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कॉर्बेट पाखरो टाइगर सफारी केस: IFS अफसर के खिलाफ अभियोजन की अनुमति, PCCF ने जारी किया नोटिस


देहरादून: उत्तराखंड के कॉर्बेट पाखरो टाइगर सफारी मामले में एक तरफ IFS अफसर राहुल को नोटिस जारी हुआ है, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार अपने ही फैसले से पलट गई है. ऐसा इसलिए क्योंकि लंबे समय बाद जाकर सरकार ने विभागीय जांच के लिए जांच अधिकारी नामित किया है तो दूसरी तरफ पूर्व में लिए गए फैसले से सरकार ने पलटी मार ली है. बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण की सुनवाई चल रही है.

पाखरो टाइगर सफारी प्रकरण खुद सरकार के फैसले को लेकर ही चर्चाओं में है. दरअसल, सरकार की तरफ से बीते रोज (16 सितंबर) सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट सबमिट करते हुए ये कहा गया है कि आईएफएस अधिकारी राहुल (तत्कालीन कॉर्बेट निदेशक) के खिलाफ सरकार ने अभियोजन (Prosecution) की अनुमति दे दी है. इसी एफिडेविट में यह भी कहा गया है कि पूर्व में संबंधित अधिकारी के खिलाफ अभियोजन की अनुमति सीबीआई को नहीं देने का निर्णय लिया गया था.

IFS अफसर को जारी हुआ नोटिस (@वन विभाग)

इसमें कहा गया कि अभियोजन की अनुमति को लेकर राज्य सरकार ने गहराई से चिंतन किया और यह माना गया कि इस मामले में विभागीय कार्रवाई पर्याप्त होगी और सीबीआई द्वारा मांगी गई अभियोजन की अनुमति का कोई औचित्य नहीं है.

एफिडेविट में कहा गया है कि कानूनी सलाह मिलने के बाद राज्य सरकार ने दोबारा मामले की समीक्षा की और अभियोजन की अनुमति देने का निर्णय लिया. कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तल्ख टिप्पणी की थी. उसके बाद जाकर सरकार ने अब एफिडेविट के जरिए आईएफएस अधिकारी के खिलाफ अभियोजन चलाने की अनुमति दे दी है.

PAKHRO TIGER SAFARI CASE

कॉर्बेट पाखरो टाइगर साफरी केस (@वन विभाग)

वहीं, कॉर्बेट में अवैध पेड़ कटान और अवैध निर्माण को लेकर एक और नया अपडेट आया है. एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने अपनी जांच के बाद जहां एक तरफ विभाग के दो सेवानिवृत्ति आईएफएस अधिकारियों के साथ कुछ दूसरे वन अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी, वहीं अपनी रिपोर्ट में IFS राहुल का नाम न डालकर उन्हें क्लीन चिट दी थी. ED ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि तत्कालीन निदेशक राहुल ने ही इन अनियमिताओं के बारे में विभाग को जानकारी दी थी. यही नहीं, उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के भी कोई सबूत नहीं मिले.

इसी आधार पर माना जा रहा था कि आईएफएस अधिकारी राहुल को राहत मिल सकती है, लेकिन अब सरकार की ओर से अभियोजन की अनुमति दे दी गई है. दूसरी तरफ आईएफएस अधिकारी राहुल को विभागीय जांच के रूप में नोटिस जारी किया गया है. सरकार द्वारा राहुल को दी गई चार्जशीट के बाद अब PCCF प्रशासन बीपी गुप्ता को जांच अधिकारी नामित किया है. इसके बाद बीपी गुप्ता ने राहुल को नोटिस जारी करते हुए 22 सितंबर को अपनी बात रखने का मौका दिया है. PCCF बीपी गुप्ता ने बताया कि उन्हें इस मामले की जांच दी गई है. इस जांच को उन्होंने शुरू कर दिया है. मामले में उनके द्वारा राहुल को नोटिस जारी करते हुए अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है.

PAKHRO TIGER SAFARI CASE

कॉर्बेट पाखरो टाइगर सफारी मामला. (ETV Bharat GFX)

दरअसल, बीते 8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में जताते हुए कहा था कि राज्य सरकार पूर्व निदेशक राहुल को बचाने की कोशिश कर रही है. कोर्ट ने 17 सितंबर तक सरकार से इस मामले में स्पष्ट रुख रखने को कहा था. ऐसा न करने पर मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने को कहा गया था.

इससे पहले मार्च 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने कार्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो रेंज में बिना इजाजत पेड़ कटान और अवैध निर्माण के आरोपों के लिए सीबीआई जांच का आदेश दिया था. सीबीआई रिपोर्ट में आठ अधिकारियों के नाम सामने आए थे. इसमें दो आईएफएस अधिकारियों (पूर्व डीएफओ) के खिलाफ अभियोजन की अनुमति दे दी थी, लेकिन तब अधिकारी राहुल के खिलाफ अभियोजन की अनुमति देने से मना कर दिया था. अगस्त महीने में राज्य सरकार द्वारा सीबीआई को पत्र भेजकर कहा था विधि विभाग से विचार विमर्श के बाद IFS राहुल के खिलाफ अभियोजन की अनुमति देने का कोई आधार नहीं पाया गया है.

जानें क्या है पूरा मामला:

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