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कॉर्बेट अवैध निर्माण प्रकरण में CBI जल्द दाखिल करेगी आरोप पत्र, शासन की अनुमति पर अटकी बात


नवीन उनियाल, देहरादून: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो में अवैध निर्माण और पेड़ कटान का प्रकरण अब जांच से आगे बढ़कर न्यायिक प्रक्रिया में दाखिल हो रहा है. ईडी के बाद मामले में सीबीआई भी आरोप पत्र दाखिल करने की तैयारी में है. हालांकि, एजेंसी को सरकार की अनुमति का इंतजार है. जानिए देश का एक ऐसा चुनिंदा मामला, जिसकी राज्य की सर्वोच्च जांच एजेंसियों ने ही नहीं, बल्कि देश की सर्वोच्च एजेंसियों ने भी जांच की है.

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी (ED) ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रकरण में चार्जशीट दाखिल कर दी है. हालांकि, इसी मामले में अभी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई (CBI) की चार्जशीट का इंतजार है. मामले में सीबीआई ने प्रकरण से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन चलाने की अनुमति मांगी है, लेकिन अब तक इस पर अनुमति नहीं मिल पाई है.

अभियोजन की अनुमति से जुड़ा ये है नियम: सीबीआई को वैसे तो अभी अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए अनुमति का इंतजार है, लेकिन इससे जुड़ा एक विशेष नियम भी है. जिसके तहत अनुमति नहीं मिलने पर एक समय सीमा के बाद स्वत: ही अनुमति मान ली जाती है.

कॉर्बेट के जंगल में सफारी रूट (फोटो- ETV Bharat)

इसके तहत 4 महीने यानी 120 दिन तक सरकार को इस पर फैसला लेना होता है. अप्रैल महीने में CBI ने इसको लेकर अनुमति मांगी थी. इस लिहाज से अगस्त के आखिर तक सरकार के पास अभियोजन की अनुमति देने का समय है. अगस्त तक यदि इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता तो CBI इस पर स्वत: आगे की कार्रवाई शुरू करेगी.

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कॉर्बेट के जंगल (फोटो- ETV Bharat)

इस मामले पर जब ईटीवी भारत ने विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल से बात की तो उन्होंने कार्रवाई को लेकर जानकारी दी. उनका कहना था कि अनुमति से जुड़े मामले में फैसला लिया जाएगा.

“यह कानूनी प्रक्रिया है और नियमों के हिसाब से ही कार्रवाई की जा रही है. उम्मीद है कि जल्द ही अनुमति से संबंधित निर्णय ले लिया जाएगा. सरकार किसी भी मामले में जांच के आधार पर काम करती है और इसके बाद कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है.”- सुबोध उनियाल, वन मंत्री, उत्तराखंड

इससे पहले ईडी (ED) ने इसी मामले पर अपनी चार्जशीट दाखिल कर दी है. ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में दो पूर्व डीएफओ यानी प्रभागीय वनाधिकारी (DFO) और दो रेंजरों के खिलाफ स्पेशल पीएमएलए यानी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) कोर्ट चार्जशीट दाखिल की है.

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उत्तराखंड वन भवन (फोटो- ETV Bharat)

इसमें सेवानिवृत्ति डीएफओ किशन चंद, अखिलेश तिवारी, पूर्व रेंजर बृज बिहारी शर्मा और मथुरा सिंह को ED ने आरोपी बनाया है. इसी मामले में ईडी यानी एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट ने 1.75 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच की है. यह संपत्ति किशन चंद और बृज बिहारी शर्मा से संबंधित थी.

राज्य ही नहीं देश की बड़ी एजेंसियां मामले की कर रही जांच: उत्तराखंड का यह मामला देशभर में एक ऐसा अकेला मामला है, जिसमें न केवल राज्य की सबसे बड़ी जांच एजेंसियों ने जांच की है. बल्कि, देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसियां भी इस पर कार्रवाई कर रही हैं.

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उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल (फोटो- ETV Bharat)

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो में अवैध निर्माण और अवैध पेड़ कटान मामले पर उत्तराखंड की विजिलेंस जांच कर चुकी है. इसके तरह भारत सरकार के वन मंत्रालय के डीजी (DG) की अध्यक्षता में भी इसकी जांच हुई है. प्रकरण पर पुलिस से लेकर वन विभाग के अधिकारियों ने भी अलग-अलग जांच की है. जबकि, राष्ट्रीय स्तर की सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI और ED भी इस पर जांच पूरी कर चुकी है.

ईडी (ED) के बाद सीबीआई (CBI) भी जल्द इस पर आरोप पत्र दाखिल कर सकती है, लेकिन फिलहाल लंबे समय से सीबीआई को शासन से अभियोजन की अनुमति का इंतजार है और जिसके कारण फिलहाल इस पर सीबीआई आरोप पत्र दाखिल नहीं कर पा रही है. इस तरह देखा जाए तो सीबीआई को अभियोजन की अनुमति मिलते ही मामले में ED की तरह CBI भी आरोप पत्र दाखिल करेगी.

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