई हैं, उनकी भी जांच की जाएगी.
इसके अलावा इससे पहले भी नौकरियों में गड़बड़ी को लेकर कई बार बड़े मामले सामने आए हैं. एक मामले में तो उत्तराखंड विधानसभा से सैकड़ों कर्मचारियों की सेवा अवैध भर्ती के चलते खत्म कर दी गई. क्या वो मामले भी सीबीआई जांच के दायरे में आएंगे, यह बड़ा सवाल है.
अब तक उत्तराखंड में कब-कब धमकी है सीबीआई: उत्तराखंड में अब तक हुई तमाम सीबीआई जांचों की अगर बात की जाए तो उत्तराखंड में पहले सीबीआई जांच का मामला साल 2002 में पुलिस भर्ती के बाद नियुक्तियों में हुई गड़बड़ी को लेकर सामने आया था. इसके बाद रणवीर एनकाउंटर में सीबीआई जांच हुई थी. जिसमें अब तक दोषियों को सजा मिल रही है.

लिखित में आश्वासन देते सीएम धामी (फाइल फोटो- ETV Bharat)
इसके अलावा वन विभाग में हरक सिंह रावत के खिलाफ सीबीआई जांच चल रही है. उद्यान विभाग में हुए घोटाले पर भी सीबीआई जांच चल रही है तो वहीं अभी हाल ही में LUCC फ्रॉड के मामले में कोर्ट के जरिए जांच सीबीआई तक पहुंची है. अब पेपर लीक मामले में सरकार ने सीबीआई जांच के लिए मंजूरी दी है.
क्यों और कब होती है सीबीआई जांच? सीबीआई की जांच करने का तरीका या फिर सीबीआई को जांच कैसे मिलती है, यह सवाल भी एडवोकेट विकेश नेगी से किया गया. जिस पर उन्होंने बताया है कि सीबीआई को ऐसा नहीं है कि कोई भी जांच चली जाती है.
अधिवक्ता विकेश नेगी बताते हैं कि सीबीआई की जांच के तीन तरीके से संभव है. पहला हाईकोर्ट के माध्यम से यानी कोई केस कोर्ट में चल रहा हो और कोर्ट को मामले की संवेदनशीलता इतनी लगे कि उसे सीबीआई को देने की जरूरत महसूस हो. ऐसे में कोर्ट उस केस को सीबीआई जांच के लिए रेफर कर सकता है.
दूसरे सिनेरियो में राज्य सरकार को यदि किसी मामले में इतनी ज्यादा संवेदनशीलता पाई जाती है कि उसकी जांच सीबीआई से होनी चाहिए तो सरकार सीधे सीबीआई जांच के लिए संस्तुति दे देती है. वहीं, इसके अलावा एक और मामले में सीबीआई दखल देती है. यदि किसी प्रदेश में किसी केंद्रीय एजेंसी की कोई जांच होनी है या फिर केंद्र सरकार का पैसा किसी निर्माण या फिर योजना में लगा है तो उस मामले में भी सीबीआई डायरेक्ट हस्तक्षेप कर सकती है.

युवाओं का आक्रोश (फाइल फोटो- ETV Bharat)
क्या था मामला? गौर हो कि 21 सितंबर 2025 को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से आयोजित स्नातक स्तरीय परीक्षा लीक हो गई थी. जिसमें परीक्षा शुरू होने के 35 मिनट के भीतर ही प्रश्न पत्र के फोटो और स्क्रीनशॉट्स बाहर गए थे. शुरुआती जांच में पता चला कि यह प्रश्न पत्र हरिद्वार के आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज बहादुरपुर जट (लक्सर) सेंटर से आउट हुआ था.
इस मामले में इस सेंटर में परीक्षा दे रहा अभ्यर्थी खालिद मलिक और उसकी मददगार बहन साबिया को गिरफ्तार कर लिया गया. जबकि, प्रश्न पत्र को सॉल्व कर भेजने वाले टिहरी के राजकीय महाविद्यालय अगरौड़ा की असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन चौहान को मामले में कार्रवाई करते हुए निलंबित कर दिया गया.
उधर, बहादुरपुर जट परीक्षा सेंटर में तैनात सेक्टर मजिस्ट्रेट केएन तिवारी को भी लापरवाही बरतने के मामले में सस्पेंड कर दिया गया. इसके अलावा इसी सेंटर में तैनात सब इंस्पेक्टर रोहित कुमार और कांस्टेबल ब्रह्मदत्त जोशी पर भी निलंबन की कार्रवाई हुई. वहीं, बीती 29 सितंबर को सीएम धामी देहरादून में धरनारत युवाओं के बीच पहुंचे और मामले की सीबीआई जांच के साथ छात्रों पर दर्ज मुकदमे को वापस लेने की घोषणा की. जिसके बाद युवा धरना स्थल से उठे.
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