देहरादून: पिथौरागढ़ वन प्रभाग के मुनस्यारी रेंज में कथित अवैध निर्माण पर अब केंद्र ने भी संज्ञान ले लिया है. बड़ी बात यह है कि केंद्र की तरफ से प्रमुख सचिव को लिखी चिट्ठी में न केवल जांच रिपोर्ट मांगी गई है, बल्कि इस पर की गई कार्रवाई के बारे में भी पूछा गया है. मामला पिथौरागढ़ वन प्रभाग के खालिया आरक्षित वन क्षेत्र में अवैध निर्माण का है. जिसको लेकर पहले ही आईएफए अफसर विनय भार्गव को शासन कारण बताओ नोटिस जारी कर चुका है.
केंद्र ने खालिया आरक्षित वन क्षेत्र में अनधिकृत निर्माण मामले का संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड सरकार से रिपोर्ट तलब की है. पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पिथौरागढ़ वन प्रभाग के मुनस्यारी रेंज में अवैध पक्के ढांचे के निर्माण प्रकरण को गंभीरता से लिया है और इसी मामले पर उत्तराखंड सरकार से जांच रिपोर्ट मांगी है. इतना ही नहीं, अब तक इस मामले में की गई कार्रवाई की भी जानकारी मांगी गई है.
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के देहरादून स्थित क्षेत्रीय कार्यालय की सहायक महानिरीक्षक नीलिमा शाह ने प्रमुख सचिव वन को पत्र लिखा है. जिसमें इस पूरे प्रकरण पर अब तक हुई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी गई है. इस मामले में मुख्य वन संरक्षक वर्किंग प्लान संजीव चतुर्वेदी ने इस कार्यालय को पत्र लिखकर पूरे प्रकरण की जानकारी दी थी. जिसमें वन विभाग के खालिया आरक्षित वन क्षेत्र में कंक्रीट का निर्माण बिना अनुमति के किए जाने की जानकारी दी गई थी.
वन अधिनियम के उल्लंघन से जुड़े इस मामले पर अब उत्तराखंड सरकार से मामले की विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी गई है. खास बात यह भी है कि इस पत्र में दोषी अधिकारी की भी जानकारी मांगी गई है और इस पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है. पत्र में कहा गया है कि वन अधिनियम 1980 के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों और प्राधिकरणों या संगठनों के नाम चिन्हित किए जाएं और उनके खिलाफ सुसंगत नियम के तहत कार्रवाई के लिए रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए.
इसके अलावा राज्य सरकार, डीएफओ के पद या उससे ऊपर के अधिकारी को इस मामले के लिए नामित करें ताकि दोषी पाए जाने वालों के विरुद्ध शिकायत दर्ज की जा सके. इससे पहले इस मामले में मुख्य वन संरक्षक के पत्र के आधार पर ही शासन ने तत्कालीन डीएफओ और मौजूदा वन संरक्षक विनय भार्गव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसमें उन्हें 15 दिन के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया है.
मामले में बताया गया है कि साल 2019 में खालिया में बिना पूर्व स्वीकृति और अनुमति के चार पक्के ढांचे, छात्रावास, 1 कुटीर उत्पाद बिक्री केंद्र और 10 विप एक हर्ष के साथ ग्रोथ सेंटर का निर्माण करवाया गया था. प्रकरण में वित्तीय अनियमितता के आरोप भी है, जिसका जवाब संबंधित अधिकारी को देना है.
ये भी पढ़ें: